इंडियन बॉयसन (गौर) का पुनर्विस्थापन | मध्य प्रदेश | 22 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
वन विभाग एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा 50 बॉयसन (गौर) का पुनर्विस्थापन किया जाएगा।
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मुख्य बिंदु
- पुनर्विस्थापन के बारे में:
- पुनर्विस्थापन का कार्य दो चरणों में किया जाएगा। यह पुनर्विस्थापन सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व से बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में 20 से 24 फरवरी तक किया जाएगा।
- पुनर्विस्थापन (Reintroduction) का अर्थ है किसी प्रजाति को उसके प्राकृतिक आवास में फिर से बसाना, जहाँ वह पहले मौजूद थी।
- पुनर्विस्थापन का उद्देश्य:
- बॉयसन (गौर) की संख्या में वृद्धि और अनुवांशिक सुधार करना।
- जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखना।
- बॉयसन की संख्या बढ़ाकर उनका प्राकृतिक आवास सुधारना।
- पुनर्विस्थापन का महत्त्व:
- 2011-12 में पहले भी 50 बॉयसन का पुनर्वास किया गया था, जिससे उनकी संख्या 170 से अधिक हो गई है।
- यह कदम बॉयसन के संरक्षण की दिशा महत्त्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में इनकी स्थिर और स्वस्थ जनसंख्या बनी रहे।
- उनका पुनर्वास वन्यजीवों के लिये एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगा और अन्य प्रजातियों के लिये भी लाभदायक साबित होगा।
इंडियन बॉयसन (गौर) के बारे में:
- यह भारत में पाए जाने वाले जंगली मवेशियों की सबसे बड़ी प्रजाति है और यह सबसे बड़ा मौजूदा बोवाइन (गोजातीय) जीव है।
- बॉयसन घासों और पौधों की वृद्धि को नियंत्रित करते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र स्वस्थ रहता है।
- दुनिया में गौर की संख्या लगभग 13,000 से 30,000 है, जिनमें से लगभग 85% भारत में मौजूद हैं।
- अवस्थिति:
- यह मूलतः दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है।
- भारत में ये पश्चिमी घाट में बहुत अधिक पाए जाते हैं। मुख्य रूप से नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, मासीनागुड़ी राष्ट्रीय उद्यान और बिलिगिरिरंगना हिल्स (बीआर हिल्स) में पाए जाते हैं।
- ये बर्मा और थाईलैंड में भी पाए जाते हैं।
नक्शा कार्यक्रम | मध्य प्रदेश | 22 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं कृषि मंत्री ने मध्य प्रदेश के रायसेन में शहरी बस्तियों के भूमि सर्वेक्षण के लिये नक्शा कार्यक्रम की शुरुआत की।
मुख्य बिंदु
- नक्शा कार्यक्रम के बारें में
- डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के तहत "नक्शा" (NAKSHA - National Geospatial Knowledge-based Land Survey of Urban Habitations) कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
- इस पहल के अंतर्गत 152 शहरों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाएगा, जिनमें मध्य प्रदेश के 9 ज़िलों के 10 नगर (शाहगंज, छनेरा, अलीराजपुर, देपालपुर, धार कोठी, मेघनगर, माखन नगर (बाबई), विदिशा, सांची, उन्हेल) भी शामिल हैं।
- उद्देश्य
- इस पहल का उद्देश्य शहरी भूमि रिकॉर्ड प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाना और सटीक भू-स्थानिक डाटा पर आधारित एक व्यापक भूमि प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है।
- यह पहल:
- नागरिकों को सशक्त बनाएगी और उनके जीवन को सुगम बनाएगी।
- शहरी नियोजन में सुधार लाने में सहायक होगी।
- भूमि संबंधी विवादों को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- आईटी-आधारित संपत्ति रिकॉर्ड प्रणाली के माध्यम से पारदर्शिता, दक्षता एवं सतत् विकास को बढ़ावा देगी।
डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP)
- परिचय:
- केंद्र सरकार ने 21 अगस्त, 2008 को देश में भूमि अभिलेख प्रणाली के आधुनिकीकरण के लिये राष्ट्रीय भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (NLRMP) मंज़ूरी दी थी, जिसे वर्ष 2016 में पुनः आरंभ किया गया और इसका नाम बदलकर डिजिटल इंडिया भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) कर दिया गया।
- यह केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषण वाली एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
- उदेश्य:
- अद्यतन भूमि अभिलेखों, संचालित और स्वचालित उत्परिवर्तन, पाठ्य और स्थानिक अभिलेखों के बीच एकीकरण, राजस्व एवं पंजीकरण के बीच अंतर-संयोजन, वर्तमान विलेख पंजीकरण तथा प्रकल्पित शीर्षक प्रणाली को शीर्षक गारंटी के साथ निर्णायक शीर्षक के साथ बदलने के लिये एक प्रणाली की शुरुआत करना।