मुस्लिम बोर्ड सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देगा | उत्तराखंड | 15 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court- SC) के उस निर्णय को चुनौती देने की अपनी योजना की घोषणा की है, जिसमें तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को 'इद्दत' अवधि के बाद भरण-पोषण का दावा करने की अनुमति दी गई है।
मुख्य बिंदु:
- ये निर्णय कार्यसमिति की बैठक के दौरान लिये गए, जिसके तहत आठ प्रस्तावों को मंज़ूरी दी गई
- इनमें से एक प्रस्ताव सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय से संबंधित है, जो शरिया कानून का खंडन करता है।
- हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से फैसला दिया कि दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure- CrPC) की धारा 125 मुस्लिमों सहित सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है।
- न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारतीय पुरुषों को संयुक्त खाते और ATM तक निर्बाध पहुँच जैसी अटूट वित्तीय सहायता प्रदान करके गृहणियों के महत्त्व को स्पष्ट रूप से पहचानना चाहिये।
- बोर्ड इस बात पर प्रकाश डालता है कि विविधता हमारे देश की पहचान है, जो संविधान द्वारा संरक्षित है। समान नागरिक संहिता (UCC) का उद्देश्य संवैधानिक और धार्मिक दोनों स्वतंत्रताओं को चुनौती देते हुए इस विविधता को मिटाना है
- विधिक समिति उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता कानून को चुनौती देने की तैयारी कर रही है।
CrPC की धारा 125
- CrPC की धारा 125 के अनुसार, प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट पर्याप्त साधन संपन्न किसी व्यक्ति को निम्नलिखित के भरण-पोषण के लिये मासिक भत्ता देने का आदेश दे सकता है:
- उसकी पत्नी, यदि वह अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है।
- उसकी वैध या अवैध नाबालिग संतान, चाहे वह विवाहित हो अथवा नहीं, अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है
- उसकी वैध या अवैध नाबालिग संतान जो शारीरिक या मानसिक विकृतियों अथवा आघात के कारण अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है।
- उसका पिता या माता, खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ है।
इद्दत अवधि
- एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पूर्व पति से उचित एवं न्यायसंगत भरण-पोषण पाने की हकदार है, जिसका भुगतान इद्दत अवधि के भीतर किया जाना चाहिये।
- इद्दत एक अवधि है, जो आमतौर पर तीन महीने की होती है, जिसे एक महिला को अपने पति की मृत्यु या तलाक के बाद दोबारा शादी करने से पहले मनाना होता है।
बिहार में बाढ़ | बिहार | 15 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले में बागमती नदी के जलस्तर में तेज़ी से वृद्धि के कारण 18 पंचायतों के हज़ारों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है।
मुख्य बिंदु:
- बाढ़ के कारण विभिन्न पंचायतों के लाखों लोगों का सहायता के लिये अपने ब्लॉक मुख्यालयों और ज़िला मुख्यालयों से संपर्क टूट गया है।
- क्षेत्र के कई स्कूल भी बाढ़ के पानी से भर गए हैं, जिससे सैकड़ों बच्चों की शिक्षा बाधित हुई है।
- बागमती नदी नेपाल और भारत के बीच एक सीमा पार नदी है।
- इसकी यात्रा नेपाल के काठमांडू से शुरू होती है और भारत के बिहार में बोर्नस्थान के पास कोशी नदी में समाप्त होती है।
- बागमती नदी की कुल लंबाई 3 किमी. है।
- हिंदू लोग बागमती नदी को पवित्र मानते हैं और उनके लिये इसका आध्यात्मिक महत्त्व है।
- नदी के किनारे स्थित पशुपतिनाथ मंदिर शिव को समर्पित एक अन्य प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है।
- विष्णुमती नदी, धोबिखोला नदी और मनोहरा नदी बागमती नदी की सहायक नदियाँ हैं।
अर्ली लाइटनिंग डिटेक्शन सिस्टम | उत्तर प्रदेश | 15 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार अर्ली लाइटनिंग डिटेक्शन सिस्टम स्थापित करने की योजना बना रही है।
- इस प्रणाली का उद्देश्य राज्य में विशेषकर मानसून के दौरान, तड़ित (Lightning) के कारण होने वाली जनहानि को रोकना है।
मुख्य बिंदु:
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की रिपोर्ट के अनुसार, तड़ित के कारण होने वाली मृत्यु में सभी राज्यों में से उत्तर प्रदेश सबसे आगे है।
- मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने पूरे राज्य में आगमन समय (ToA) तकनीक पर आधारित अत्याधुनिक विद्युत पहचान प्रणाली स्थापित करने का निर्णय लिया, जो समय और स्थान के बारे में अधिक सटीक है।
- IMD वर्तमान में किसी क्षेत्र में तड़ित की संभावना के बारे में चेतावनी देने के लिये रडार-आधारित प्रणालियों और उपग्रह डेटा पर निर्भर करता है, लेकिन इसे वास्तविक समय की चेतावनी नहीं माना जाता है।
- ToA-आधारित प्रणाली किसी विशेष क्षेत्र में तड़ित की संभावना का कम-से-कम 30 मिनट पहले सफलतापूर्वक पता लगा सकती है और चेतावनी दे सकती है।
- उत्तर प्रदेश लाइटनिंग अलर्ट प्रबंधन प्रणाली तीन चरणों में स्थापित की जाएगी।
- पहले चरण में इसे 37 ज़िलों में लागू किया जाएगा।
- दूसरे और तीसरे चरण में इसे क्रमशः 20 और 18 ज़िलों में स्थापित किये जाने की आशा है।
रडार (रेडियो डिटेक्शन और रेंज़िंग)
- यह एक उपकरण है जो स्थान (श्रेणी एवं दिशा), ऊँचाई, तीव्रता और गतिशील तथा स्थिर वस्तुओं की गति का पता लगाने के लिये माइक्रोवेव क्षेत्र में विद्युत चुंबकीय तरंगों का उपयोग करता है
भारत मौसम विज्ञान विभाग
- IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान एवं संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
राजस्थान जनजातीय आंदोलन | राजस्थान | 15 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
दक्षिणी राजस्थान के जनजाति बहुल क्षेत्रों में एक लोकप्रिय आंदोलन स्वदेशी बीज किस्मों को संरक्षित करने के लिये कार्य कर रहा है, जिनमें से अधिकांशतः विलुप्त होने के कगार पर हैं। यह प्रयास फसल विविधता को बढ़ावा दे रहा है और जलवायु लचीलापन बढ़ा रहा है
मुख्य बिंदु:
- राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के ट्राइ-जंक्शन पर स्थित जनजातीय क्षेत्र में लगभग 1,000 गाँवों तथा बस्तियों से हज़ारों जनजातीय लोगों ने बीज महोत्सवों की शृंखला में भाग लिया।
- बीज महोत्सव में पारंपरिक बीजों का प्रदर्शन किया गया तथा उनके गुणों और महत्त्व पर संवादात्मक सत्र आयोजित किये गए।
- जनजातियों को कई पीढ़ियों से चली आ रही कृषि प्रथाओं के माध्यम से जैवविविधता की अपनी समृद्ध विरासत की रक्षा करने के लिये प्रोत्साहित किया गया।
- कृषि क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बढ़ते प्रभाव के बीच स्वदेशी बीज जनजातीय समुदायों द्वारा संरक्षित एक महत्त्वपूर्ण विरासत है।
- बाँसवाड़ा स्थित स्वैच्छिक समूह वाग्धारा बीज उत्सव कार्यक्रमों का मुख्य आयोजक था, जिसे अन्य जनजाति अधिकार समूहों, जैसे- कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठन, ग्राम स्वराज समूह, सक्षम समूह और बाल स्वराज द्वारा सुविधा प्रदान की गई थी।
उत्तराखंड पुनः जनसंख्या वृद्धि के उपाय | उत्तराखंड | 15 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के ग्रामीण विकास एवं पलायन रोकथाम आयोग ने मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट में प्रकट किया है कि भारत-चीन सीमा के निकट 11 गाँवों में कोई भी निवासी नहीं बचा है।
मुख्य बिंदु:
- यह रिपोर्ट वर्ष 2023 में 137 सीमावर्ती गाँवों के ज़मीनी सर्वेक्षण के बाद प्रस्तुत की गई।
- इन 11 गाँवों में से छह गाँव पिथौरागढ़ ज़िले में हैं- गुमकना, लुम, खिमलिंग, सागरी ढकधौना, सुमातु और पोटिंग।
- इनमें से तीन चमोली ज़िले में हैं- रेवल चक कुरकुटी, फगती और लामतोल तथा दो उत्तरकाशी ज़िले में हैं- नेलांग एवं जादुंग।
- आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सरकार के लिये विभिन्न सुझाव शामिल हैं, जैसे:
- सुगम्यता मानदंडों में ढील देकर उन क्षेत्रों में सीमा पर्यटन को बढ़ावा देना।
- सीमावर्ती गाँवों में मनरेगा कार्यक्रम के तहत 100 दिनों के स्थान पर 200 दिनों का रोज़गार उपलब्ध कराना।
- केंद्र द्वारा 'वाइब्रेंट विलेज' के रूप में चिह्नित 51 सीमावर्ती गाँवों के निकट स्थित स्थानों का विकास करना।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Villages Programme- VVP)
- यह एक केंद्रीय वित्तपोषित योजना है जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट वर्ष 2022-23 (वर्ष 2025-26 तक) में उत्तर में सीमावर्ती गाँवों को विकसित करने और ऐसे सीमावर्ती गाँवों के निवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ की गई।
- इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्र शामिल होंगे।
- इसके तहत 2,963 गाँवों को कवर किया जाएगा, जिनमें से 663 को पहले चरण में कवर किये जाएंगे
- ग्राम पंचायतों की सहायता से ज़िला प्रशासन द्वारा वाइब्रेंट विलेज एक्शन प्लान बनाए जाएंगे
- वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की वजह से ‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ के साथ ओवरलैप की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act- MGNREGA) योजना
- ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किया गया मनरेगा विश्व के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- यह पहल कानूनी गारंटी प्रदान करती है, जिससे किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों के लिये प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का रोज़गार सुनिश्चित होता है।
- प्रतिभागी सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य में संलग्न होते हैं, जो वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी अर्जित करते हैं।
छत्तीसगढ़ का पहला डिजिटल प्लेनेटेरियम | छत्तीसगढ़ | 15 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार के सहयोग से छत्तीसगढ़ का पहला डिजिटल तारामंडल/प्लेनेटेरियम उग्रवाद प्रभावित दंतेवाड़ा ज़िले में स्थापित किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु:
- यह पहल दंतेवाड़ा ज़िला प्रशासन द्वारा संस्कृति मंत्रालय और राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (NCSM) की सहायता से की गई है।
- संस्कृति मंत्रालय की विज्ञान एवं संस्कृति संवर्द्धन योजना, 2021 के अंतर्गत दंतेवाड़ा के कारली में डिजिटल तारामंडल स्थापित करने की योजना जल्द ही शुरू होगी
- ज़िला प्रशासन ने प्लेनेटेरियम के लिये सहयोग का अनुरोध किया और श्रेणी III (5 लाख से कम जनसंख्या) के अंतर्गत पूर्ण वित्तीय सहायता के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई है।
- इस पहल में शैक्षिक उन्नति, वैज्ञानिक चेतना, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रगति के साथ-साथ आकर्षक दृश्य-श्रव्य प्रयोग जैसे विभिन्न तत्त्व शामिल हैं
- प्लेनेटेरियम के निर्माण के लिये 7.95 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है।
- घने जंगलों के बीच बसा यह डिजिटल प्लेनेटेरियम एक प्रमुख पर्यटन पहल होगी
- यह स्थानीय बच्चों के भविष्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और भावी पीढ़ियों को अंतरिक्ष विज्ञान में कॅरियर बनाने के लिये प्रेरित करेगा।
राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (National Council of Science Museums- NCSM)
- वर्ष 1978 में राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (NCSM) की स्थापना राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालयों के लिये एक केंद्रीय समन्वय एजेंसी के रूप में की गई थी
- यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ((DST) के साथ संयुक्त रूप से संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान है
- NCSM विज्ञान केंद्रों और संग्रहालयों का विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है जो एक ही प्रशासनिक छत्र के तहत कार्य करता है।