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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 26 Mar 2025
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राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक, 2025

चर्चा में क्यों?

राजस्थान विधानसभा में कोचिंग सेंटरों को नियंत्रित और विनियमित करने के लिये राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया गया।

मुख्य बिंदु

विधेयक के बारे में:

  • उद्देश्य
    • इस विधेयक का उद्देश्य कोचिंग संस्थानों के व्यावसायीकरण पर अंकुश लगाना, छात्र कल्याण सुनिश्चित करना तथा छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को रोकना है।
  • आवश्यकता
    • राजस्थान, विशेषकर कोटा में हर साल लाखों छात्र विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, लेकिन अत्यधिक दबाव, मानसिक तनाव और असफलता के भय के कारण आत्महत्या की घटनाएँ बढ़ रही हैं।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान 

  • अनिवार्य पंजीकरण: सभी कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। विशेष रूप से, 50 या अधिक छात्रों वाले कोचिंग सेंटर कानूनी दायरे में आएंगे।
  • जुर्माने का प्रावधान: यदि कोई कोचिंग सेंटर पंजीकरण शर्तों का उल्लंघन करता है, तो पहली बार 2 लाख रुपए और दूसरी बार 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। बार-बार नियमों के उल्लंघन पर पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
  • विनियमन प्राधिकरण की स्थापना: नए नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये ‘राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन प्राधिकरण’ का गठन किया जाएगा।
  • शुल्क नियंत्रण:
    • कोचिंग सेंटरों द्वारा मनमाने शुल्क वसूलने पर रोक लगेगी और शुल्क को उचित एवं तर्कसंगत बनाया जाएगा।
    • शुल्क के सभी प्रकार के भुगतान पर रसीदें देना अनिवार्य होगा।
    • यदि कोई छात्र बीच में कोर्स छोड़ता है, तो 10 दिनों के भीतर आनुपातिक आधार पर शेष शुल्क वापस करना होगा।
    • संपूर्ण शुल्क एकमुश्त लेने की मनाही होगी और छात्रों को कम-से-कम चार किस्तों में भुगतान का विकल्प देना होगा।
  • भ्रामक विज्ञापनों पर रोक: झूठे दावों, उच्च रैंक या अंकों की गारंटी वाले विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
  • कक्षा की अधिकतम समय-सीमा: छात्रों में थकान कम करने के लिये, कोचिंग कक्षाओं की अधिकतम अवधि प्रति दिन 5 घंटे तय की गई है। साथ ही, सप्ताह में एक दिन अवकाश अनिवार्य होगा।
  • काउंसलिंग प्रणाली: छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कोचिंग सेंटरों में काउंसलिंग सिस्टम विकसित करने का प्रावधान किया गया है।
  • शिकायत निवारण समिति: छात्र, अभिभावक एवं शिक्षकों की शिकायतों के निवारण के लिये ज़िला स्तर पर एक समिति गठित की जाएगी, जो 30 दिनों के भीतर समाधान प्रदान करेगी।


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गंभीरी नदी

चर्चा में क्यों?

राजस्थान उच्च न्यायालय ने घाना पक्षी अभयारण्य को जलापूर्ति करने वाली गंभीरी नदी के बाढ़ क्षेत्र में कथित अतिक्रमण के मामले पर संज्ञान लेते हुए राज्य प्रशासन से जवाब मांगा है।

मुख्य बिंदु

  • मुद्दे के बारे में:
    • न्यायालय ने इस मामले में मुख्य सचिव, संभागीय आयुक्त (भरतपुर), प्रमुख राजस्व सचिव, ज़िला कलेक्टर (करौली) और एसपी (करौली) को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
    • याचिकाकर्त्ता द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया गया। 
    • याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को अवगत कराया कि पांचना बाँध का पानी गंभीरी नदी के माध्यम से घाना पक्षी अभयारण्य तक पहुँचता है, जो अतिक्रमण के कारण बाधित हो रहा है। 
    • इसके अतिरिक्त करौली ज़िले के सनेंट गाँव की लगभग 230 बीघा भूमि, जो नदी के प्रवाह क्षेत्र का हिस्सा है, पर वर्षों से अतिक्रमण किया जा रहा है। इससे पक्षी विहार का जैविक संतुलन प्रभावित हो रहा है।
  • गंभीरी नदी
    • गंभीरी नदी, जिसे उटंगन नदी के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान की एक महत्त्वपूर्ण मौसमी नदी है, जो मुख्यतः वर्षा ऋतु में प्रवाहित होती है।
    • यह नदी राजस्थान के पूर्वोत्तर भाग में प्रवाहित होती है। 
    • यह नदी करौली ज़िले में हिंडौन के निकट अरावली पहाड़ियों से उद्गमित होती है और दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है। 
    • यह राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा बनाते हुए आगरा में यमुना नदी में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 288 किलोमीटर है।
    • इसकी मुख्य सहायक नदियाँसेसा, खेर और पार्वती हैं।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान:

  • परिचय: 
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अथवा केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर में स्थित एक आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और दुनिया के सबसे महत्त्वपूर्ण पक्षी विहारों में से एक है। 
    • यह अपनी समृद्ध पक्षी विविधता और जल पक्षियों की बहुलता के लिये प्रसिद्ध है। यह उद्यान पक्षियों की 365 से अधिक प्रजातियों का घर है, जिसमें कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं, जैसे कि साइबेरियाई क्रेन।  
    • उत्तरी गोलार्द्ध के दूर-दराज़ के क्षेत्रों से विभिन्न प्रजातियाँ प्रजनन हेतु अभयारण्य में आती हैं। साइबेरियन क्रेन उन दुर्लभ प्रजातियों में से एक है जिसे यहाँ देखा जा सकता है। 
  • पशु वर्ग:  
    • इस क्षेत्र में सियार, सांभर, नीलगाय, जंगली बिल्लियाँ, लकड़बग्घे, जंगली सूअर, साही और नेवला जैसे जानवर देखे जा सकते हैं। 
  • वनस्पति वर्ग:  
  • नदियाँ:  
    • गंभीर और बाणगंगा नदियाँ इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती हैं।


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