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नशीली दवाओं की तस्करी में इंटरनेट की भूमिका

  • 16 Mar 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नशीली दवाओं की तस्करी में इंटरनेट की भूमिका, अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड, नशीली दवाओं की तस्करी

मेन्स के लिये:

नशीली दवाओं की तस्करी में इंटरनेट की भूमिका, नशीली दवाओं के खतरे से निपटने के लिये की गई पहल।

स्रोतः आई. एन. सी. बी. 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड ने अपनी वर्ष 2023 की वार्षिक रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला कि ऑनलाइन नशीले पदार्थों की तस्करी ने अवैध बाज़ार में दवाओं की उपलब्धता बढ़ा दी है।

नशीले पदार्थों की तस्करी:

  • नशीली दवाओं की तस्करी से तात्पर्य अवैध दवाओं का उत्पाद, निर्माण, वितरण और बिक्री से जुड़े अवैध व्यापार से है।
  • इसमें अवैध दवा व्यापार से जुड़ी गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है, जिसमें कोकीन, हेरोइन, मेथमफेटामाइन और सिंथेटिक जैसी दवाओं के उत्पादन के साथ-साथ इन पदार्थों का परिवहन तथा वितरण भी शामिल है।
  • नशीली दवाओं की तस्करी आपराधिक संगठनों के एक जटिल नेटवर्क के भीतर संचालित होती है जो सीमाओं, क्षेत्रों और यहाँ तक कि महाद्वीपों तक फैली हुई है।

अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • क्षेत्रीय औषधि आपूर्ति रुझान:
    • अफगानिस्तान में अवैध अफीम पोस्त की खेती (Opium Poppy Cultivation) और हेरोइन उत्पादन में प्रभावशाली तरीके से गिरावट आई है।
    • उत्तरी अमेरिका में ओपिओइड संकट (Opioid Crisis) के गंभीर परिणाम जारी हैं और मेथाडोन के अलावा अन्य सिंथेटिक ओपिओइड से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो वर्ष 2021 में 70,000 से अधिक तक पहुँच गई है।
    • मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले संगठन अमेज़ॅन बेसिन में अवैध खनन, अवैध कटाई और वन्यजीव तस्करी में अपने कार्यों का विस्तार करना जारी रखते हैं।
    • कोलंबिया और पेरू में अवैध कोका झाड़ी की खेती का रिकॉर्ड स्तर क्रमशः 13% तथा 18% बढ़ गया।
    • कोकीन के लिये एक महत्त्वपूर्ण पारगमन क्षेत्र पश्चिम और मध्य अफ्रीका में वर्ष 2021 में कोकीन की बरामदगी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई।
    • ऐसा प्रतीत होता है कि अफगानिस्तान में यूरोप और ओशिनिया में अवैध रूप से निर्मित मेथामफेटामाइन की तस्करी के लिये दक्षिण एशिया को तेज़ी से निशाना बनाया जा रहा है।
    • प्रशांत क्षेत्र के द्वीपीय राज्य नशीले पदार्थों की तस्करी के मार्गों के पारगमन स्थलों से सिंथेटिक दवाओं के लिये गंतव्य बाज़ारों में बदल गए हैं।
      • यह समुदायों और उनकी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के लिये महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ पैदा कर रहा है।
  • ऑनलाइन नशीली दवाओं की तस्करी में चुनौतियाँ:
    • ऑनलाइन नशीली दवाओं की तस्करी का परिदृश्य विकसित हो रहा है, जो नशीली दवाओं के नियंत्रण के लिये नई चुनौतियाँ पेश कर रहा है।
    • इंटरनेट पर अवैध दवाओं की बढ़ती उपलब्धता, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के आपराधिक समूहों द्वारा शोषण और फेंटेनाइल जैसे सिंथेटिक ओपिओइड की ऑनलाइन उपलब्धता के कारण ओवरडोज़ से होने वाली मौतों का जोखिम महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं।
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग:
    • मादक पदार्थों की तस्करी के लिये अपराधी वैध ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग करते हैं।
    • जाँच में पकड़े जाने से बचाव के लिये एन्क्रिप्शन विधियों, डार्कनेट पर अज्ञात ब्राउज़िंग और क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया जाता है जिससे ऑनलाइन तस्करी के अपराधों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।
      • फ्राँस के विधि प्रवर्तन अधिकारियों ने 60,000 मोबाइल फोन से 120 मिलियन से अधिक टेक्स्ट संदेश एकत्र किये।
  • रोगी सुरक्षा से संबंधित चिंताएँ:
    • इंटरनेट पर अवैध फार्मेसी उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष रूप से चिकित्सक परामर्श के बिना औषधियों का विक्रय करते हैं जिससे मरीज़ की सुरक्षा को जोखिम हो सकता है।
    • उपभोक्ताओं के लिये यह जानना असंभव है कि उनके द्वारा क्रय की गई दवाएँ जाली हैं, अस्वीकृत हैं अथवा अवैध हैं।
    • अवैध फार्मास्यूटिकल्स का वैश्विक व्यापार अनुमानित रूप से 4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • अनुशंसाएँ:
    • चुनौतियों के बावजूद, मादक दवाओं के उपयोग की रोकथाम, जागरूकता अभियान तथा औषधि उपचार सेवाओं तक पहुँच में सुधार के लिये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के अवसर हैं।
      • सरकारें विशेष रूप से युवाओं के बीच मादक पदार्थों के दुरुपयोग को रोकने के लिये अभियान चलाने के लिये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकती हैं।
    • टेलीमेडिसिन और इंटरनेट फार्मेसी स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच में सुधार कर सकती हैं और मादक दवाओं के उपयोग से संबंधित विकारों वाले रोगियों तक पहुँचने में मदद कर सकती हैं तथा अधिक लोगों तक औषधि उपचार सेवाएँ प्रदान कर सकती हैं।
    • मादक दवाओं के उपयोग के दुष्परिणामों के संबंध में जानकारी साझा करने और अशुद्ध दवाओं की चेतावनियों को संप्रेषित करने के लिये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का भी उपयोग किया जा सकता है जिससे लोगों की जान बचाई जा सकती है।
    • अवैध दवा निर्माताओं को प्रतिबंधित पदार्थों को समान विकल्पों से बदलने से रोकने के लिये एम्फैटेमिन-प्रकार और फेंटेनल के कुछ उत्तेजक पदार्थों पर अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण लगाना।
    • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की वैश्विक प्रकृति को देखते हुए आगामी खतरों की पहचान करने तथा प्रभावी समाधान विकसित करने के लिये सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नियामक अधिकारियों और निजी क्षेत्र के बीच सहयोगात्मक प्रयास आवश्यक हैं।
      • INCB मादक दवाओं की तस्करी के लिये वैध ई-कॉमर्स प्लेटफाॅर्मों के दुरुपयोग का समाधान करने के लिये अभिकर्त्ताओं से स्वैच्छिक सहयोग को प्रोत्साहित करता है।

इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड:

  • इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (INCB) संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय दवा नियंत्रण अभिसमयों के कार्यान्वयन के लिये स्वतंत्र एवं अर्द्ध-न्यायिक निगरानी निकाय है।
  • इसकी स्थापना नारकोटिक ड्रग्स कन्वेंशन, वर्ष 1961 के अनुसार वर्ष 1968 में की गई थी।
  • इसका सचिवालय ऑस्ट्रिया के वियना में स्थित है।
  • इसका सचिवालय ऑस्ट्रिया के वियना में स्थित है।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो

  • इसका गठन भारत सरकार द्वारा वर्ष 1986 में स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत किया गया था।
  • यह गृह मंत्रालय के अधीन सर्वोच्च समन्वय एजेंसी है।
  • स्वापक औषधियों और मन:प्रभावी पदार्थों पर राष्ट्रीय नीति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 पर आधारित है जो राज्य को स्वास्थ्य के लिये हानिकारक नशीली दवाओं के औषधीय प्रयोजनों को छोड़कर, उपभोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करने का निर्देश देता है।

नशीली दवाओं के खतरे को रोकने के लिये भारत द्वारा क्या पहल की गई हैं?

  • स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985: यह किसी व्यक्ति को किसी भी नशीले पदार्थ या मन:प्रभावी पदार्थ के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण और/या उपभोग करने से रोकता है।
    • अधिनियम के कार्यान्वयन में होने वाले व्यय को पूरा करने के लिये NDPS अधिनियम, 1985 के एक प्रावधान के तहत नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कोष भी बनाया गया था।
  • नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वर्ष 2018-25 के लिये दवा की मांग में कमी हेतु एक योजना तैयार की है।
    • यह योजना नशीली दवाओं पर निर्भर व्यक्तियों की निवारक शिक्षा, जागरूकता सृजन, पहचान, परामर्श, उपचार और पुनर्वास के साथ-साथ सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से सेवा प्रदाताओं के प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण पर केंद्रित है।
  • नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA): मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या से निपटने और भारत को नशा मुक्त बनाने के दृष्टिकोण के लिये वर्ष 2020 में NMBA शुरू किया गया था। यह एक त्रि-आयामी योजना है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा आपूर्ति पर अंकुश
    • सामाजिक न्याय और अधिकारिता द्वारा आउटरीच एवं जागरूकता व मांग में कमी के प्रयास
    • स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से उपचार
  • नशीली दवाओं के खतरे से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और सम्मेलन: भारत निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों का हस्ताक्षरकर्त्ता है:

निष्कर्ष

  • मादक पदार्थों की तस्करी के मुद्दे को संबोधित करने के लिये व्यापक रणनीतियों की आवश्यकता है जिसमें कानून प्रवर्तन प्रयास, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, सीमा नियंत्रण उपाय एवं अत्यधिक मांग में कमी की पहल शामिल हो।
  • अवैध नशीली दवाओं के व्यापार के आपूर्ति एवं मांग दोनों पक्षों से निपटकर, सरकारें तथा समुदाय इसके हानिकारक प्रभावों को कम करने के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा के लिये मिलकर काम कर सकते हैं।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भ्रष्टाचार के विरूद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन (UNCAC)] का ‘भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल’ होता है।
  2. UNCAC अब तक का सबसे पहला विधितः बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार-निरोधी लिखत है।
  3. राष्ट्र-पार संगठित अपराध के लिये विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट ट्रांसनेशनल ऑर्गेनाइज्ड क्राइम (UNTOC)] की एक विशिष्टता ऐसे एक विशिष्ट अध्याय का समावेशन है, जिसका लक्ष्य उन संपत्तियों को उनके वैध स्वामियों को लौटाना है जिनसे वे अवैध तरीके से ले ली गई थी।
  4. मादक द्रव्य और अपराध विषयक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय [यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स ऐंड क्राइम (UNODC)] संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा UNCAC तथा UNTOC दोनों के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिये अधिदेशित है।

उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)


मेन्स:

केस स्टडी: एक सीमांत राज्य के एक ज़िले में स्वापकों (नशीले पदार्थों) का खतरा अनियंत्रित हो गया है। इसके परिणामस्वरूप काले धन का प्रचलन, पोस्त की खेती में वृद्धि, हथियारों की तस्करी व्यापक हो गई है तथा शिक्षा व्यवस्था लगभग ठप हो गई है। संपूर्ण व्यवस्था एक प्रकार से समाप्ति के कगार पर है। इन अपुष्ट खबरों से कि स्थानीय राजनेता और कुछ पुलिस उच्चाधिकारी भी ड्रग माफिया को गुप्त संरक्षण दे रहे हैं, स्थिति और भी बदतर हो गई है। ऐसे समय परिस्थिति को सामान्य करने के लिये एक महिला पुलिस अधिकारी जो ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिये अपने कौशल के लिये जानी जाती है, पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त किया जाता है।

प्रश्न. यदि आप वही पुलिस अधिकारी हैं तो संकट के विभिन्न आयामों को चिह्नित कीजिये। अपनी समझ के अनुसार, संकट का सामना करने  के उपाय भी सुझाइये। (2019)

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