उत्तराखंड
उत्तराखंड में UCC को राष्ट्रपति की मंज़ूरी
- 14 Mar 2024
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चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित समान नागरिक संहिता विधेयक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सहमति के साथ कानून बन गया है।
- आज़ादी के बाद UCC अपनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है।
मुख्य बिंदु:
- राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 को अपनी सहमति दी।
- UCC सामाजिक समानता के महत्त्व को सिद्ध कर समरसता को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- राज्य में इसके लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने के साथ ही महिला उत्पीड़न पर भी अंकुश लगेगा।
समान नागरिक संहिता
- समान नागरिक संहिता का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में किया गया है, जो राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व (Directive Principles of State Policy- DPSP) का अंग है।
- ये निदेशक तत्त्व कानूनी रूप से प्रवर्तनीय नहीं होते हैं, लेकिन नीति निर्माण में राज्य का मार्गदर्शन करते हैं।
- UCC का कुछ लोगों द्वारा राष्ट्रीय अखंडता और लैंगिक न्याय को बढ़ावा देने के एक तरीके के रूप में समर्थन किया जाता है तो कुछ लोगों द्वारा इसे धार्मिक स्वतंत्रता तथा विविधता के लिये खतरा बताकर इसका विरोध किया जाता है।
- भारत में गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ समान नागरिक संहिता लागू है। वर्ष 1961 में पुर्तगाली शासन से स्वतंत्रता के बाद गोवा ने अपने सामान्य पारिवारिक कानून को बनाये रखा, जिसे गोवा नागरिक संहिता (Goa Civil Code) के रूप में जाना जाता है।
- शेष भारत अपनी धार्मिक या सामुदायिक पहचान के आधार पर विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों का पालन करता है। शेष भारत में धार्मिक या सामुदायिक पहचान के आधार पर विभिन्न पर्सनल लॉज़ (personal laws) का पालन किया जाता है।
अनुच्छेद 201
- इसमें कहा गया है कि जब कोई विधेयक राष्ट्रपति के विचार के लिये आरक्षित होता है, तो राष्ट्रपति विधेयक पर सहमति दे सकता है या उस पर रोक लगा सकता है।
- राष्ट्रपति विधेयक पर पुनर्विचार करने के लिये राज्यपाल को उसे सदन या राज्य के विधानमंडल के सदनों को वापस भेजने का निर्देश भी दे सकता है।