राजस्थान Switch to English
मिल्कवीड फाइबर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कपड़ा मंत्रालय ने दूधिया रेशे सहित नए प्राकृतिक रेशों में अपने अनुसंधान और विकास प्रयासों को बढ़ाकर भारत के कपड़ा उद्योग के विकास में सहयोग को दृढ़ किया है।
मुख्य बिंदु
- रणनीतिक सहभागिता:
- भारत के वस्त्र क्षेत्र को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, वस्त्र मंत्री ने इन्वेस्ट इंडिया द्वारा आयोजित एक बैठक में यूनिक्लो के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की।
- यह भारत में कपास उत्पादन क्षमता, उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार लाने पर भी केंद्रित है।
- भारत के वस्त्र पारिस्थितिकी तंत्र में यूनिक्लो (Uniqlo) का योगदान:
- यूनिक्लो पूरे भारत में 15 स्टोर संचालित करता है, जिससे 31 मार्च, 2024 तक 30% की वृद्धि दर के साथ 814 करोड़ रुपए का खुदरा राजस्व प्राप्त होगा।
- भारत के वस्त्र विकास लक्ष्यों के साथ संरेखण:
- भारत ने 2030 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कपड़ा बाज़ार तथा 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य रखा है।
- मंत्रालय ने यूनिक्लो को प्रधानमंत्री मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (PM MITRA) पार्कों में निवेश करने के लिये आमंत्रित किया है, जो सतत् संचालन के साथ एक तैयार पारिस्थितिकी तंत्र की पेशकश करेगा।
- आगामी सहयोग के अवसर:
- यूनिक्लो फरवरी 2025 में "भारत टेक्स" ग्लोबल टेक्सटाइल एक्सपो में भाग लेगा, जिसमें नवाचार, स्थिरता और ट्रेसबिलिटी पर प्रकाश डाला जाएगा।
- दूधिया रेशा:
- परिचय:
- यह दूधिया पौधों से प्राप्त बीज फाइबर है।
- मिल्कवीड (एस्क्लेपियस सिरिएका एल) पौधा एस्कलेपियाडेसी परिवार के एस्कलेपियस वंश से संबंधित है और इसे जिद्दी खरपतवार के रूप में भी जाना जाता है।
- भारत में यह जंगली पौधे के रूप में राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में पाया जाता है।
- मिल्कवीड की पत्तियों, तनों और फलियों में प्रचुर मात्रा में दूध का रस होता है।
- गुण:
- इसमें तैलीय पदार्थ और लिग्निन (एक लकड़ी जैसा पौधा पदार्थ) होता है, जो इसे कताई के लिये बहुत भंगुर बना देता है।
- फाइबर की सतह पर पाए जाने वाले प्राकृतिक मोम के कारण इसकी सतह हाइड्रोफोबिक-ओलियोफोबिक होती है।
- अनुप्रयोग:
- इसका उपयोग कागज उद्योग में किया जाता है।
- इसके अतिरिक्त, इसका उपयोग इन्सुलेटिंग भराव सामग्री के रूप में भी किया जाता है।
- इसका उपयोग जीवन रक्षक जैकेट और बेल्ट जैसे जल-सुरक्षा उपकरणों में किया जाता है।
- शोधकर्त्ताओं ने पाया कि यह आसानी से तेल को सोख लेता है और साथ ही पानी को भी दूर रखता है, इस प्रकार यह तेल रिसाव को साफ करने में सहायता करने वाला एक प्रभावी फाइबर बन जाता है।
पीएम मित्र योजना
- पीएम मित्र (PM MITRA) पार्क का विकास एक विशेष प्रयोजन वाहन द्वारा किया जाएगा, जिसका स्वामित्व केंद्र और राज्य सरकार के पास होगा तथा यह सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मोड में होगा।
- प्रत्येक मित्रा पार्क में एक इनक्यूबेशन सेंटर, सामान्य प्रसंस्करण गृह, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र तथा अन्य वस्त्र संबंधी सुविधाएँ जैसे डिज़ाइन केंद्र और परीक्षण केंद्र होंगे।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में वनाग्नि में वृद्धि
चर्चा में क्यों?
भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में वनाग्नि में 74% की वृद्धि दर्ज की गई है।
मुख्य बिंदु
- उपग्रह अवलोकन और अग्नि दुर्घटनाओं की गणना:
- उत्तराखंड में, उपग्रह डेटा ने आग की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, नवंबर 2023 से जून 2024 तक 21,033 आग की घटनाएँ हुईं, जबकि वर्ष 2022-2023 में इसी अवधि के दौरान 5,351 घटनाएँ हुईं।
- इस मौसम के दौरान कुल 1,808.9 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र आग से प्रभावित हुआ।
- आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक आग प्रभावित क्षेत्र (5,286.76 वर्ग किमी.) दर्ज किया गया, उसके बाद महाराष्ट्र (4,095.04 वर्ग किमी.) और तेलंगाना (3,983.28 वर्ग किमी.), हिमाचल प्रदेश (783.11 वर्ग किमी.) का स्थान रहा।
- सर्वाधिक प्रभावित राज्य:
- छत्तीसगढ़: 18,950 घटनाएँ
- आंध्र प्रदेश: 18,174 घटनाएँ
- महाराष्ट्र: 16,008 घटनाएँ
- मध्य प्रदेश: 15,878 घटनाएँ
- तेलंगाना: 13,479 घटनाएँ
- उच्च जोखिम वाले क्षेत्र:
- उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को "अत्यंत उच्च जोखिम" वाले क्षेत्र घोषित किया गया।
- राष्ट्रव्यापी जोखिम:
- भारत का लगभग 11.34% वन क्षेत्र और झाड़ी क्षेत्र अत्यंत से लेकर अत्यंत अग्नि-प्रवण क्षेत्रों में स्थित है, जिनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड के कुछ हिस्से संवेदनशील हैं।
- अग्नि संवेदनशीलता:
- अत्यधिक गर्मी और ईंधन की लकड़ी की उपलब्धता जैसी जलवायु परिस्थितियाँ वनों में आग लगने की संभावना में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं।
- ज्वलनशील पदार्थों की उपस्थिति के कारण आग अक्सर अन्य वन क्षेत्रों में तेज़ी से विस्तृत हो जाती है।
- यह डेटा भारत में वनों की आग की बढ़ती गंभीरता को उजागर करता है, जिसके पारिस्थितिकी और पर्यावरण पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकते हैं।
भारतीय वन सर्वेक्षण
- स्थापना: 1 जून, 1981 को स्थापित, 1965 में शुरू किये गए वन संसाधनों के पूर्व निवेश सर्वेक्षण (PISFR) का स्थान लिया।
- 1976 में, राष्ट्रीय कृषि आयोग (NCA) ने राष्ट्रीय वन सर्वेक्षण संगठन की स्थापना की सिफारिश की, जिसके परिणामस्वरूप FSI का निर्माण हुआ।
- PISFR की शुरुआत वर्ष 1965 में भारत सरकार द्वारा खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के सहयोग से की गई थी।
- मूल संगठन: पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार।
- प्राथमिक उद्देश्य: भारत के वन संसाधनों का नियमित रूप से आकलन और निगरानी करना।
- इसके अलावा, यह प्रशिक्षण, अनुसंधान और विस्तार की सेवाएँ भी प्रदान करता है।
- कार्यप्रणाली: FSI का मुख्यालय देहरादून में है तथा शिमला, कोलकाता, नागपुर और बंगलौर में चार क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ इसकी उपस्थिति पूरे भारत में है।
- पूर्वी क्षेत्र का एक उपकेंद्र बर्नीहाट (मेघालय) में है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
प्राचीन बावड़ी उत्तर प्रदेश में खोजी गई
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चंदौसी के लक्ष्मण गंज क्षेत्र में खुदाई के दौरान लगभग 125 से 150 वर्ष पुरानी एक बावड़ी मिली, जो 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
मुख्य बिंदु
- उत्खनन अवलोकन:
- यह खुदाई 46 वर्षों के बंद रहने के पश्चात 13 दिसंबर, 2024 को संभल में भस्म शंकर मंदिर के पुनः खुलने के उपलक्ष्य में की जा रही है।
- अधिकारियों ने बताया कि खुदाई के दौरान मंदिर के कुएँ से दो क्षतिग्रस्त मूर्तियाँ सहित एक संरचना मिली है।
- स्थानीय लोगों का दावा है कि इस बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल में हुआ था।
- वास्तुकला विशेषताएँ:
- कुएँ की ऊपरी मंजिल ईंटों से बनी है, जबकि निचली दो मंजिलें संगमरमर से बनी हैं।
- इस संरचना में चार कमरे और एक कुआँ भी शामिल है।
मध्य प्रदेश Switch to English
MP हाईकोर्ट ने मंदसौर में बूचड़खाने को NOC दी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंदसौर में एक नगर निगम अधिकारी को भैंस वधशाला के लिये अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOC) देने का आदेश दिया है तथा अनुमति देने से इनकार करने को "अस्वीकार्य" बताया है।
मुख्य बिंदु
- स्थानीय निकाय का तर्क:
- स्थानीय निकाय ने यह कहते हुए NOC आवेदन अस्वीकार कर दिया कि मंदसौर एक धार्मिक नगर है, इसलिये यहाँ बूचड़खाने की अनुमति देना अनुचित है।
- न्यायालय ने सुनवाई के दौरान इस तर्क को “पूरी तरह अस्वीकार्य” करार दिया।
- पवित्र क्षेत्र:
- राज्य सरकार ने 9 दिसंबर 2011 की अधिसूचना में मंदसौर में भगवान शिव के पशुपतिनाथ मंदिर के चारों ओर 100 मीटर के दायरे को "पवित्र क्षेत्र (Sacred Area)" घोषित किया।
- न्यायालय का अवलोकन:
- न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अधिसूचना के आधार पर पूरे शहर को पवित्र क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
पशुपतिनाथ मंदिर
- इसे मंदसौर शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
- यह शिवना नदी पर स्थित है और अपने आठ मुख वाले शिवलिंग के लिये जाना जाता है। मंदिर की मूर्तियाँ 5वीं या 6वीं शताब्दी की हैं।
- यह चिकने, गहरे ताँबे जैसे चट्टान के ब्लॉक से बना है।
- मंदिर में 100 किलो सोने से मढ़ा (सजाया) गया एक घड़ा भी स्थित है।
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