महाकुंभ मेला 2025: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन | उत्तर प्रदेश | 14 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
पृथ्वी पर सबसे बड़े मानव समागम के रूप में मनाया जाने वाला महाकुंभ मेला 2025, पौष पूर्णिमा के अवसर पर शुभ 'शाही स्नान' के साथ शुरू हुआ।
- प्रत्येक 144 वर्ष बाद एक दुर्लभ खगोलीय संयोग के दौरान आयोजित होने वाले इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के पवित्र संगम पर 1.5 करोड़ (15 मिलियन) से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- 45 दिवसीय आध्यात्मिक उत्सव, जो 26 फरवरी को समाप्त होगा, में कई महत्त्वपूर्ण स्नान अनुष्ठान शामिल होंगे, जिनमें शामिल हैं:
- मकर संक्रांति: 14 जनवरी
- मौनी अमावस्या: 29 जनवरी
- बसंत पंचमी: 3 फरवरी
- इन आयोजनों का अत्यधिक धार्मिक महत्त्व है, तथा ये भारत और विश्व भर से भक्तों, संतों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं।
- नमामि गंगे यज्ञ:
- त्योहार की पूर्व संध्या पर, नमामि गंगे टीम ने गंगा नदी की पवित्रता और प्रवाह को बनाए रखने के लिये निरंतर प्रयास करने की शपथ लेने के लिये संगम पर एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया।
- इस कार्यक्रम में 200 से अधिक गंगा सेवादूतों और हजारों स्वयंसेवकों ने भाग लिया, जिसमें गंगा स्वच्छता अभियान में युवाओं के योगदान को विशेष रूप से मान्यता दी गई।
- सुरक्षा एवं संरक्षा उपाय:
- लाखों तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये उत्तर प्रदेश पुलिस और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमों को महाकुंभ क्षेत्र में तैनात किया गया है।
- संगम पर स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिये विशेष जल पुलिस इकाइयां तैनात की जाती हैं।
- महाकुंभ मेला 2025:
- महाकुंभ मेला 2025, एक पवित्र तीर्थस्थल, प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित किया जाएगा।
- यह प्रति 12 वर्ष में चार स्थानों अर्थात प्रयागराज (UP), हरिद्वार (UK), नासिक (महाराष्ट्र) और उज्जैन (MP) के बीच घूमता हुआ आयोजित होता है।
- कुंभ शब्द का तात्पर्य एक बर्तन या पात्र से है, जिसके संबंध में हिंदू पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि उसमें अमरता का अमृत भरा हुआ था।
- उत्तर प्रदेश ने प्रयागराज में महाकुंभ क्षेत्र को 4 महीने अर्थात् 1 दिसंबर, 2024 से 31 मार्च, 2025 तक के लिये महाकुंभ मेला नामक एक नए ज़िले के रूप में घोषित किया है।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
- NDRF का परिचय: NDRF भारत में प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के लिये विशेष प्रतिक्रिया के उद्देश्य से गठित एक विशेष बल है।
- गठन और उद्देश्य: NDRF का गठन वर्ष 2006 में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत किया गया था। इसका प्राथमिक उद्देश्य प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं का त्वरित और प्रभावी ढंग से उत्तर देना है।
- संरचना: NDRF में सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और सशस्त्र सीमा बल (SSB) सहित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की बटालियनें शामिल हैं।
- प्रत्येक बटालियन को आपदा प्रतिक्रिया के लिये विशेष प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान किये गये हैं।
उत्तर प्रदेश घाटे में चल रही डिस्कॉम के निजीकरण की संभावना तलाश रहा है | उत्तर प्रदेश | 14 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने घाटे में चल रही अपनी दो विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का निजीकरण करने या सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं।
- इस कदम से नौकरी की सुरक्षा और सेवा वितरण पर संभावित प्रभाव को लेकर चिंतित कर्मचारियों में विरोध भड़क गया है।
मुख्य बिंदु
- राज्य के विद्युत निगम ने हाल ही में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) के लिये निजीकरण या PPP मॉडल तैयार करने के लिये सलाहकारों और लेनदेन सलाहकारों को आमंत्रित करते हुए एक निविदा जारी की।
- दोनों डिस्कॉम भारी वित्तीय घाटे से जूझ रहे हैं, जिससे सरकार को दक्षता और सेवा की गुणवत्ता में सुधार के लिये विकल्प तलाशने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
- सरकार ने स्पष्ट किया है कि शेयरधारिता संरचना सहित साझेदारी की विशिष्टताएँ परामर्शदाताओं की अनुशंसाओं के आधार पर निर्धारित की जाएँगी।
- ये विशेषज्ञ डिस्कॉम की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करेंगे और निजीकरण या PPP के लिये उपयुक्त मॉडल का प्रस्ताव देंगे।
- इस मॉडल से यह अपेक्षा की जाती है कि निजी संस्थाओं को परिचालन विशेषज्ञता और निवेश लाने की अनुमति मिलेगी, साथ ही सार्वजनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये कुछ स्तर पर सरकारी निगरानी भी बनी रहेगी।
डिस्कॉम क्या है?
- परिचय:
- विद्युत क्षेत्र में डिस्कॉम (DISCOM) का अर्थ वितरण कंपनी है। यह घरों, व्यवसायों और उद्योगों सहित उपभोक्ताओं को विद्युत वितरण के लिये ज़िम्मेदार संस्थाओं को संदर्भित करता है।
- डिस्कॉम की भूमिका:
- विद्युत वितरण: वे अपने निर्दिष्ट क्षेत्रों में उपभोक्ताओं तक विद्युत पहुँचाने के लिये बुनियादी ढाँचे और परिचालन का प्रबंधन करते हैं।
- बिलिंग और राजस्व संग्रहण: डिस्कॉम्स मीटरिंग, बिलिंग और विद्युत खपत के लिये भुगतान एकत्र करने का काम संभालते हैं।
- रखरखाव और उन्नयन: वे ट्रांसफार्मर, सबस्टेशन और विद्युत लाइनों सहित वितरण नेटवर्क के रखरखाव के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- ग्राहक सेवा: डिस्कॉम्स बिजली (विद्युत) कटौती, मीटर स्थापना और विद्युत आपूर्ति से संबंधित शिकायतों जैसे मुद्दों का समाधान करती हैं।