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स्टेट पी.सी.एस.

  • 20 Aug 2024
  • 1 min read
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मध्य प्रदेश Switch to English

मासिक धर्म स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये मध्य प्रदेश की पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (United Nations International Children's Emergency Fund- UNICEF) की भारत इकाई ने राज्य में किशोरों के बीच मासिक धर्म स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की पहल की प्रशंसा की।

प्रमुख बिंदु:

  • एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने स्वच्छता एवं सफाई के लिये 'समग्र शिक्षा' कार्यक्रम के तहत 19 लाख विद्यार्थीाओं के खातों में 57.18 करोड़ रुपए की सामूहिक राशि हस्तांतरित की।
  • स्वच्छता एवं स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत कक्षा 7 से 12 तक की विद्यार्थीाओं को सैनिटरी नैपकिन के लिये धनराशि हस्तांतरित की गई है।
  • स्कूल और कॉलेज की लड़कियों को भी स्वच्छता के महत्व और इसके उपायों के बारे में शिक्षित किया जा रहा है।

समग्र शिक्षा योजना

  • इसे वर्ष 2018 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • यह स्कूली शिक्षा के लिये एक एकीकृत योजना है, जो प्री-स्कूल से लेकर कक्षा 12 तक के संपूर्ण दायरे को कवर करती है।
  • इसका उद्देश्य समावेशी, समतापूर्ण और किफायती स्कूली शिक्षा प्रदान करना है।
  • इसमें सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा (TE) की तीन योजनाओं को शामिल किया गया है।
  • It is being implemented as a centrally sponsored scheme
    • इसमें केन्द्र और अधिकांश राज्यों के बीच वित्तपोषण का अनुपात 60:40 है।

संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (United Nations International Children's Emergency Fund- UNICEF)

  • UNICEF की स्थापना वर्ष 1946 में द्वितीय विश्व युद्ध से प्रभावित बच्चों की मदद के लिये संयुक्त राष्ट्र राहत पुनर्वास प्रशासन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (ICEF) के रूप में की गई थी।
  • वर्ष 1953 में UNICEF संयुक्त राष्ट्र का स्थायी भाग बन गया।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा की वकालत करने, उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में मदद करने तथा उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचने के लिये उनके अवसरों का विस्तार करने का अधिदेश दिया गया है।
  • UNICEF बाल अधिकार कन्वेंशन, 1989 द्वारा निर्देशित है।
    • यह बच्चों के अधिकारों को स्थायी नैतिक सिद्धांतों और बच्चों के प्रति व्यवहार के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के रूप में स्थापित करने का प्रयास करता है।
  • वर्ष 1965 में “राष्ट्रों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने” के लिये शांति के लिये नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • मुख्यालय: न्यूयॉर्क शहर

बिहार Switch to English

NCPCR प्रमुख ने बिहार के मदरसों की संयुक्त राष्ट्र से जाँच कराने की मांग की

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के चेयरमैन ने बिहार के सरकारी वित्त पोषित मदरसों में "अतिवादी" पाठ्यक्रम और इन स्कूलों में हिंदू बच्चों के नामांकन पर गंभीर चिंता जताई।

मुख्य बिंदु

  • चेयरमैन ने मदरसों के लिये इस पाठ्यक्रम को विकसित करने में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की भूमिका की आलोचना की
  • उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इन गतिविधियों की जाँच करने का भी आह्वान किया और मदरसा बोर्ड को भंग करने का आग्रह किया
  • इन मदरसों के पाठ्यक्रम में शामिल कई किताबें पाकिस्तान में प्रकाशित हुई हैं और उनकी सामग्री पर शोध जारी है। 
  • शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के दायरे से बाहर की गतिविधियों के लिये धन का उपयोग भारतीय संविधान और बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कंवेंशन (UNCRC) दोनों का उल्लंघन है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights- NCPCR): 

  • NCPCR बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत मार्च 2007 में स्थापित एक सांविधिक निकाय है।
  • यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
  • आयोग का प्राथमिक कार्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी देशों में निर्मित सभी कानून, नीतियाँ, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र, बाल अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में भारतीय संविधान एवं बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुरूप हों।
  • यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत एक बच्चे के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से संबंधित शिकायतों की जाँच करता है।
  • यह यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences- POCSO) अधिनियम, 2012 के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
  • बाल अधिकारों पर कन्वेंशन
  • यह 1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई एक संधि है।
  • यह 18 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक व्यक्ति को एक बच्चा मानता है।
  • यह प्रत्येक बच्चे के नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को निर्धारित करता है, चाहे उनकी जाति, धर्म या योग्यता कुछ भी हो।
    • इसमें शिक्षा का अधिकार, आराम और अवकाश का अधिकार, बलात्कार और यौन शोषण सहित मानसिक या शारीरिक शोषण से सुरक्षा का अधिकार जैसे अधिकार शामिल हैं।
  • यह वैश्विक रूप से सबसे व्यापक अनुसमर्थित मानवाधिकार संधि है।






मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश राज्य ने हिंदू विद्यार्थियों को मदरसों में नामांकन लेने से प्रतिबंधित किया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर राज्य मदरसा बोर्ड द्वारा विनियमित या सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में हिंदू विद्यार्थियों के नामांकन पर रोक लगा दी है

प्रमुख बिंदु:

  • राज्य के मदरसे कथित तौर पर सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिये हिंदू विद्यार्थियों के फर्जी नामांकन कर रहे थे, जिसके कारण यह निर्णय लिया गया।
    • जाँच में पाया गया कि हज़ारों हिंदू विद्यार्थियों का मदरसों में नामांकन किया गया है, जो केवल कागज़ों पर चल रहे थे।
  • प्राधिकारियों के अनुसार, यदि विद्यार्थी नाबालिग हैं तो मदरसे उन्हें अथवा उनके माता-पिता की लिखित सहमति के बिना धार्मिक गतिविधियों या धार्मिक अध्ययन में भाग लेने के लिये बाध्य नहीं कर सकते।
    • मदरसा, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी संस्थानों सहित सभी संस्थानों को नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों का पालन करना होगा। 

नई शिक्षा नीति (New Education Policy- NEP) 2020

  • NEP 2020 का उद्देश्य भारत की उभरती विकास आवश्यकताओं से निपटना है।
  • इसमें शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव, इसके नियमन और प्रबंधन सहित, की मांग की गई है, ताकि एक आधुनिक प्रणाली स्थापित की जा सके, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों का सम्मान करते हुए सतत् विकास लक्ष्य 4 (SDG 4) सहित 21वीं सदी के शैक्षिक लक्ष्यों के अनुरूप हो।
  • यह 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986, जिसे 1992 में संशोधित किया गया था (NPE 1986/92) का स्थान लेती है।


झारखंड Switch to English

झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना (JMMSY)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना (JMMSY) लॉन्च की।

प्रमुख बिंदु:

  • इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की 21 से 50 वर्ष की आयु की पात्र महिलाओं को 1,000 रुपए दिये जाएंगे।
  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना के माध्यम से प्रति वर्ष सभी पात्र महिलाओं के बैंक खातों में कुल 12,000 रुपए भेजे जाएंगे।
  • राज्य सरकार ने सभी वर्गों और समुदायों के सर्वांगीण विकास के लिये विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाएँ शुरू की हैं।
  • राज्य सरकार ने 50,000 रुपए के बजाय 2 लाख रुपए तक के कृषि ऋण माफ करने का निर्णय लिया है।
  • सावित्रीबाई फुले समृद्धि योजना से सरकारी स्कूलों की बालिकाओं को लाभ मिल रहा है तथा शिक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने के लिये मॉडल स्कूल चलाए जा रहे हैं।
  • मुख्यमंत्री रोज़गार सृजन योजना के तहत लोगों को रियायती दरों पर ऋण जारी किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री रोज़गार सृजन योजना

  • इसके तहत राज्य के 18 से 45 वर्ष की आयु के युवा नागरिकों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिये न्यूनतम दर पर 25 लाख रुपए का ऋण उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही सरकार की ओर से 40% अनुदान (सब्सिडी) या 5 लाख रुपए प्रदान किये जाते हैं।
  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग और सखी मंडल से जुड़ी महिलाएँ इस योजना का लाभ उठा सकती हैं।
  • सखी मंडल महिलाओं का एक समूह है जो अपने जीवन स्तर और सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये एक साथ आती हैं।

सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना

  • यह योजना राज्य में बालिका शिक्षा, बाल विवाह को समाप्त करने और महिला सशक्तिकरण पर ज़ोर देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
  • इस योजना के तहत राज्य सरकार किशोरियों को अच्छी शिक्षा के लिये कुल 40,000 रुपए की सहायता दे रही है।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड ने चार धाम पर्यटकों पर प्रतिबंध हटाया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया कि चार धाम यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पर कोई सीमा नहीं होगी, हालाँकि विभिन्न भूस्खलनों के कारण तीर्थयात्रियों का मार्ग अवरुद्ध हो गया है।

  • यह यात्रा प्रति वर्ष मई में शुरू होकर सितंबर के प्रथम सप्ताह तक चलती है।

प्रमुख बिंदु:

  • राज्य सरकार ने धामों के लिए प्रतिदिन 12,000 तीर्थयात्रियों की सीमा निर्धारित की है, लेकिन 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने केदारनाथ के लिए प्रतिदिन 5,000 तीर्थयात्रियों की सीमा निर्धारित करने की सिफारिश की थी
  • वर्ष 2023 के निवेशक शिखर सम्मेलन में राज्य सरकार ने बताया कि पर्यटन क्षेत्र राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 15% का योगदान देता है।
    • उन्होंने वर्ष 2030 तक कुल 20,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित करने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के माध्यम से 200 परियोजनाएँ शुरू करने की योजना की भी रूपरेखा प्रस्तुत की।

चार धाम यात्रा

  • यमुनोत्री धाम:
    • स्थान: उत्तरकाशी जिला
    • समर्पित: देवी यमुना को
    • यमुना नदी भारत में गंगा नदी के बाद दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
  • गंगोत्री धाम:
    • स्थान: उत्तरकाशी जिला।
    • समर्पित: देवी गंगा को।
    • सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
  • केदारनाथ धाम:
    • स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला
    • समर्पित: भगवान शिव
    • मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित
    • भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
  • बद्रीनाथ धाम:
    • स्थान: चमोली ज़िला।
    • पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का घर।
    • समर्पित: भगवान विष्णु
    • वैष्णवों के लिए पवित्र तीर्थस्थलों में से एक।

उत्तराखंड Switch to English

सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक लॉन्च करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया है।

मुख्य बिंदु

  • हिमालयी पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक का निर्माता है।
  • सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक के चार स्तंभ हैं: वायु, मृदा, वृक्ष एवं जल।
    • सूत्र:-  GEP सूचकांक = (वायु-GEP सूचकांक + जल-GEP सूचकांक + मृदा-GEP सूचकांक + वन-GEP सूचकांक
  • महत्व:
    • यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक संसाधनों पर मानवशास्त्रीय दबाव के प्रभाव का आकलन करने में सहायता करता है।
    • यह मानवीय क्रियाओं के परिणामस्वरूप पर्यावरणीय कल्याण के विभिन्न पहलुओं को समाहित करते हुए, किसी राज्य के पारिस्थितिक विकास का आकलन करने के लिये एक सुदृढ़ और एकीकृत विधि प्रदान करता है।
  • अनुशंसाएँ:
    • गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिये; विनियमित और बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
    • विनियमित गतिविधियों को केवल वहन क्षमता और पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के अनुसार ही अनुमति दी जानी चाहिये।

हिमालयी पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन

  • यह वर्ष 1979 में गठित एक गैर-सरकारी संगठन है।
  • इसके उद्देश्य हैं:
    • हिमालयी समुदाय के लिये  संसाधन आधारित पारिस्थितिकी एवं आर्थिक विकास।
    • सामाजिक आर्थिक स्वतंत्रता के लिये सामुदायिक संगठन का निर्माण और सशक्तीकरण 


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