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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Jun 2024
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मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना

चर्चा में क्यों?

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा की कि हरियाणा सरकार मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के माध्यम से तीर्थयात्रियों को अयोध्या और अन्य पवित्र स्थलों की यात्रा करने की सुविधा प्रदान कर रही है।

मुख्य बिंदु:

  • इस योजना के तहत 1.80 लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले परिवार के 60 वर्ष से अधिक आयु के सदस्यों को अयोध्या, वाराणसी और अन्य पवित्र स्थलों की तीर्थयात्रा के लिये ले जाया जाता है।
  • मुख्यमंत्री के अनुसार, राज्य सरकार ने राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये कई कदम उठाए हैं।
    • कुरुक्षेत्र धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनता जा रहा है, जो देश भर से और अंतर्राष्ट्रीय स्तर से पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है
    • अन्य स्थानों पर भी पर्यटन के अवसरों को तलाशने के प्रयास किये जा रहे हैं।

वाराणसी

  • वाराणसी दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्य में है। यह गंगा नदी के बाएँ किनारे पर स्थित है और हिंदू धर्म के सात पवित्र शहरों में से एक है। 
  • यह विश्व के सबसे पुराने बसे शहरों में से एक है। इसका प्रारंभिक इतिहास मध्य गंगा घाटी में पहली आर्य बस्ती से जुड़ा है।
    • वाराणसी बुद्ध के समय (छठी शताब्दी ईसा पूर्व) काशी राज्य की राजधानी थी, जिन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ के पास दिया था
    • यह शहर धार्मिक, शैक्षिक और कलात्मक गतिविधियों का केंद्र बना रहा, जैसा कि प्रसिद्ध चीन बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेन त्सांग ने प्रमाणित किया है, जिन्होंने लगभग 635 ई. में यहाँ का दौरा किया था।
  • वर्ष 1194 से शुरू हुए मुस्लिम कब्ज़े के तीन शताब्दियों के दौरान वाराणसी का पतन हो गया
  • 18वीं शताब्दी में वाराणसी एक स्वतंत्र राज्य बन गया और बाद में ब्रिटिश शासन के तहत यह एक वाणिज्यिक एवं धार्मिक केंद्र बना रहा।
    • वर्ष 1910 में अंग्रेज़ों ने वाराणसी को एक नया भारतीय राज्य बनाया जिसका मुख्यालय रामनगर (विपरीत तट पर) था, लेकिन वाराणसी शहर पर इसका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था।
  • वर्ष 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद वाराणसी राज्य उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा बन गया।


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राज्य के निवासियों को अतिरिक्त अंक देने का आदेश बरकरार

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने "सामाजिक-आर्थिक" कारकों के आधार पर विशिष्ट नौकरी की भर्तियों के लिये राज्य के निवासियों को 5% अतिरिक्त अंक देने के हरियाणा सरकार के निर्णय को रद्द करने के उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा और इसे एक अनुचित कार्रवाई माना।

मुख्य बिंदु:

  • हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की याचिका को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस निर्णय को चुनौती देने के लिये खारिज कर दिया गया है, जिसमें वर्ष 2023 के कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET 2023) के दौरान हरियाणा के निवासियों को अतिरिक्त अंक प्रदान करने वाली राज्य अधिसूचना को रद्द कर दिया गया था। न्यायालय ने नई परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया।
  • इस "सामाजिक-आर्थिक" मानदंड के तहत हरियाणा सरकार ने कुछ शर्तों को पूरा करने पर हरियाणा के निवासियों को अतिरिक्त महत्त्व प्रदान किया।
  • इन शर्तों में परिवार का कोई भी सदस्य स्थायी सरकारी कर्मचारी न होना तथा सभी स्रोतों से कुल वार्षिक पारिवारिक आय 1.8 लाख रुपए से कम होना शामिल है।

अधिवास आरक्षण

  • एक ओर संविधान की धारा 16(2) में कहा गया है कि राज्य के अधीन किसी नियोजन या पद के संबंध में केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, उद्भव, जन्म स्थान, निवास या इनमें से किसी के आधार पर न तो कोई नागरिक अपात्र होगा और न उससे विभेद किया जाएगा।”
  • दूसरी ओर, इसी अनुच्छेद का खंड 4 कहता है कि “इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में जिसका प्रतिनिधित्व राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिये उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।”
  • लेकिन ये प्रावधान सरकारी नौकरियों के मामले में लागू हैं।
  • अनुच्छेद 19(1)(g) सभी नागरिकों को कोई भी वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार प्रदान करता है।
  • इस प्रकार राज्य सरकारों द्वारा ऐसी सीमाएँ लगाना किसी व्यक्ति के अपनी पसंद की वृत्ति, व्यापार या कारोबार में शामिल होने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है, जैसा कि अनुच्छेद 19(1)(g) में कहा गया है।
  • इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि ‘‘हरियाणा राज्य से असंबद्ध नागरिकों के समूह को द्वितीयक दर्जा देने (secondary status) और आजीविका कमाने के उनके मौलिक अधिकारों में कटौती करके संवैधानिक नैतिकता (constitutional morality) की अवधारणा का खुले तौर पर उल्लंघन किया गया है
  • आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी माना है कि वर्ष 2019 में पारित आंध्र प्रदेश का अधिवास के आधार पर आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक “असंवैधानिक हो सकता है”, हालाँकि अभी मेरिट या योग्यता के आधार पर इस पर सुनवाई किया जाना शेष है।


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