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जैव विविधता और पर्यावरण

ऑर्किड का व्यापक सर्वेक्षण

  • 15 Jul 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India) द्वारा की गई ऑर्किड की पहली व्यापक जनगणना के अनुसार, भारत में ऑर्किड (Orchid) प्रजाति या वर्गिकी (Taxa) की कुल संख्या 1,256 पाई गई।

ऑर्किड (Orchid)

  • ऑर्किड वनस्पति जगत का सुंदर पुष्प है जो अदभुत रंग-रूप, आकार एवं आकृति तथा लंबे समय तक ताज़ा बने रहने की गुण के कारण अंतर्राष्ट्रीय पुष्प बाज़ार में विशेष स्थान रखता है।
  • अनूठे आकार और अलंकरण के साथ बेहद खूबसूरत फूलों वाले ऑर्किड में जटिल पुष्प संरचना होती है। यह जैव-परागण में सहायता प्रदान करती है तथा इसे अन्य पौधों के समूहों से क्रमिक रूप से श्रेष्ठ बनाती है।
  • आर्किड परिवार को CITES के परिशिष्ट II (कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड ऑन एंडेंजर्ड स्पीशीज़ ऑफ़ वाइल्ड फॉना एंड फ्लोरा) के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है और इसलिये किसी भी जंगली ऑर्किड के विश्व स्तर पर व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • डेंड्रोबियम (Dendrobium), फेलेनोप्सिस (Phalaenopsis), ऑन्किडियम (Oncidium) और सिंबिडियम (Cymbidium), जैसे ऑर्किड फूलों की खेती हेतु काफी लोकप्रिय हैं। देश के भीतर और बाहर दोनों स्थानों पर इनकी काफी मांग है।

orchid

प्रमुख बिंदु

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा भारत में पाए जाने वाली ऑर्किड की सभी प्रजातियों का विवरण प्रकाशित किया गया था।
  • इसके अनुसार, ऑर्किड की 1,256 प्रजातियाँ, 155 वंश से हैं जिसमें लगभग 388 प्रजातियाँ भारत के लिये स्थानिक हैं। विवरण में लगभग 775 प्रजातियों की तस्वीरें भी उपस्थित हैं।
  • मोटे तौर पर ऑर्किड को उनके जीवन के प्रारूप के आधार पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
    • एपीफाइटिक (Epiphytic)
    • स्थलीय (Terrestrial)
    • माइकोहेट्रोट्रॉफिक (Mycoheterotrophic)
  • भारत में पाई जाने वाली ऑर्किड की 60% प्रजातियों की संख्या लगभग 775 है जो कि एपिफाइटिक है, 447 स्थलीय हैं तथा 43 माइकोहेट्रोट्रॉफिक हैं।

एपीफाइटिक ऑर्किड (Epiphytic Orchid):

  • ये चट्टानों पर उगने वाले पौधों से अपना पोषण प्राप्त करते हैं।
  • समुद्र तल से 1800 मीटर तक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं तथा इससे ज़्यादा ऊँचाई वाले क्षेत्रों में वृद्धि होने से इनकी संख्या घट जाती है।

स्थलीय ऑर्किड (Terrestria Orchid):

  • ज़मीन पर पाए जाने वाले पौधों या लताओं से अपना पोषण प्राप्त करते हैं।
  • सीधे मिट्टी में उगते हैं तथा समशीतोष्ण एवं अल्पाइन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।

माइकोहेट्रोट्रॉफिक ऑर्किड (Mycoheterotrophic Orchid):

  • कवक या संवहनीय पौधों से अपना पोषण प्राप्त करते हैं।
  • ये ज़्यादातर एक्टोमाइकोराइज़ल कवक से जुड़े होते हैं। ये समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में परजीवियों के साथ बढ़ते हैं।

राज्य आधारित वितरण

  • ऑर्किड प्रजातियों के राज्य आधारित वितरण के अनुसार हिमालय, देश के उत्तर-पूर्व भाग और पश्चिमी घाट इन पौधों की प्रजातियों के हॉट-स्पॉट हैं।
  • ऑर्किड प्रजातियों की सबसे अधिक संख्या अरुणाचल प्रदेश (612), सिक्किम (560), तथा पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग हिमालय (479) में पाई गईं।
  • ऑर्किड प्रजातियों की लगभग 388 प्रजातियाँ भारत की स्थानिक हैं, इनमें से लगभग एक तिहाई पश्चिमी घाट में पाई जाती हैं। इन स्थानिक प्रजातियों में से केरल में 111, जबकि तमिलनाडु में 92 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • भारत के 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में हिमालयी क्षेत्र आर्किड प्रजातियों के मामले में सबसे समृद्ध है। इसके बाद पूर्वोत्तर, पश्चिमी घाट, डेक्कन पठार और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह आते हैं।

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण

(Botanical Survey of India- BSI)

  • इसकी स्थापना वर्ष 1890 में की गई।
  • इसका उद्देश्य देश के पौधों के संसाधनों की खोज एवं आर्थिक गुणों के साथ पौधों की प्रजातियों की पहचान करना था।
  • वर्ष 1954 में सरकार ने इसका पुनर्गठन किया।

उद्देश्य:

  • देश में पौधों की उत्पत्ति, वितरण, पारिस्थितिकी एवं आर्थिक उपयोगिता के बारे में गहन पुष्प सर्वेक्षण करना तथा इनकी सटीक व विस्तृत जानकारी एकत्र करना।
  • शैक्षिक एवं अनुसंधान संस्थानों के लिये उपयोग की जाने वाली सामग्रियों का संग्रह, पहचान और वितरण करना।
  • स्थानीय, ज़िला, राज्य एवं राष्ट्रीय वनस्पतियों के रूप में सुनियोजित जड़ी-बूटियों तथा पौधों के संसाधनों के दस्तावेज़ीकरण में प्रामाणिक संग्रह के संरक्षक के रूप में कार्य करना।

स्रोत- द हिंदू

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