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एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) 2024

  • 30 Aug 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) 2024, PM2.5, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), कुपोषण, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (MENA), जल और स्वच्छता, राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक, प्रदूषण

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा पर वायु प्रदूषण का प्रभाव

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) ने एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) 2024 जारी किया।

  • भारत में लगभग 40% जनसंख्या ऐसे वातावरण में जीवन निर्वाह करती है, जिसमें वायु गुणवत्ता का स्तर वार्षिक PM2.5 सीमा 40 µg/m³ से अधिक है।

AQLI 2024 से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • जीवन प्रत्याशा पर वायु प्रदूषण का प्रभाव: रिपोर्ट के अनुसार यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार PM2.5 (2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कण) प्रदूषण को कम कर दिया जाए तो औसत व्यक्ति 1.9 वर्ष अधिक जीवित रह सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर कुल व्यक्तियों के जीवन में 14.9 बिलियन वर्ष की वृद्धि होगी।
  • दीर्घकालिक रोगों से भी अधिक घातक: वायु प्रदूषण के प्रभाव धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन  से होने वाले प्रभावों से भी घातक हैं तथा ये एच.आई.वी./एड्स और कुपोषण जैसे स्वास्थ्य के अन्य प्रमुख जोखिमों से भी कई गुना अधिक घातक हैं।
  • प्रदूषण का असमान वितरण: प्रदूषण के स्तर में भिन्नता है।
    • सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों में जीवन निर्वाह करने वाले लोग स्वच्छतम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की तुलना में छह गुना अधिक प्रदूषित वायु में श्वसन करते हैं, जिससे उनकी जीवन प्रत्याशा औसतन 2.7 वर्ष कम हो जाती है।
  • गुणवत्ता मानक का अनुपालन: यद्यपि कई देशों ने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किये हैं किंतु रिपोर्ट के अनुसार अभी भी इनके क्रियान्वयन एवं अनुपालन से संबंधित महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
    • रिपोर्ट के अनुसार, 94 देशों ने PM 2.5 के मानक स्थापित किये हैं, जिनमें से 37 अपने स्वयं से जारी किये गए दिशा-निर्देशों को पूरा करने में विफल रहे हैं। इसके अतिरिक्त, 158 देशों ने कोई मानक निर्धारित नहीं किया है।
  • अनुपालन के संभावित लाभ: विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रदूषण मानकों को पूरा करने के कई संभावित लाभ हैं।
    • यदि सभी देश अपने लक्ष्य हासिल करते हैं तो इन क्षेत्रों में निवास कर रहे औसत व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा में 1.2 वर्ष की वृद्धि होगी।

  • वैश्विक परिदृश्य:
    • अमेरिका, चीन, यूरोप: संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और चीन ने कठोर नीतियाँ लागू की हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय कमी आई है।
      • चीन में वर्ष 2014 से वायु प्रदूषण में 41% की कमी आई है तथा चीन के लोगों का जीवन 2 वर्ष बढ़ गया है।
      • वर्ष 1970 के बाद से अमेरिका ने प्रदूषण में 67.2% की कमी की है, जिससे औसत जीवनकाल 1.5 वर्ष बढ़ गया है।
      • वर्ष 1998 के बाद से यूरोप में जीवन प्रत्याशा में 30.2% की कमी आई है तथा जीवन प्रत्याशा में 5.6 महीने की वृद्धि हुई है। 
    • दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया: दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में वर्ष 2022 में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, जिसमें वर्ष 2012 की तुलना में PM 2.5 के स्तर में 4% की गिरावट देखी गई।
      • इस सुधार के बावजूद भी दक्षिण एशिया विश्व का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बना हुआ है, जहाँ उच्च प्रदूषण के कारण वैश्विक जीवन वर्षों का 45% हिस्सा का ह्रास हो जाता है।
      • बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान विश्व स्तर पर सबसे प्रदूषित देशों में शामिल हैं।
      • म्याँमार में वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा 2.9 वर्ष कम है।
    • अफ्रीका: मध्य और पश्चिम अफ्रीका में वायु प्रदूषण वर्ष 2022 में काफी हद तक अपरिवर्तित रहा है।
      • क्षेत्र की औसत PM 2.5 सांद्रता 22.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (μg/m3) है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देश से 4.4 गुना अधिक है।
      • प्रदूषण का यह स्तर पूरे क्षेत्र में जीवन प्रत्याशा को औसतन 1.7 वर्ष तक कम कर रहा है।
      • हालाँकि नाइजीरिया, रवांडा तथा घाना ने हाल ही में वायु गुणवत्ता विनियमन और मानक लागू किये हैं।
    • पश्चिम एशिया: मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (MENA) क्षेत्र एक नए प्रदूषण हॉटस्पॉट के रूप में उभरा है, जिससे पूरे क्षेत्र में जीवन प्रत्याशा औसतन 1.3 वर्ष कम हो गई है।
      • कतर और इराक इस क्षेत्र के सबसे प्रदूषित देश हैं।
    • लैटिन अमेरिका: लैटिन अमेरिका के PM 2.5 के स्तर में वर्ष 2021 से 4.8% और वर्ष 1998 से 3% की वृद्धि हुई।
      • बोलीविया लैटिन अमेरिका का सबसे प्रदूषित देश है, ग्वाटेमाला में वायु प्रदूषण से जीवन प्रत्याशा 2.1 वर्ष कम हो जाती है।
      • बोगोटा, मैक्सिको सिटी और क्विटो जैसे शहरों में प्रदूषण से निपटने के लिये वाहन चलाने पर प्रतिबंध लागू किये गए हैं तथा सार्वजनिक परिवहन में सुधार किया गया है।

AQLI 2024 में भारत के लिये विशिष्ट निष्कर्ष क्या हैं?

  • दिल्ली में जीवन प्रत्याशा पर स्वच्छ वायु का प्रभाव: स्वच्छ वायु जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के 5 µg/m³ के दिशानिर्देशों को पूरा करती है, दिल्ली के 18.7 मिलियन निवासियों की जीवन प्रत्याशा को 7.8 वर्ष तक बढ़ा सकती है।
    • भारत के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक (40 µg/m³) को प्राप्त करने से जीवन प्रत्याशा 4.3 वर्ष बढ़ सकती है।
  • दिल्ली में वर्तमान वायु गुणवत्ता और रुझान: वर्ष 2022 में औसत PM2.5 स्तर 84.3 µg/m³ के साथ दिल्ली भारत का सबसे प्रदूषित शहर है।
    • हालाँकि वर्ष 2022 में औसत वार्षिक PM2.5 सांद्रता 84.3 µg/m3 के साथ दिल्ली में महत्त्वपूर्ण सुधार देखा गया है।
  • पूरे भारत में वायु गुणवत्ता में सुधार: पिछले दशक के दौरान भारत में कणिका पदार्थ प्रदूषण में औसत 49 µg/m³ से वर्ष 2022 में 41.4 µg/m³ तक की कमी देखी गई।
    • यदि प्रदूषण में यह गिरावट जारी रहती है तो आम भारतीय पिछले दस वर्षों में दर्ज किये गए प्रदूषण-स्तरों के मुकाबले नौ महीने अधिक जी सकते हैं।
  • अन्य स्वास्थ्य जोखिमों के साथ तुलना: कणिका पदार्थ प्रदूषण के कारण भारतीय निवासी के जीवन में 3.6 वर्ष की कमी आती है, जबकि कुपोषण के कारण 1.6 वर्ष, तंबाकू के कारण 1.5 वर्ष और असुरक्षित जल एवं स्वच्छता के कारण 8.4 महीने की कमी आती है।

वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (Air Quality Life Index- AQLI) क्या है?

  • AQLI एक प्रदूषण सूचकांक है, जो गणना करता है कि कणिका पदार्थ वायु प्रदूषण से जीवन प्रत्याशा पर कितना प्रभाव पड़ता है।
  • विश्व भर के समुदायों में कणिका प्रदूषण की वास्तविक स्थिति का निर्धारण वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक मानवीय संपर्क और जीवन प्रत्याशा के बीच संबंध को सूचकांक के साथ जोड़कर किया जाता है।
  • सूचकांक यह भी दर्शाता है कि वायु प्रदूषण नीतियाँ जीवन प्रत्याशा को किस प्रकार बढ़ा सकती हैं, जब वे जोखिम के सुरक्षित स्तर, मौजूदा राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों या यूज़र-डिफाइंड वायु गुणवत्ता स्तरों के लिये WHO के दिशानिर्देश को पूरा करती हैं।

हम वायु प्रदूषण को किस प्रकार नियंत्रित कर सकते हैं?

  • रोकथाम: प्रदूषण को उसके स्रोत पर कम करने, खत्म करने या रोकने के लिये प्रदूषण रोकथाम दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिये, कम विषाक्त कच्चे माल या ईंधन जैसे: BSVI इंजन का उपयोग करना, कम प्रदूषणकारी औद्योगिक प्रक्रिया का उपयोग करना और प्रक्रिया की दक्षता में सुधार करना।  
  • स्वच्छ वायु प्रौद्योगिकी को अपनाना: वायु प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण प्रौद्योगिकियाँ वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।
    • इसमें वेट स्क्रबर, फैब्रिक फिल्टर (बैगहाउस), इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर, कंडेनसर, एबज़ॉर्बर, एडज़ॉर्बर और जैविक क्षरण शामिल हैं।
  • आर्थिक प्रोत्साहन: प्रदूषणकारी उद्योगों के लिये एमिशन ट्रेडिंग और एमिशन कैप जैसे आर्थिक प्रोत्साहन का उपयोग किया जा सकता है।
  • पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग: देश में वर्तमान में एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों (ELV) के बोझ को खत्म करने से वाहन जनित प्रदूषण के कारण होने वाले उत्सर्जन में 15-20% की कमी आएगी।
  • वर्क-फ्रॉम-होम: वायु प्रदूषण से निपटने के लिये सरकार सर्दियों जैसे उच्च प्रदूषण वाले दिनों में घर से काम करने की नीतियों को बढ़ावा दे सकती है।
  • कृत्रिम वर्षा: यह हवा में मौजूद प्रदूषकों जैसे कि पार्टिकुलेट मैटर (PM), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) को हटा सकती है।
  • व्यवहार में बदलाव: सार्वजनिक परिवहन, साइकिल चलाने के उपयोग और पैदल चलने को बढ़ावा देने से सड़क पर व्यक्तिगत वाहनों की संख्या कम हो सकती है, जिससे उत्सर्जन एवं वायु प्रदूषण कम होगा।

निष्कर्ष

वायु प्रदूषण भारत के लिये एक बड़ा खतरा है, जो कुपोषण या तंबाकू के सेवन जैसे अन्य जोखिमों की तुलना में जीवन प्रत्याशा को कम करता है। हाल के सुधारों के बावजूद निरंतर प्रगति के लिये मज़बूत नीतियों, प्रवर्तन और स्वच्छ वायु के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। WHO के दिशा-निर्देशों का पालन करने से पूरे देश में जीवन प्रत्याशा और समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. वायु प्रदूषण भारत में एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है, जो जीवन प्रत्याशा और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। स्थायी वायु गुणवत्ता सुधार प्राप्त करने के लिये अतिरिक्त रणनीतियाँ सुझाएँ।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. सार्वजनिक परिवहन में बसों के लिये ईंधन के रूप में हाइड्रोजन समृद्ध CNG (H-CNG) के उपयोग के प्रस्तावों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. एच-सीएनजी के उपयोग का मुख्य लाभ कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन का उन्मूलन है। 
  2. ईंधन के रूप में एच-सीएनजी कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन को कम करती है।
  3. बसों के लिये ईंधन के रूप में CNG के साथ हाइड्रोजन को आयतन के आधार पर पाँचवें हिस्से तक मिलाया जा सकता है।
  4. एच-सीएनजी ईंधन को CNG से कम महँगी बनाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड
  2. मीथेन
  3. ओज़ोन
  4. सल्फर डाइ-ऑक्साइड

उपर्युक्त में से कौन फसल/बायोमास अवशेषों को जलाने के कारण वायुमंडल में उत्सर्जित होता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)


प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है? (2018)

  1. एन.जी.टी. का गठन एक अधिनियम द्वारा किया गया है जबकि सी.पी.सी.बी. का गठन सरकार के कार्यपालक आदेश से किया गया है।
  2. एन.जी.टी. पर्यावरणीय न्याय उपलब्ध कराता है और उच्चतर न्यायालयों में मुकदमों के भार को कम करने में सहायता करता है जबकि सी.पी.सी.बी. झरनों और कुँओं की सफाई को प्रोत्साहित करता है, तथा देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने का लक्ष्य रखता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

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