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जैव विविधता और पर्यावरण

भारत के जीव-जंतु और पादप डेटाबेस का विस्तार

  • 04 Jul 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, बैम्बू ड्वेलिंग बैट, मकाक, पश्चिमी घाट

मेन्स के लिये:

भारत की जीव-जंतु और पादप विविधता

चर्चा में क्यों?

जीव-जंतुओं और पादप संबंधी डेटाबेस में कई नए पशु-पक्षी तथा पौधों की प्रजातियों को शामिल किये जाने से वर्ष 2022 में भारत के जैवविविधता में काफी विस्तार हुआ है

  • इन खोजों को दो प्रकाशनों; भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India- ZSI) द्वारा "एनिमल डिस्कवरीज़- न्यू स्पीशीज़ एंड न्यू रिकॉर्ड्स 2023" और भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India- BSI) द्वारा "प्लांट डिस्कवरीज़ 2022" में संकलित किया गया है।

जीव-जंतु और पादप डेटाबेस में शामिल नए पशु-पक्षी और पौधे:

  • जीव-जंतु:  
    • वर्ष 2022 में भारत ने अपने जीव-जंतु डेटाबेस में कुल 664 पशु प्रजातियों को जोड़ा। इसमें 467 नई प्रजातियाँ और 197 नए रिकॉर्ड (भारत में पहली बार पाई गई प्रजातियाँ) शामिल हैं।
    • इस खोज में विभिन्न श्रेणियाँ शामिल थीं: स्तनधारियों की तीन नई प्रजातियाँ एवं एक नया रिकॉर्ड, पक्षियों के दो नए रिकॉर्ड, सरीसृपों की 30 नई प्रजातियाँ और दो नए रिकॉर्ड, उभयचरों की 6 नई प्रजातियाँ एवं एक नया रिकॉर्ड तथा मछलियों की 28 नई प्रजातियाँ और 8 नए रिकॉर्ड।
    • 583 प्रजातियों के साथ अधिकांश नए जीव-जंतुओं की खोज अकशेरूकी जीवों से हुई, जबकि कशेरुकियों की 81 प्रजातियाँ थीं।
      • अकशेरुकी जंतुओं में कीड़ो का सबसे बड़ा समूह था और कशेरुकियों में मछलियों का प्रभुत्व था।

नोट: 

  • कशेरुकी: इस श्रेणी में रीढ़ की हड्डी, अच्छी तरह से विकसित आंतरिक हड्डियों का ढाँचा, मस्तिष्क के साथ सिर, द्विपक्षीय समरूपता तथा जटिल आंतरिक अंगों वाले जीव-जंतु शामिल हैं। उदाहरण: स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप।
  • अकशेरुकी: इस श्रेणी में रीढ़ की हड्डी के बिना जीव-जंतुओं में सामान्यतः एक बाह्य कंकाल (Exoskeleton) या नरम शरीर होता है जिसमें भिन्न-भिन्न शारीरिक संरचना तथा सरल आंतरिक अंग प्रणालियाँ होती हैं। उदाहरण: कीड़े, कृमि, जेलीफिश।
  • केरल में सबसे अधिक नई खोजें की गईं जिनका कुल योगदान 14.6% है तथा इसके बाद कर्नाटक (13.2%) और तमिलनाडु (12.6%) का स्थान आता है।
    • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल तथा अरुणाचल प्रदेश का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
  • नई स्तनपायी प्रजातियों में लंबी उँगलियों वाला चमगादड़ मिनिओप्टेरस फिलिप्सी (Miniopterus phillipsi) और बाँस में रहने वाला चमगादड़ ग्लिस्क्रोपस मेघलायनस (Glischropus meghalayanus) शामिल हैं, दोनों मेघालय में पाए जाते हैं।

  • एक अन्य महत्त्वपूर्ण खोज सेला मकाक (मकाका सेलाई) थी, जो अरुणाचल प्रदेश में पाई जाने वाली एक नई मकाक प्रजाति है।

  • उल्लेखनीय नए रिकॉर्ड में पश्चिम सियांग, अरुणाचल प्रदेश में व्हाइट चीक्ड मकाक, मकाका ल्यूकोजेनिस को देखा जा रहा है, जो पहले दक्षिणपूर्वी तिब्बत में पाया जाता था।
  • येलो-रम्प्ड फ्लाईकैचर (Ficedula Zanthopygia) की उपस्थिति विभिन्न अन्य क्षेत्रों में होने के बाद अंडमान द्वीपसमूह के नारकोंडम द्वीप में भी पाया गया था।फिसेदुला जांथोपाइगिया​​

  • इन नई खोजों और अभिलेखों के जुड़ने से भारत की जीव विविधता में प्रजातियाँ बढ़कर 103,922 हो गईं।
  • पादप:  
    • भारत ने वर्ष 2022 में अपने पादप डेटाबेस में 339 नए पौधे टैक्सा जोड़े, जिनमें विज्ञान के लिये 186 नए टैक्सा और देश के अंदर नए वितरण रिकॉर्ड के रूप में 153 टैक्सा शामिल हैं। 
    • खोजों में विभिन्न पौधों के समूह शामिल थे: 37% बीज पौधे, 29% कवक, 16% लाइकेन, 8% शैवाल, 6% ब्रायोफाइट्स, 3% सूक्ष्मजीव और 1% टेरिडोफाइट्स।
    • नई खोजों में बीज पौधों का अनुपात सबसे अधिक है, जिसमें डाइकोटाइलडॉन 73% और मोनोकोटाइलडॉन 27% हैं।

नोट: 

  • डाइकोटाइलडॉन (Dicots): डाइकोटाइलडॉन ऐसे पौधे हैं जिनमें दो बीजपत्र या बीज पत्तियों वाले भ्रूण होते हैं।
    • इनमें विभिन्न प्रकार के पौधे शामिल हैं, जिनमें पेड़, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ और गुलाब जैसे कई प्रसिद्ध फूल शामिल हैं।   
  • मोनोकोटाइलडॉन (Monocots): मोनोकोटाइलडॉन ऐसे पौधे हैं जिनके भ्रूण एक ही बीजपत्र या बीज पत्ती के साथ होते हैं।
    • मोनोकॉट में घास, मक्का, ऑर्किड और प्याज़ जैसे पौधे शामिल हैं।
  • पश्चिमी हिमालय और पश्चिमी घाट ऐसे क्षेत्र थे जहाँ बड़ी संख्या में खोज की गई, जिनका योगदान क्रमशः 21% और 16%था।
    • केरल सबसे अधिक संख्या में पौधों की खोज करने वाले राज्य के रूप में उभरा है, जो कुल संख्या का 16.8%भाग है।
  • उल्लेखनीय पौधों की खोज में उत्तराखंड हिमालय में पाई जाने वाली नई पीढ़ी नंददेविया पुसलकर और कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु के दक्षिणी-पश्चिमी घाट में पाई जाने वाली नीलगिरिएला पुसलकर शामिल हैं।
  • इसके अतिरिक्त कैलेंथे लैमेलोसा, एक आर्किड प्रजाति जो पहले चीन और म्याँमार  में पाई जाती थी, भारत में पहली बार नगालैंड के कोहिमा में जप्फू पर्वत शृंखला में पाई गई।

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India):

  • यह देश के जंगली पादप संसाधनों का वर्गीकरण एवं पुष्प संबंधी अध्ययन करने के लिये पर्यावरण और वन मंत्रालय (MoEFCC) के अंतर्गत शीर्ष अनुसंधान संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1890 में की गई थी। 
  • इसके नौ क्षेत्रीय मंडल देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित हैं। हालाँकि इसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल के कोलकाता में है।

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India):

  • ZSI भी MoEFCC का एक अधीनस्थ संगठन है और इसकी स्थापना वर्ष 1916 में देश की असाधारण समृद्ध जीव विविधता पर ज्ञान के विकास के लिये अग्रणी संसाधनों के सर्वेक्षण एवं  अन्वेषण के लिये एक राष्ट्रीय केंद्र के रूप में की गई थी।
  • ZSI का मुख्यालय कोलकाता में है तथा देश के विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर 16 क्षेत्रीय स्टेशन स्थित हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. हाल ही में हमारे वैज्ञानिकों ने केले के पौधे की नई और भिन्न जाति की खोज की है जिसकी ऊँचाई लगभग 11 मीटर तक होती है और उसके फल का गूदा नारंगी रंग का है। यह भारत के किस भाग में खोजी गई है? (2016)

(a) अंडमान द्वीप 
(b) अनाईमलाई वन
(c) मैकाले पहाड़ियाँ
(d) पूर्वोत्तर उष्णकटिबंधीय वर्षावन

उत्तर: (a) 


प्रश्न. जैव-विविधता निम्नलिखित माध्यम/माध्यमों द्वारा मानव अस्तित्व का आधार बनी हुई है? (2011)

  1. मृदा निर्माण
  2. मृदा अपरदन की रोकथाम
  3. अपशिष्ट का पुनः चक्रण
  4. सस्य परागण

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1,2, 3 और 4

उत्तर: (d) 


प्रश्न. भारत में जैव विविधता किस प्रकार भिन्न है? जैविक विविधता अधिनियम, 2002 वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण में किस प्रकार सहायक है? (2018) 

स्रोत: द हिंदू

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