बिहार Switch to English
बिहार के भूमि सर्वेक्षण पर मिलीजुली प्रतिक्रिया
चर्चा में क्यों?
बिहार के सबसे हालिया भूमि सर्वेक्षण का उद्देश्य सदियों पुराने अभिलेखों को अद्यतन करना है, जो विशेष रूप से कमज़ोर समुदायों के बीच स्वामित्व के दावों को प्रभावित करता है।
प्रमुख बिंदु
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- बिहार का अंतिम व्यापक भूमि सर्वेक्षण ब्रिटिश काल में 1910-1911 में हुआ था, जबकि आंशिक प्रयास वर्ष 1967 और वर्ष 1980 में किये गये थे।
- वर्ष 2013 में शुरू किये गये वर्तमान सर्वेक्षण का लक्ष्य वर्ष 2025 तक सभी 45,000 राजस्व गाँवों को कवर करना है।
- दायरा और प्रक्रिया
- 150 मिलियन से अधिक भू-अभिलेखों को डिजिटल बनाने के लिये भूमि सर्वेक्षणकर्त्ताओं सहित 10,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया गया है ।
- इसमें वंशावली चार्ट की पुष्टि करना शामिल है, जो भूमि पर पारिवारिक दावों को साबित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक भूमि के लिये सीमा माप 2025 की शुरुआत में निर्धारित है।
- प्रमुख चुनौतियाँ
- स्वामित्व का सत्यापन: स्पष्ट विभाजन दस्तावेज़ों के अभाव के कारण विवाद उत्पन्न हो रहे हैं, तथा निवासियों को परिवार के स्वामित्व वाली भूमि की पुष्टि करने में कठिनाई हो रही है, क्योंकि अनौपचारिक, मौखिक समझौतों के माध्यम से प्रायः स्वामित्व निर्धारित होता है।
- दस्तावेज़ का अनुवाद : कैथी लिपि (Kaithi Script) में लिखे गए कई ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को अनुवाद और समझने की आवश्यकता होती है, जिससे देरी होती है। सरकार ने लिपि अनुवाद की सुविधा के लिये प्रशिक्षण शुरू किया है।
- प्रौद्योगिकी बाधाएँ : ग्रामीण क्षेत्रों में निम्न इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण रिकॉर्डों को वास्तविक समय पर अद्यतन करने और पुनः प्राप्त करने में बाधा आती है, जिससे अपलोड किये गए डेटा में विसंगतता उत्पन्न होती हैं।
- सामाजिक निहितार्थ
- लिंग आधारित विवाद : एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों का समावेश है, जिससे परिवारों के भीतर संघर्ष होता है। विवाहित महिलाओं को अपने दावों को त्यागने के लिये दबाव का सामना करना पड़ा है, जिससे पितृसत्तात्मक मानदंडों को चुनौती मिली है।
- सामुदायिक तनाव : भूमि संबंधी दावों के कारण कुछ मामलों में हिंसा हुई है, हाल ही में उच्च जाति समुदायों के साथ सीमा विवाद के कारण दलितों के घरों को आग लगा दी गई।
मध्य प्रदेश Switch to English
उच्च न्यायालय ने पुलिस थानों में ऑडियो के साथ CCTV अनिवार्य किया
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिस थानों के सभी कमरों में CCTV लगाना अनिवार्य कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- CCTV स्थापना के लिये निर्देश
- मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जी.एस. अहलूवालिया ने राज्य पुलिस को तीन महीने के भीतर राज्य भर के पुलिस थानों के प्रत्येक कमरे में ऑडियो के साथ CCTV कैमरे लगाने का निर्देश दिया।
- पुलिस महानिदेशक (DGP) को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि पुलिस स्टेशनों में कोई "ब्लैक स्पॉट" (CCTV द्वारा कवर न किये गए क्षेत्र) न हों। इसका पालन न करने पर न्यायालय की अवमानना का आरोप लग सकता है।
- हिरासत में हिंसा से संबंधित आँकड़े:
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2001 से वर्ष 2018 के बीच भारत में हिरासत में हिंसा के 1,727 मामले दर्ज होने के बावजूद केवल 26 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया।
- वर्ष 2018 में हुई 70 मौतों में से केवल 4.3% मौतें पुलिस द्वारा हिरासत के दौरान शारीरिक हमले के कारण हुई चोटों के कारण हुईं।
- हिरासत में मौतों के अलावा, वर्ष 2000 से वर्ष 2018 के बीच पुलिस के खिलाफ 2,000 से अधिक मानवाधिकार उल्लंघन के मामले भी दर्ज किये गए और उन मामलों में केवल 344 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)
- NCRB की स्थापना वर्ष 1986 में गृह मंत्रालय के तहत अपराध और अपराधियों पर सूचना के भंडार के रूप में कार्य करने के लिये की गई थी, ताकि जाँचकर्त्ताओं को अपराध को अपराधियों से जोड़ने में सहायता मिल सके।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- इसकी स्थापना राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1977-1981) और गृह मंत्रालय के टास्कफोर्स (1985) की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।
- इसका गठन समन्वय एवं पुलिस कम्प्यूटर निदेशालय (DCPC), CBI की अंतर-राज्यीय आपराधिक डेटा शाखा, CBI के सेंट्रल फिंगर प्रिंट ब्यूरो और BPR&D की सांख्यिकी शाखा को मिलाकर किया गया था।
- NCRB 'भारत में अपराध' रिपोर्ट के माध्यम से देश भर में अपराध के वार्षिक व्यापक आँकड़े प्रस्तुत करता है।
- वर्ष 1953 से प्रकाशित हो रही यह रिपोर्ट देश भर में कानून और व्यवस्था की स्थिति को समझने में एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करती है।
हरियाणा Switch to English
NCR में गंभीर प्रदूषण संकट
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु गुणवत्ता का स्तर खतरनाक बना हुआ है, जो खेतों में आग लगाने तथा अन्य कारकों के कारण और भी खराब हो गया है।
प्रमुख बिंदु
- वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI):
- पानीपत में वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 तक पहुँच गया, जो "गंभीर" प्रदूषण का संकेत है; अन्य NCR क्षेत्रों में भी स्तर बढ़ने की सूचना है।
- AQI लोगों को वायु गुणवत्ता की स्थिति के बारे में प्रभावी ढंग से जानकारी देने का एक साधन है, जिसे समझना आसान है।
- AQI को आठ प्रदूषकों अर्थात PM2.5, PM10, अमोनिया, लेड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन और कार्बन मोनोऑक्साइड के लिये विकसित किया गया है।
- प्राथमिक कारण :
- हरियाणा और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के साथ-साथ वाहनों से निकलने वाले धुएँ और औद्योगिक प्रदूषण में भी अत्यधिक योगदान होता है।
- प्रदूषण का उच्च स्तर, विशेष रूप से कमज़ोर समूहों के स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न करता है, जिसके कारण आपातकालीन उपायों की आवश्यकता पड़ती है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) |
श्रेणी |
0-50 |
अच्छा (Good) |
51-100 |
संतोषजनक (Satisfactory) |
101-200 |
मध्यम (Moderate) |
201- 300 |
खराब (Poor) |
301-400 |
बहुत खराब (Very Poor) |
401-500 |
गंभीर (Severe) |
हरियाणा Switch to English
हरियाणा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिये महँगाई भत्ता बढ़ाया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, हरियाणा सरकार ने महँगाई के प्रभावों को दूर करने के लिये राज्य सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिये महँगाई भत्ते (DA) में 3% की वृद्धि को मंजूरी दी।
प्रमुख बिंदु
- नई DA दर:
- महँगाई भत्ते में 3% की वृद्धि की गई है, जिससे वर्तमान कर्मचारियों और पेंशनभोगियों दोनों को लाभ होगा।
- यह परिवर्तन एक निर्दिष्ट तिथि से प्रभावी होगा, जिसका प्रभाव मासिक वेतन गणना और पेंशन वितरण पर पड़ेगा।
- इस बढ़ोतरी का उद्देश्य मुद्रास्फीति के प्रभावों को कम करना तथा अतिरिक्त मासिक वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
- उपभोक्ता व्यय में वृद्धि: इस वृद्धि से प्रयोज्य आय में वृद्धि होती है, विशेष रूप से त्यौहारों के समय, जिससे उपभोक्ता मांग में वृद्धि होती है।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: DA कर्मचारियों को मुद्रास्फीति का प्रबंधन करने में मदद करता है, लेकिन यदि आपूर्ति में वृद्धि नहीं होती है तो मांग में वृद्धि से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
- राजकोषीय दबाव: सरकार के लिये, महँगाई भत्ते में वृद्धि से व्यय में वृद्धि होती है, जिससे राजकोषीय बजट पर दबाव पड़ सकता है, लेकिन उपभोग के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
महँगाई भत्ता (Dearness Allowance- DA)
- यह महँगाई को संतुलित करने के लिये जीवन-यापन की लागत का समायोजन है, जो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को प्रदान किया जाता है। इसकी गणना मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में की जाती है
उत्तराखंड Switch to English
देहरादून में लेखकों का गाँव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, उत्तराखंड के देहरादून में "लेखकों का गाँव (राइटर्स विलेज)" नामक एक अनूठी सांस्कृतिक पहल की घोषणा की गई है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
प्रमुख बिंदु
- लेखकों का गाँव (राइटर्स विलेज) का उद्घाटन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा 27 अक्तूबर, 2024 को देहरादून के पास थानो में किया जाएगा।
- इसका उद्घाटन 23 अक्तूबर से 27 अक्तूबर, 2024 तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय कला, साहित्य और संस्कृति महोत्सव के साथ हो रहा है।
- पाँच दिवसीय महोत्सव में 65 देशों के 300 से अधिक लेखक, कलाकार और साहित्यकार भाग लेंगे।
- इस वैश्विक भागीदारी का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है, जिसमें हिंदी एवं उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- महत्त्व:
- यह महोत्सव साहित्य अकादमी, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास और उत्तराखंड संस्कृति विभाग जैसे संगठनों द्वारा आयोजित विभिन्न सत्रों के माध्यम से साहित्य, भाषा तथा कला पर चर्चा करने का एक मंच होगा ।
- इससे वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा को बढ़ावा मिलने के साथ ही उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर भी प्रकाश पड़ने की उम्मीद है।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (National Book Trust- NBT)
- NBT, भारत वर्ष 1957 में भारत सरकार (उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय) द्वारा स्थापित एक सर्वोच्च निकाय है ।
- NBT के उद्देश्य हैं:
- अंग्रेज़ी, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में अच्छे साहित्य का सृजन एवं प्रोत्साहन करना।
- इस तरह के साहित्य को जनता को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना।
- पुस्तक सूची प्रकाशित करना, पुस्तक मेले/प्रदर्शनी और सेमिनार आयोजित करना तथा लोगों को पुस्तक के प्रति रुचि रखने वाला बनाने के लिये सभी आवश्यक कदम उठाना।
झारखंड Switch to English
चक्रवात दाना का झारखंड पर प्रभाव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चक्रवात दाना के कारण पूर्वी भारत, विशेषकर झारखंड में महत्त्वपूर्ण व्यवधान उत्पन्न होने की आशंका है, जिसके कारण कई आपातकालीन उपाय लागू किये जा रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- भारी वर्षा और बाढ़ का खतरा: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने झारखंड में 24 से 25 अक्तूबर, 2024 तक भारी वर्षा का अनुमान लगाया है, जिससे बाढ़ की आशंका बढ़ गई है, खासकर संवेदनशील निचले इलाकों में।
- परिवहन में व्यवधान: झारखंड सहित पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में रेल सेवाएँ बुरी तरह प्रभावित हुई हैं तथा प्रतिकूल मौसम की स्थिति के दौरान यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एहतियाती उपाय के रूप में 150 से अधिक रेलगाड़ियाँ रद्द कर दी गई हैं।
- NDRF और SDRF की तैयारी: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें हाई अलर्ट पर हैं और आपात स्थिति में त्वरित तैनाती के लिये तैयार हैं।
- मछुआरों और तटीय गतिविधियों के लिये सलाह: IMD ने मछुआरों के लिये सख्त चेतावनी जारी की है और बंगाल की खाड़ी में न जाने की सलाह दी है। 100-110 किमी./घंटा तक पहुँचने वाली तेज़ हवा की गति तटीय और आस-पास के क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है, जिससे मछली पकड़ने और समुद्री गतिविधियों पर निर्भर स्थानीय अर्थव्यवस्थाएँ प्रभावित हो सकती हैं।
- निकासी और सार्वजनिक सुरक्षा चेतावनियाँ: अधिकारी संभावित निकासी के लिये तैयारी कर रहे हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ चक्रवात का प्रभाव गंभीर हो सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिये सार्वजनिक सलाह जारी की जाती है कि निवासियों को चक्रवात के गुज़रने के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में पता हो।
चक्रवात दाना
- उद्भव: यह उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में बनने वाला तीसरा चक्रवात है और वर्ष 2024 में भारतीय तट पर चक्रवात रेमल के बाद आने वाला दूसरा चक्रवात है।
- यह मानसून बाद के चक्रवाती मौसम का पहला चक्रवात है ।
- दाना का नामकरण: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) का कहना है कि चक्रवात दाना का नाम कतर ने रखा था। अरबी में, "दाना" का अर्थ है 'उदारता' और इसका अर्थ है 'सबसे सही आकार का, मूल्यवान और सुंदर मोती'।
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