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सरिस्का टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में खनन गतिविधियों पर रोक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान में सरिस्का टाइगर रिज़र्व के निकट क्षेत्रों में की जा रही सभी खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी।
- क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) के एक किलोमीटर के दायरे में किसी भी खनन गतिविधि की अनुमति नहीं होगी।
मुख्य बिंदु:
- न्यायालय ने राजस्थान सरकार से गतिविधियों को बंद करने की योजना बनाने या उसके आदेशों के अनुपालन हेतु आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया है।
- राजस्थान सरकार ने न्यायालय को बताया कि अप्रैल 2023 में दिये गए आदेश के अनुसार खनन पर प्रतिबंध राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों से इको-सेंसिटिव ज़ोन (1 किमी.) पर लागू था तथा यह टाइगर रिज़र्व पर लागू नहीं होता था।
- अप्रैल 2023 के निर्णय के अनुसार, राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्यों के अंदर तथा इसकी सीमाओं के बाहर एक किलोमीटर के दायरे में खनन की अनुमति नहीं है।
- न्यायालय के अनुसार, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 38XA से पता चलता है कि व्याघ्र अभयारण्य पर वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की तुलना में अधिक ध्यान दिया जाता है।
सरिस्का टाइगर रिज़र्व
- परिचय:
- सरिस्का टाइगर रिज़र्व अरावली पर्वतमाला में स्थित है जो राजस्थान के अलवर ज़िले का एक हिस्सा है।
- सरिस्का को वर्ष 1955 में एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और बाद में वर्ष 1978 में इसे व्याघ्र अभयारण्य घोषित किया गया, जिससे यह भारत के प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा बन गया।
- इस रिज़र्व में खंडहर हो चुके मंदिर, किले, मंडप और एक महल हैं।
- कंकरवाड़ी किला रिज़र्व के केंद्र में स्थित है और कहा जाता है कि मुगल सम्राट औरंगज़ेब ने सिंहासन के उत्तराधिकार के संघर्ष में अपने भाई दारा शिकोह को इस किले में कैद कर लिया था।
- रिज़र्व में पांडुपोल में पांडवों से संबंधित भगवान हनुमान का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है।
- वनस्पति और जीव:
- यह रिज़र्व वनस्पतियों और जीवों में बेहद समृद्ध है तथा रॉयल बंगाल टाइगर के लिये प्रसिद्ध है।
- पार्क में तेंदुए, नीलगाय, साँभर, चीतल आदि प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
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