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स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 Aug 2024
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उत्तराखंड Switch to English

कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के नज़दीक आवारा कुत्तों का टीकाकरण

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व की सीमाओं के 2 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गाँवों के आवारा कुत्तों को कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के खिलाफ टीकाकारण किया जाएगा, ताकि यह बीमारी रिज़र्व के बाघों और हाथियों को संक्रमित न कर सके।

प्रमुख बिंदु:

  • कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (CDV) मुख्य रूप से कुत्तों में श्वसन, जठरांत्र, तथा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के साथ-साथ आँखों में गंभीर संक्रमण का कारण बनता है।
  • यह टीकाकरण अभियान वन्यजीवों के बेहतर स्वास्थ्य के लिये केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित पायलट परियोजना के हिस्से के रूप में चलाया जाएगा।

कैनाइन डिस्टेंपर वायरस

  • कैनाइन डिस्टेंपर वायरस मुख्य रूप से कुत्तों और जंगली माँसाहारियों जैसे भेड़ियों, लोमड़ियों, रैकून, लाल पांडा, फेरेट्स, लकड़बग्घे, बाघ और शेरों में गंभीर संक्रमण को उत्पन्न करने के लिये जाना जाता है।
  • भारत के वन्यजीवों में इस वायरस की व्यापकता और इसकी विविधता का पर्याप्त अध्ययन नहीं किया गया है।
    • शेर एक बार में पूरे शिकार का उपभोग नहीं करते हैं। कुत्ते उस शिकार का उपभोग करते हुए उसे CDV से संक्रमित कर देते हैं। जब शेर अपने शिकार का दुबारा उपभोग करता है तो इस घातक बीमारी की चपेट में आ जाता है।
  • CDV बाघों की तुलना में शेरों के लिये ज़्यादा ख़तरनाक है। ऐसा इसलिये है क्योंकि शेर समूहों में यात्रा करते हैं, जिससे वे बाघों की तुलना में वायरस के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हो जाते हैं, क्योंकि बाघ ज़्यादा एकांतप्रिय और क्षेत्रीय जानवर होते हैं।


उत्तराखंड Switch to English

विश्व हाथी दिवस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व ने विश्व हाथी दिवस मनाने के लिये जागरूकता अभियान चलाया।

प्रमुख बिंदु:

  • कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व:
    • यह उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में स्थित है। प्रोजेक्ट टाइगर को वर्ष 1973 में कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान) में लॉन्च किया गया था, जो कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व का हिस्सा है।
      • इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1936 में लुप्तप्राय बंगाल बाघ की रक्षा के लिये हैली नेशनल पार्क के रूप में की गई थी। 
      • इसका नाम जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इसकी स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
    • कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान कोर एरिया  बनाता है, जबकि बफर क्षेत्र में आरक्षित वन तथा सोनानदी वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
    • रिज़र्व का पूरा क्षेत्र पर्वतीय है और शिवालिक तथा बाह्य हिमालय भूगर्भीय क्षेत्रों में आता है।
    • रामगंगा, सोनानदी, मंडल, पलैन और कोसी रिज़र्व से होकर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।
    • 500 वर्ग किलोमीटर में फैले कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में 230 बाघ हैं और यहाँ प्रति सौ वर्ग किमी० 14 बाघों के साथ विश्व में सबसे अधिक बाघ घनत्व है।
    • वनस्पति:
      • यहाँ सघन नम पर्णपाती वन पाए जाते हैं। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के अनुसार कॉर्बेट में वृक्ष, झाड़ियाँ, फ़र्न, घास, जड़ी-बूटियाँ, बाँस आदि की 600 प्रजातियाँ हैं। कॉर्बेट में पाए जाने वाले सबसे ज़्यादा वृक्ष साल, खैर और शीशम हैं।
    • जीव-जंतु:
      • बाघों के अलावा कॉर्बेट में तेंदुए भी हैं। अन्य स्तनधारी जानवर जैसे जंगली बिल्लियाँ, बार्किंग डियर, चित्तीदार हिरण, सांभर हिरण आदि भी यहाँ पाए जाते हैं।
    • उत्तराखंड के अन्य प्रमुख संरक्षित क्षेत्र:

विश्व हाथी दिवस

  • यह प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को वनों में एशियाई और अफ्रीकी हाथियों की स्थिति के संबंध में जागरूकता लाने के लिये मनाया जाता है।
  • विश्व हाथी दिवस 2024 का थीम है “Personifying prehistoric beauty, theological relevance, and environmental importance अर्थात् प्रागैतिहासिक सौंदर्य, धार्मिक प्रासंगिकता और पर्यावरणीय महत्त्व को मूर्त रूप देना”।
  • वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार अनुमानित 27,312 हाथियों और 138 पहचाने गए हाथी गलियारों के साथ भारत दुनिया की लगभग 60% एशियाई हाथियों की आबादी का आवास स्थान है।
  • हाथियों की गर्भधारण अवधि लगभग 22 महीने होती है, जो किसी भी स्थलीय जीव की तुलना में सबसे लंबी होती है।
  • एशियाई हाथियों (भारतीय) को आवास की कमी, मानव-हाथी संघर्ष और अवैध शिकार के कारण IUCN रेड लिस्ट में लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।


बिहार Switch to English

गया के ब्रह्मयोनि पहाड़ी पर मिला गुड़मार

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने बिहार के गया में ब्रह्मयोनि पहाड़ी पर औषधीय पौधों की एक शृंखला की खोज़ की, जिसमें जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे (आमतौर पर गुड़मार के रूप में जाना जाता है) एक उल्लेखनीय खोज़ है जिसे मधुमेह रोधी जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है।

मुख्य बिंदु

  • वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने पहले ही मधुमेह रोधी दवा BGR-34 विकसित करने में इस औषधीय जड़ी-बूटी का उपयोग किया है।
  • गुड़मार में जिम्नेमिक एसिड (Gymnemic Acid) की उपस्थिति के कारण यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करने की विशेष क्षमता रखता है। यह आँत की बाहरी परत में रिसेप्टर साइटों पर प्रभाव डालकर कार्य करता है, जिससे मिठास की इच्छा पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
    • परिणामस्वरूप आँत कम शर्करा अणुओं को अवशोषित करती है, जिसके कारण रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है।
    • इसके अलावा इस पौधे में फ्लेवोनोइड्स और सैपोनिन्स होते हैं, जो लिपिड चयापचय को विनियमित करने में सहायता करते हैं।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)

  • CSIR भारत में सबसे बड़ा अनुसंधान और विकास (R&D) संगठन है। CSIR अखिल भारतीय स्तर का संगठन है और इसका 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंद्रों, 3 नवाचार परिसरों और 5 इकाइयों का एक गतिशील नेटवर्क है।
  • स्थापना: सितंबर 1942
  • मुख्यालय: नई दिल्ली
  • CSIR को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के माध्यम से एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करता है।
  • CSIR विभिन्न क्षेत्रों को कवर करता है - रेडियो और अंतरिक्ष भौतिकी, समुद्र विज्ञान, भूभौतिकी, रसायन, औषधि, जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो प्रौद्योगिकी से लेकर खनन, वैमानिकी, उपकरण, पर्यावरण इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी तक।
    • यह सामाजिक प्रयासों से संबंधित कई क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण तकनीकी हस्तक्षेप प्रदान करता है जिसमें पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा तथा कृषि एवं गैर-कृषि क्षेत्र शामिल हैं।

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