उत्तर प्रदेश
महाकुंभ 2025
- 06 Jan 2025
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक होने वाला महाकुंभ मेला, अपने पारंपरिक आध्यात्मिक महत्त्व को बढ़ाते हुए, व्यापक स्वास्थ्य, शैक्षिक और पर्यावरणीय पहलों को समाहित करने के लिये तैयार है।
मुख्य बिंदु
- महाकुंभ 2025 के लिये की गई पहल
- नेत्र कुंभ (नेत्र शिविर):
- नौ एकड़ में विस्तृत 'नेत्र कुंभ' का उद्घाटन किया गया।
- 150 से अधिक अस्पतालों के 500 से अधिक डॉक्टरों का लक्ष्य पाँच लाख (500,000) नेत्र रोगियों का उपचार करना है।
- शिविर में तीन लाख (300,000) निःशुल्क चश्मे वितरित करने और 50,000 मोतियाबिंद सर्जरी करने की योजना है।
- वर्ष 2019 कुंभ के दौरान, इस पहल ने 1.5 लाख (150,000) चश्मे वितरित करके और तीन लाख (300,000) व्यक्तियों की जाँच करके लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में स्थान अर्जित किया।
- आगे के उपचार की आवश्यकता वाले रोगियों को उनके निवास के निकट के अस्पतालों में सर्जरी के लिये रेफरल कार्ड प्राप्त होंगे।
- नेत्र कुंभ (नेत्र शिविर):
- दंत कुंभ (दंत चिकित्सा शिविर):
- विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा पहली बार दंत कुंभ का आयोजन किया जाएगा।
- 10 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाले इस शिविर में पाँच डेंटल चेयर की सुविधा होगी।
- प्रत्येक चेयर से प्रतिदिन 500 दंत परीक्षण करने, निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराने तथा श्रद्धालुओं को निःशुल्क मौखिक देखभाल उत्पाद वितरित करने की अपेक्षा की जाती है।
- ज्ञान कुंभ:
- शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एक हज़ार से अधिक प्रमुख शिक्षकों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षा मंत्रियों और केंद्र तथा राज्य सरकारों के सचिवों को एक साथ लाने के लिये 'ज्ञान महाकुंभ' का आयोजन कर रहा है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के कार्यान्वयन पर केंद्रित होगा और इसके सत्र 7 से 9 फरवरी तक आयोजित होंगे।
- चर्चा में निजी शिक्षण संस्थानों की भूमिका, महिला शिक्षा, छात्र सहभागिता, पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ और भारतीय भाषाओं के महत्त्व जैसे विषयों को शामिल किया जाएगा।
- ग्रीन कुंभ पहल:
- पर्यावरण चेतना को बढ़ावा देने के लिये, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की पर्यावरण गतिविधियों से जुड़े स्वयंसेवकों ने 'एक थैला, एक थाली' पहल शुरू की है।
- इस अभियान का उद्देश्य तीर्थयात्रियों को 1.5 मिलियन स्टील प्लेटें और 2 मिलियन कपड़े के थैले वितरित करना, डिस्पोजेबल वस्तुओं के उपयोग को कम करना और सतत् प्रथाओं को प्रोत्साहित करना है।
- दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक मेला क्षेत्र में खाद्य सेवाएँ संचालित करने वाले संगठनों को 150,000 से अधिक स्टील की प्लेटें वितरित की जा चुकी हैं।
- इसके अतिरिक्त, ज्ञान महाकुंभ में 31 जनवरी को 'हरित महाकुंभ' (हरित कुंभ) कार्यक्रम निर्धारित है।
- पर्यावरण चेतना को बढ़ावा देने के लिये, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की पर्यावरण गतिविधियों से जुड़े स्वयंसेवकों ने 'एक थैला, एक थाली' पहल शुरू की है।
- विद्या कुंभ:
- श्रमिक परिवारों के बच्चों को अपने परिवारों के साथ विद्या कुंभ में भाग लेने का अवसर मिलेगा, जिससे उन्हें महाकुंभ के सांस्कृतिक और शैक्षिक पहलुओं का अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
- बच्चों को पढ़ाई में प्रगति करने में सहायता करने के लिये उन्हें निःशुल्क पुस्तकें, पेन और अन्य शैक्षिक सामग्री वितरित की जाएगी।
- श्रमिक परिवारों के अभिभावकों के लिये जागरूकता सत्र आयोजित किये जाएँगे ताकि उन्हें शिक्षा के महत्त्व को समझने में सहायता मिल सके और उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा में सहयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
- वंचित बच्चों तक पहुँच:
- RSS से जुड़े संगठन विद्या भारती के स्वयंसेवक झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों और उनके परिवारों के लिये महाकुंभ की यात्रा की सुविधा प्रदान करने की योजना बना रहे हैं, ताकि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सवों में समावेशिता और व्यापक भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
- ये बहुआयामी पहल महाकुंभ मेला वर्ष 2025 के प्रति समग्र दृष्टिकोण को दर्शाती हैं, जो आध्यात्मिकता को स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़ती हैं, जिससे लाखों प्रतिभागियों के लिये अनुभव समृद्ध होता है।
महाकुंभ
- कुंभ मेला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
- यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान प्रतिभागी पवित्र नदी में स्नान करते हैं या डुबकी लगाते हैं।
- यह नासिक में गोदावरी नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा और प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर होता है। संगम को 'संगम' कहा जाता है।