मध्य प्रदेश Switch to English
MP ने पिट्टू को पुनर्जीवित किया: स्ट्रीट स्पोर्ट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिये सभी मध्य प्रदेश कॉलेजों के खेल कैलेंडर में पिट्टू को शामिल किया है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: पिट्टू को पुनर्जीवित करना, जो एक पारंपरिक भारतीय खेल है, ऐसा माना जाता है कि भागवत पुराण के अनुसार इसे भगवान कृष्ण ने खेला था।
- खेल संरचना और नियम :
- पिट्टू 26 मीटर x 14 मीटर के मैदान पर छह खिलाड़ियों की दो टीमों (प्रत्येक टीम में चार स्थानापन्न खिलाड़ियों की अनुमति) के साथ खेला जाता है।
- खेल दो हिस्सों में होता है, प्रत्येक 10 मिनट तक चलता है।
- हमलावर टीम सात रंगीन टाइलों (पिट्टू) के ढेर को गिरा देती है और उसे पुनः जोड़ना होता है, जबकि बचाव करने वाली टीम ऐसा करने से रोकने का प्रयास करती है।
- महत्त्व:
- ऐसा माना जाता है कि पिट्टू की उत्पत्ति दक्षिणी भारतीय उपमहाद्वीप में हुई थी।
- पिट्टू का पुनरुद्धार, छात्रों को भगवान कृष्ण के जीवन के बारे में पढ़ाने और उन्हें मध्य प्रदेश की विरासत से जोड़ने के मध्य प्रदेश सरकार के प्रयास का हिस्सा है।
- जनवरी 2021 में प्रधानमंत्री द्वारा अपने मन की बात भाषण में इसका उल्लेख करने के बाद इस खेल ने नए सिरे से ध्यान आकर्षित किया ।
- पिट्टू का प्रदर्शन राष्ट्रीय खेलों के दौरान किया गया था और यहाँ तक कि वर्ष 2015-16 में लागोरी विश्व कप में भी इसका प्रदर्शन किया गया था।
छत्तीसगढ़ Switch to English
लखपति दीदी- छत्तीसगढ़ में जीवन का परिवर्तन
चर्चा में क्यों
हाल ही में लखपति दीदी योजना ने छत्तीसगढ़ में महिलाओं के जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला है, क्योंकि इससे उन्हें विभिन्न स्वयं सहायता समूह (SHG) पहलों के माध्यम से सहायता मिली है, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनने में मदद मिली है। मुख्य बिंदु:
- लखपति दीदी योजना: केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का लक्ष्य ज़िले की 35,000 महिलाओं को लखपति बनाना है।
- " लखपति दीदी" स्वयं सहायता समूह की वह सदस्य होती है, जिसने सफलतापूर्वक एक लाख रुपए या उससे अधिक की वार्षिक घरेलू आय प्राप्त कर ली हो।
- यह आय कम-से-कम चार कृषि मौसमों या व्यवसाय चक्रों तक बनी रहती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि औसत मासिक आय दस हजार रुपए (10,000 रुपए) से अधिक हो।
- इसकी शुरुआत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) द्वारा की गई थी, जिसमें प्रत्येक स्वयं सहायता समूह (SHG) परिवार को मूल्य शृंखला हस्तक्षेपों के साथ-साथ विभिन्न आजीविका गतिविधियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिवर्ष 1,00,000 रुपए या उससे अधिक की स्थायी आय होती है।
- उद्देश्य: इस पहल का उद्देश्य न केवल महिलाओं की आय में सुधार करके उन्हें सशक्त बनाना है, बल्कि स्थायी आजीविका प्रथाओं के माध्यम से उनके जीवन में बदलाव लाना है।
- ये महिलाएँ अपने समुदायों में आदर्श के रूप में कार्य करती हैं और प्रभावी संसाधन प्रबंधन एवं उद्यमशीलता की शक्ति का प्रदर्शन करती हैं।
- " लखपति दीदी" स्वयं सहायता समूह की वह सदस्य होती है, जिसने सफलतापूर्वक एक लाख रुपए या उससे अधिक की वार्षिक घरेलू आय प्राप्त कर ली हो।
- उपलब्धियाँ: वर्ष 2023 में लखपति दीदी योजना की शुरुआत के बाद से, एक करोड़ महिलाओं को पहले ही लखपति दीदी बनाया जा चुका है और सरकार ने ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदलने वाली 9 करोड़ महिलाओं के साथ 83 लाख SHG की सफलता को मान्यता देते हुए लखपति दीदी के लक्ष्य को 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करने की घोषणा की है।
- लुण्ड्रा विकासखण्ड (छत्तीसगढ़) में सकारात्मक परिवर्तन की सूचना मिली
- शोभा लाकड़ा का व्यक्तिगत अनुभव
- समूह: चंपा महिला स्वयं सहायता समूह
- गतिविधियाँ: बकरी और भेड़ पालन
- लाभ: सरकारी योजनाओं की जानकारी, आपसी सहयोग, ऋण और सालाना ₹1 लाख से अधिक की कमाई
उत्तर प्रदेश Switch to English
अटल आवासीय विद्यालय
चर्चा में क्यों
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने वंचित छात्रों के लिये शिक्षा के अवसरों को बढ़ाने के लिये अटल आवासीय विद्यालयों के बड़े विस्तार की घोषणा की ।
मुख्य बिंदु:
- वर्तमान में, 18 अटल आवासीय विद्यालय हैं ।
- यह विस्तार चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा, अगले शैक्षणिक सत्र में 57 ज़िलों में स्कूलों की योजना बनाई गई है, तीसरे चरण में 350 तहसीलों तक, चौथे चरण में 825 विकास खंडों तक तथा पाँचवें चरण में न्याय पंचायत स्तर तक इसका विस्तार किया जाएगा।
- स्कूल की विशेषताएँ:
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर स्थापित इन विद्यालयों को समावेशी शिक्षा के लिये एक मानक स्थापित करने तथा निरक्षरता और अभाव से निपटने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- नए स्कूलों में कक्षा 1 से 12 तक के छात्र होंगे और इनमें बाल वाटिकाएँ भी शामिल होंगी ।
- स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे अभिभावकों को सूचित रखने के लिये उनके साथ अर्द्धवार्षिक बैठकें आयोजित करें।
बाल वाटिकाएँ
- बाल वाटिका एक प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों को संज्ञानात्मक, सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से विकसित करने में मदद करना है
- यह कार्यक्रम खेल-आधारित शिक्षा पर केंद्रित है और बच्चों के लिये समावेशी तथा स्वागतयोग्य वातावरण बनाने के लिये तैयार किया गया है।
न्याय पंचायत
- न्याय पंचायत भारत की पंचायती राज व्यवस्था में एक न्यायिक प्रणाली है जो ग्रामीण स्तर पर विवादों का समाधान करती है। न्याय पंचायतों को भारतीय न्यायिक प्रणाली का सबसे बुनियादी स्तर माना जाता है
- न्याय पंचायतों के कुछ कार्य इस प्रकार हैं
- विवादों का समाधान: न्याय पंचायतें छोटे सिविल और आपराधिक विवादों का समाधान करती हैं
- न्याय प्रदान करना: न्याय पंचायतें शीघ्र और त्वरित न्याय प्रदान करती हैं
- अपराधियों को दंडित करना: न्याय पंचायतें उल्लंघनकर्त्ताओं को दंडित करने और मामूली ज़ुर्माना लगाने में सक्षम हैं। लेकिन वे व्यक्तियों को जेल में नहीं डालती है।
- लोकतंत्र का विकेंद्रीकरण: न्याय पंचायतें लोकतांत्रिक व्यवस्था को विकेंद्रीकृत करने में मदद करती हैं।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा में बढ़ती ड्रग की समस्या
चर्चा में क्यों
हाल ही में हरियाणा के अधिकारियों ने चुनाव की घोषणा के बाद से 14 करोड़ रुपए मूल्य की ड्रग्स और शराब ज़ब्त की, जिससे राज्य में ड्रग से संबंधित मुद्दों पर चल रही चिंता उजागर हुई।
मुख्य बिंदु
- हरियाणा पुलिस ने दिसंबर 2023 तक नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS), 1985 के तहत 3,757 FIR दर्ज कीं और 5,350 लोगों को गिरफ्तार किया।
- इस ज़ब्ती में 590 किलोग्राम चरस, 4,950 किलोग्राम गाँजा, 34 किलोग्राम हेरोइन, 310 किलोग्राम अफीम और 33,602 किलोग्राम चूरा पोस्त शामिल है, जिसमें सिरसा मामलों तथा गिरफ्तारियों (582 मामले, 766 गिरफ्तारियाँ) में अग्रणी है।
- हरियाणा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अनुसार, ड्रग मामलों में हरियाणा के शीर्ष 10 ज़िले (1 जनवरी से 8 दिसंबर, 2023) सिरसा, फरीदाबाद, गुरुग्राम, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, अंबाला, यमुनानगर, हिसार, रोहतक, पंचकूला हैं
- ग्रामीण एवं औद्योगिक विकास अनुसंधान केंद्र तथा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा किये गए अध्ययनों में ड्रग्स की समस्या को युवाओं की बेरोज़गारी और हताशा से जोड़ा गया है।
- हरियाणा में बेरोजगारी दर :
- बेरोज़गारी दर श्रम बल में बेरोज़गार व्यक्तियों का प्रतिशत है।
- वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (CWS) दृष्टिकोण के आधार पर, किसी व्यक्ति को बेरोज़गार माना जाता है यदि उसने संदर्भ सप्ताह के दौरान एक घंटे भी काम नहीं किया हो, लेकिन कम-से-कम एक घंटे के लिये काम के लिये उपलब्ध था या काम की मांग की थी।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) अप्रैल-जून 2024 रिपोर्ट के अनुसार, 15-29 आयु वर्ग के लिये शहरी बेरोज़गारी दर अप्रैल-जून 2024 तिमाही में बढ़कर 11.2% हो गई, जो जनवरी-मार्च 2024 तिमाही में 9.5% थी।
- शहरी क्षेत्रों में 15-29 आयु वर्ग की महिलाओं के लिये बेरोज़गारी दर अप्रैल-जून में बढ़कर 17.2% हो गई, जबकि पिछली तिमाही में यह 13.9% थी ।
- हरियाणा का हृदय परिवर्तन अभियान
- इस अभियान का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से ड्रग्स के त्याग को प्रोत्साहित करके ड्रग्स के आदी लोगों और तस्करों के व्यवहार में परिवर्तन लाना है।
- जिन ड्रग्स विक्रेता की पहचान की गई है उन्हें उपभोक्ता गाँव के बुज़ुर्गों, समुदाय और एक पंडित के समक्ष पेश किया जाएगा।
- उन्हें उनके जीवन, परिवार और समुदाय पर ड्रग्स के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित किया जाएगा।
- एक बर्तन में नमक डालने की प्रतीकात्मक क्रिया से संबंधित एक समारोह ड्रग्स के त्याग का प्रतीक होगा। 'नमक-लोटा अभियान' (बुज़ुर्गों के सामने ड्रग्स से दूर रहने की शपथ)
- प्रतिभागी भगवान एवं गाँव के समुदाय के समक्ष नशा छोड़ने की शपथ लेंगे।
- गरीबी के कारण फेरीवालों को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिये बनाई गई सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक किया जाएगा ताकि उन्हें वैकल्पिक आजीविका प्रदान की जा सके।
- हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (HSNCB) ने 'चक्रव्यूह: द एस्केप रूम' नामक एक अग्रणी परियोजना शुरू की है जिसका उद्देश्य किशोरों को मादक पदार्थों की लत से दूर रखना है।
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