एटीएस कमांडो प्रशिक्षण केंद्र | उत्तर प्रदेश | 18 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
17 अगस्त, 2021 को राज्य सरकार ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के देवबंद में नया एटीएस कमांडो ट्रेनिंग सेंटर खोलने का निर्णय लिया है। सरकार ने इसके लिये सहारनपुर में देवबंद के पास 20,000 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में बीते दिनों हुई आतंकी धमकियों के बाद लखनऊ में अलकायदा समर्थित संगठन के दो आतंकियों की गिरफ्तारी के साथ ही राज्य सरकार ने आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है।
- प्रदेश भर से चुने गए करीब डेढ़ दर्जन तेजतर्रार एटीएस अधिकारियों को इस केंद्र में तैनात किया जाएगा।
- देवबंद के अलावा लखनऊ और नोएडा में एटीएस कमांडो ट्रेनिंग सेंटर खोलने की तैयारी चल रही है।
- देवबंद से केवल 30 किमी. दूर सहारनपुर में हाल ही में आठ से अधिक आतंकवादियों और आईएसआई एजेंटों को गिरफ्तार किया गया है।
- देवबंद में 300 से ज़यादा मदरसे हैं। दारुल उलूम के कारण ही देश-दुनिया से विद्यार्थी शिक्षा के लिये देवबंद आते हैं। ज्ञान की नगरी कहे जाने वाला देवबंद अब आतंकी गतिविधियों के चलते सरकार के रडार पर है। इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने देवबंद में एटीएस कमांडो ट्रेनिंग सेंटर बनाने का फैसला किया है।
‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ | उत्तर प्रदेश | 18 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद ने भारत सरकार द्वारा स्वीकृत एडॉप्ट ए हेरिटेज पॉलिसी ‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ की भाँति प्रदेश के लिये तैयार की गई उत्तर प्रदेश एडॉप्ट ए हेरिटेज पॉलिसी ‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ को अनुमोदित कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- नीति के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्त्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा संरक्षित स्मारकों/पुरास्थलों का स्थलीय विकास, रखरखाव एवं जन-सुविधाओं का प्रबंधन सार्वजनिक उद्यम इकाइयों व निजी क्षेत्र की सहभागिता से किया जाएगा।
- इसके तहत संरक्षित स्मारकों/पुरास्थलों को विकसित करने के लिये निजी क्षेत्र के उद्यमियों को स्मारक मित्र बनाया जाना प्रस्तावित है।
- चयनित स्मारक मित्रों द्वारा स्वयं के संसाधनों से स्मारकों का स्थलीय विकास, पर्यटकों के लिये स्मारक परिसर में जन-सुविधा प्रबंधन एवं वार्षिक रखरखाव आदि की व्यवस्था की जाएगी।
- एडॉप्ट ए हेरिटेज पॉलिसी के अंतर्गत चयनित स्मारक मित्र, उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्त्व निदेशालय (संस्कृति विभाग), पर्यटन विभाग एवं संबंधित ज़िले के ज़िलाधिकारी के मध्य एमओयू किया जाएगा, जिसकी अधिकतम अवधि 5 वर्ष होगी।
- प्रस्तावित कार्य संस्कृति विभाग (उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्त्व निदेशालय) एवं पर्यटन विभाग द्वारा संबंधित जनपद के ज़िलाधिकारी के माध्यम से पारस्परिक सहयोग से किया जाएगा।
- योजना के क्रियान्वयन हेतु संस्कृति विभाग एवं पर्यटन विभाग की एक संयुक्त समिति बनाई जाएगी। संयुक्त समिति द्वारा निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार कार्य किया जाएगा।
- मंत्रिपरिषद द्वारा नीति के अंतर्गत प्रथम चरण में पुरातत्त्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्त्व विभाग के 11 प्रमुख स्मारकों/स्थलों का चयन स्मारक मित्र बनाए जाने के लिये किये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमति प्रदान कर दी गई है।
- चयनित स्मारकों में छतरमंजिल एवं फरहत बख्श कोठी, कोठी गुलिस्ताने इरम, दर्शन विलास कोठी (कैसरबाग, लखनऊ), हुलासखेड़ा उत्खनन स्थल (मोहनलालगंज, लखनऊ), कुसुमवन सरोवर, गोवर्धन की छतरियाँ (गोवर्धन, मथुरा), रसखान समाधि (गोकुल, मथुरा), गुरुधाम मंदिर (वाराणसी), कर्दमेश्वर महादेव मंदिर (कंदवा, वाराणसी), चुनार किला (मिर्ज़ापुर) एवं प्राचीन दुर्ग (बरुआसागर, झाँसी) सम्मिलित हैं।
बिहार में पंचायत चुनाव की तिथि घोषित | बिहार | 18 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
17 अगस्त, 2021 को बिहार सरकार ने ग्राम पंचायत और ग्राम कचहरी के चुनाव की तिथि घोषित कर दी है। ये चुनाव 11 चरणों में संपन्न होंगे, जिसकी अधिसूचना 24 अगस्त, 2021 को जारी होगी।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया।
- 24 अगस्त, 2021 को अधिसूचना जारी होते ही संबंधित क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। 24 सितंबर, 2021 को पहले चरण का और अंतिम चरण का मतदान 12 दिसंबर, 2021 को होगा। इस तरह राज्य में करीब ढाई महीने तक पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चलेगी।
- बैठक के बाद कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अंतिम चरणों में मतदान होंगे।
- गौरतलब है कि छह पदों के लिये ग्राम पंचायत और ग्राम कचहरी के चुनाव होने हैं। इनमें मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, ज़िला परिषद सदस्य, वार्ड सदस्य, सरपंच और पंच के पद शामिल हैं।
- गौरतलब है कि पहली बार राज्य में 11 चरण में पंचायत चुनाव हो रहे हैं।
- पहला चरण: 24 सितंबर, 2021; दूसरा चरण: 29 सितंबर, 2021; तीसरा चरण: 08 अक्टूबर, 2021; चौथा चरण: 20 अक्टूबर, 2021; पाँचवा चरण: 24 अक्टूबर, 2021; छठा चरण: 03 नवंबर, 2021; सातवाँ चरण: 15 नवंबर, 2021; आठवाँ चरण: 24 नवंबर, 2021; नौवाँ चरण: 29 नवंबर, 2021; 10वाँ चरण: 08 दिसंबर, 2021; 11वाँ चरण: 12 दिसंबर, 2021।
गम्हरिया गाँव बना प्लास्टिक और कचरा मुक्त | छत्तीसगढ़ | 18 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
17 अगस्त, 2021 को छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के गम्हरिया गाँव को प्लास्टिक और कचरा मुक्त घोषित किया गया। इससे पहले इसे खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) गाँव घोषित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- यह गम्हरिया में सूरजपुर स्वयं सहायता समूह की ‘सफाई मित्र’ महिलाओं के माध्यम से संभव हुआ है, जो घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करती हैं। ग्रामीण अब उन्हें सम्मानपूर्वक ‘स्वच्छता दीदी’ कहते हैं।
- समूह ने कचरा निपटान और कचरा प्रबंधन को कमाई का एक अतिरिक्त स्रोत बनाया है। पिछले एक साल में उन्होंने 63,000 रुपए कमाए।
- गम्हरिया के सरपंच विलियम कुजूर ने बताया कि गाँव में सेग्रीगेशन शेड (ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन केंद्र) बनाया गया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से धन उपलब्ध कराया गया।
- स्वयं सहायता समूह की सचिव सुनीता कुजूर ने बताया कि पॉलीथिन, खाद्य पदार्थों के पैकिंग रैपर, प्लास्टिक के सामान, लोहे के कबाड़ और काँच जैसे ठोस कचरे को अलग-अलग करके बेचा जाता है।
- उन्होंने कहा कि जुलाई 2020 से 12 महिलाएँ समूह के लिये काम कर रही हैं। समूह प्रत्येक घर से 10 रुपए प्रतिमाह और कूड़ा उठाने के लिये दुकानदारों से 20 रुपए प्रतिमाह एकत्र करता है।
‘सुगंधित कोंडानार अभियान’ | छत्तीसगढ़ | 18 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘सुगंधित कोंडानार अभियान’ के तहत आम के बागों (अमरई) को विकसित करने के हिस्से के रूप में छत्तीसगढ़ के कोंडागाँव ज़िले के राजागाँव में 1,000 अल्फांसो प्रजातियों का रोपण किया गया।
प्रमुख बिंदु
- कोंडागाँव विधायक मोहन मरकाम, ज़िला कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार व अन्य प्रतिनिधियों ने राजागाँव में 25 एकड़ क्षेत्र में लेमनग्रास, पामारोसा, पचौली और अल्फांसो के 1000 पौधों का रोपण किया। इसके साथ ही अन्य जन प्रतिनिधियों द्वारा नीलगिरि और बांस के पौधे भी लगाए गए।
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 20 जून, 2021 को ‘सुगंधित कोंडानार अभियान’ की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य ज़िले को एरोमा हब बनाना तथा किसानों को अतिरिक्त कमाई के लिये सुगंधित फसल की खेती को बढ़ावा देना है।
- इस अभियान के तहत ज़िले के 2,000 एकड़ की वन, कृषि और निजी भूमियों पर सुगंधित फसलों का उत्पादन किया जाएगा। इसके साथ ही ज़िले में 20 करोड़ की लागत से संयंत्र स्थापित कर सुगंधित पदार्थों का निर्माण किया जाएगा।
धामी ने शुरू की मुफ्त पैथोलॉजी जाँच योजना | उत्तराखंड | 18 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
17 अगस्त, 2021 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के लोगों के लिये दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल (कोरोनेशन) में मुफ्त पैथोलॉजी परीक्षण योजना की शुरुआत की।
प्रमुख बिंदु
- यह योजना सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के तहत शुरू की गई है।
- इसके तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) द्वारा उपलब्ध कराई गई धनराशि से राज्य के सरकारी अस्पतालों में 207 प्रकार के पैथोलॉजिकल परीक्षण नि:शुल्क किये जाएंगे।
- यह योजना दो चरणों में लागू की जाएगी। पहले चरण में यह योजना छह ज़िलों- अल्मोड़ा, टिहरी, देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के 38 ज़िला उप-अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में शुरू होगी। दूसरे चरण में शेष ज़िलों में नि:शुल्क पैथोलॉजी जाँच योजना लागू की जाएगी।
उत्तराखंड में मिली दुर्लभ आर्किड प्रजाति | उत्तराखंड | 18 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण द्वारा भारत में पहली बार उत्तराखंड के चमोली ज़िले के मंडल क्षेत्र में आर्किड की एक दुर्लभ प्रजाति की खोज की पुष्टि की गई है।
प्रमुख बिंदु
- सेफलांथेरा इरेक्टा वर. ओब्लानसेवलाटा नामक आर्किड की इस प्रजाति को वन विभाग की अनुसंधान विंग ने चमोली ज़िले के मंडल क्षेत्र में ह्यूमस समृद्ध बांज-बुरांस (रोडोडेंड्रॉन-ओक) के जंगलों में 1870 मीटर की ऊँचाई पर खोजा।
- हालाँकि, इस प्रजाति को मई 2021 में ही खोजा गया था, लेकिन भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) ने हाल ही में इसकी पुष्टि की है। अब इसे भारतीय वनस्पतियों की सूची के नए संस्करण के रूप में बीएसआई की ओर से आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई है। बीएसआई ने नेलुम्बो पत्रिका के अपने नए संस्करण में सेफलांथेरा इरेक्टा को जोड़ने की पुष्टि की है।
- मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि रेंज ऑफिसर हरीश नेगी और जूनियर रिसर्च फेलो मनोज सिंह ने इसकी खोज की है। ये स्थलीय ऑर्किड मंडल में फूलों की खोज के दौरान मिट्टी पर उगते पाए गए थे।
- ज़मीन पर पाए जाने वाली आर्किड की यह प्रजाति पाँच से 20 सेंटीमीटर तक लंबी होती है और इस पर मई-जून में सफेद रंग के सुंदर पुष्प खिलते हैं।
- यह प्रजाति जापान, चीन और नेपाल के बाद अब भारत में पाई गई है।
- गौरतलब है कि हाल ही में चमोली ज़िले के गोपेश्वर के समीप खल्ला गाँव में स्थापित उत्तर भारत का पहला आर्किड संरक्षण केंद्र जनता को समर्पित किया गया है।