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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 Apr 2025
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कथक नृत्यांगना कुमुदिनी लाखिया का निधन

चर्चा में क्यों?

कथक कलाकार और कोरियोग्राफर कुमुदिनी लाखिया का अहमदाबाद स्थित उनके आवास पर आयु संबंधी बीमारी के कारण 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

मुख्य बिंदु

  • कुमुदिनी लाखिया के बारे में:
    • कुमुदिनी लाखिया, जिन्हें "कुमीबेन" भी कहा जाता था, उन  कलाकारों में शामिल थीं जिन्होंने कथक की पारंपरिक शैली के शास्त्रीय सार के साथ आधुनिक भाव-भंगिमाओं, तकनीकों और विषयवस्तु का समावेश किया। 
    • उनका जन्म 17 मई 1930 को अहमदाबाद (गुजरात) में एक संगीत-प्रेमी परिवार में हुआ था। 
    • उन्होंने कथक नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा जयपुर घराने के पंडित सुंदर प्रसाद से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने लखनऊ घराने के महान नृत्याचार्य पंडित शंभू महाराज से भी प्रशिक्षण लिया। 
    • अपने प्रशिक्षण के दौरान उन्हें पंडित बिरजू महाराज के साथ कार्य करने का अवसर भी प्राप्त हुआ, जिससे उनकी नृत्य दृष्टि और अधिक समृद्ध हुई।
    • उन्होंने न केवल भारत में, बल्कि यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया।

Kumudini Lakhia

  • कदंब की स्थापना
    • वर्ष 1964 में उन्होंने अहमदाबाद में "कदंब नृत्य और संगीत केंद्र" की स्थापना की। इस केंद्र के माध्यम से उन्होंने कथक की एक नई पीढ़ी को प्रशिक्षित किया।
  • पुरस्कार और सम्मान
    • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1982): भारत की राष्ट्रीय अकादमी द्वारा शास्त्रीय नृत्य में योगदान के लिये दिया गया सम्मान।
    • पद्म श्री (1987): भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान
    • पद्म भूषण (2010): तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
    • कालिदास सम्मान (2002): मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक पुरस्कार
    • पद्म विभूषण (2025): भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।

कथक के बारे में: 

  • परिचय:
    • कत्थक शब्द का उदभव कथा शब्द से हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ है कथा कहना। यह नृत्य मुख्य रूप से उत्तरी भारत में किया जाता है।
    • यह मुख्य रूप से एक मंदिर या गाँव का प्रदर्शन था जिसमें नर्तक प्राचीन ग्रंथों की कहानियाँ सुनाते थे।
    • यह भारत के शास्त्रीय नृत्यों में से एक है।
  • विकास:
    • पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के प्रसार के साथ कत्थक नृत्य एक विशिष्ट विधा के रूप में विकसित हुआ।
    • राधा-कृष्ण की किंवदंतियों को सर्वप्रथम ‘रास लीला’ नामक लोक नाटकों में प्रयोग किया गया था, जिसमें बाद में कत्थक कथाकारों के मूल इशारों के साथ लोक नृत्य को भी जोड़ा गया।
    • कत्थक को मुगल सम्राटों और उनके रईसों के अधीन दरबार में प्रदर्शित किया जाता था, जहाँ इसने अपनी वर्तमान विशेषताओं को प्राप्त कर लिया और एक विशिष्ट शैली के रूप में विकसित हुआ।
    • अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह के संरक्षण में यह एक प्रमुख कला रूप में विकसित हुआ।
  • नृत्य शैली:
    • आमतौर पर एक एकल कथाकार या नर्तक छंदों का पाठ करने हेतु कुछ समय के लिये रुकता है और उसके बाद शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से उनका प्रदर्शन होता है।
    • इस दौरान पैरों की गति पर अधिक ध्यान दिया जाता है; ‘एंकल-बेल’ पहने नर्तकियों द्वारा शरीर की गति को कुशलता से नियंत्रित किया जाता है और सीधे पैरों से प्रदर्शन किया जाता है।
    • ‘तत्कार’ कत्थक में मूलतः पैरों की गति ही शामिल होती है।
    • कत्थक शास्त्रीय नृत्य का एकमात्र रूप है जो हिंदुस्तानी या उत्तर भारतीय संगीत से संबंधित है।
    • कुछ प्रमुख नर्तकों में बिरजू महाराज, सितारा देवी शामिल हैं


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खाद्य उद्योग उन्नयन योजना

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

मुख्य बिंदु

मुद्दे के बारे में:

  • ऋण स्वीकृति के मामले में उत्तर प्रदेश में औसतन 101 दिन लगते हैं, जबकि बिहार में 110 दिन और तेलंगाना में 190 दिन का समय लगता है।
  • ऋण वितरण में उत्तर प्रदेश ने 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
  • उत्तर प्रदेश ने पिछले वर्ष की तुलना में 250 करोड़ रुपए अधिक बजट व्यय किया है।
  • वहीं वर्ष 2025-26 के बजट में 56 प्रतिशत की वृद्धि के साथ उत्तर प्रदेश के लिये 300 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि का प्रावधान किया गया है।

PMFME के बारे में: 

  • परिचय
    • इसे आत्मनिर्भर अभियान के तहत वर्ष 2020 में शुरू किया गया है, इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र की औपचारिकता को बढ़ावा देना तथा किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों एवं उत्पादक सहकारी समितियों को सहायता प्रदान करना है।
    • यह योजना इनपुट की खरीद, सामान्य सेवाओं और उत्पादों के विपणन के संबंध में पैमाने का लाभ उठाने के लिये एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) दृष्टिकोण अपनाती है।
    • PMFME योजना वर्तमान 35 राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों में कार्यान्वित की जा रही है।
    • इसे पाँच वर्ष (2020-21 से 2024-25) की अवधि के लिये लागू किया गया था।
  • नोडल मंत्रालय:
    • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (Ministry of Food Processing Industries- MoFPI)।


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