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ICSSR का नया विज़न : प्रासंगिक नीति के लिये अनुसंधान को बढ़ावा

  • 28 Jun 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR) द्वारा प्रदान की गई शोध परियोजनाओं को एक साथ आगे बढ़ाने के प्रयास में नीतिगत अनिवार्यताओं के साथ समन्वित होने वाले "शुद्ध वैचारिक अनुसंधान" द्वारा आगे बढ़ने के लिये शीर्ष सामाजिक विज्ञान अनुसंधान निकाय ने प्रमुख क्षेत्रों में भविष्य के लिये ब्लू प्रिंट तैयार किया है| इसने IMPRESS (Impactful Policy Research in Social Sciences -सामाजिक विज्ञान में प्रभावशाली नीति अनुसंधान) नामक एक विज़न दस्तावेज़ सरकार को भेजा है|

विज़न डॉक्यूमेंट में शामिल विषय  

  • इसके अलावा निकाय ने संभावित विषयों की एक विस्तृत सूची भी तैयार की है जिसके आधार पर वे अनुसंधान का समर्थन करना चाहेंगे।
  • सरकार को भेजे गए दस्तावेज़ में कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की गई है। इनमें सार्वजनिक-निजी साझेदारी, खाद्य सुरक्षा, मेक इन इंडिया (वर्तमान सरकार की एक प्रमुख नीतिगत पहल), संघवाद, क्षेत्रवाद और इसके प्रभाव आदि पर शोध प्रस्ताव शामिल हैं।
  • ज़रूरी बात यह है कि दस्तावेज़ में उल्लिखित महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ कराने का विचार है।
  • फेक न्यूज़, पेड न्यूज़ और मीडिया स्वामित्व, अनुसंधान के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में शामिल हैं|
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ साझा दस्तावेज़ के अलावा,  ICSSR ने आंतरिक रूप से अनुसंधान के लिये कुछ प्रमुख विषयों को भी तैयार किया है। इनमें कृषि क्षेत्र के मुद्दे, किसानों की समस्याएँ, कृषि विकास, गरीबी उन्मूलन, विनिर्माण पुनरुद्धार, व्यापार और निवेश नीति, उदारीकरण आदि शामिल हैं। 

इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR)

  • इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR) की स्थापना 1969 में भारत सरकार द्वारा देश में सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये की गई थी।
  • इसके मुख्य कार्य हैं-
    1. सामाजिक विज्ञान अनुसंधान की प्रगति की समीक्षा करना और अपने उपयोगकर्त्ताओं को सलाह देना|
    2. सामाजिक विज्ञान अनुसंधान कार्यक्रमों और परियोजनाओं को प्रायोजित करना और सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान के लिये संस्थानों और व्यक्तियों को अनुदान देना|
    3. सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान के लिये छात्रवृत्ति और फैलोशिप की व्यवस्था करना|
    4. उन क्षेत्रों को इंगित करना जिनमें सामाजिक विज्ञान अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिये और उपेक्षित या नए क्षेत्रों में अनुसंधान के विकास के लिये विशेष उपायों को अपनाना|
    5. सामाजिक विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में कार्यरत संस्थानों, संगठनों और पत्रिकाओं को वित्तीय सहायता देना|
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