भारतीय अर्थव्यवस्था
ई-कॉमर्स का जटिल परिदृश्य
- 31 Oct 2023
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:विश्व व्यापार संगठन, ई-कॉमर्स, क्रिप्टोकरेंसी, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस(GeM), भारतनेट परियोजना, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC), राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति, उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 मेन्स के लिये:ई-कॉमर्स और संबंधित मुद्दों द्वारा प्रदान किये गए लाभ |
स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स
चर्चा में क्यों?
जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन (WTO) की हालिया बैठक में भारत ने वस्तुओं और सेवाओं में ई-कॉमर्स व्यापार की स्पष्ट परिभाषा की कमी पर चिंता जताई है।
- सटीक चित्रण के अभाव के कारण विकसित और विकासशील सदस्य देशों के बीच विरोधाभासी विचार उत्पन्न हो गए हैं, विशेषकर सीमा शुल्क लगाने के संबंध में।
ई-कॉमर्स से संबंधित विवाद के प्राथमिक कारक:
- ई-कॉमर्स में व्याख्यात्मक भिन्नता: वस्तु बनाम सेवाएँ
- विकसित और विकासशील देशों की ई-कॉमर्स की व्याख्या में भिन्नता है, विशेषकर वस्तुओं और सेवाओं पर सीमा शुल्क लगाने के संदर्भ में।
- इस चुनौती का उदाहरण नेटफ्लिक्स जैसी स्ट्रीमिंग सेवाओं के मामले में देखा जाता है, जहाँ कंटेंट (एक उत्पाद) सेवा सदस्यता के माध्यम से वितरित की जाती है।
- इस भिन्नता से WTO ढाँचे के भीतर स्पष्ट नीतियों का निर्माण और अधिक जटिल हो गया है।
- विकसित और विकासशील देशों की ई-कॉमर्स की व्याख्या में भिन्नता है, विशेषकर वस्तुओं और सेवाओं पर सीमा शुल्क लगाने के संदर्भ में।
- सीमा शुल्क से संबंधित अनिश्चितताएँ:
- WTO के सदस्य वर्ष 1998 से इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर सीमा शुल्क लगाने के संबंध में अधिस्थगन की अवधि को समय-समय पर बढ़ाते रहे हैं। इसे आखिर बार 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के दौरान बढाया गया था।
- किंतु सेवाओं में ई-कॉमर्स व्यापार के लिये एक परिभाषित ढाँचे के न होने के परिणामस्वरुप अनिश्चितताएँ उत्पन्न होती हैं, जिससे समान अवसर बनाए रखने को लेकर चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
- भारत संबद्ध विषय पर सटीक परिभाषा की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है तथा विशेष रूप से डिजिटल वस्तुओं और सेवाओं के बीच अंतर स्पष्ट करने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है क्योंकि सीमा शुल्क पहले से ही वस्तुओं पर लगाए जाते हैं किंतु सेवाओं पर नहीं।
नोट: विकसित देश शुल्क-मुक्त वातावरण का समर्थन करते हैं, जबकि विकासशील देश घरेलू उद्योगों की सुरक्षा और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) के विकास का समर्थन करने के उद्देश्य से शुल्क लगाने के लिये नीतिगत स्थान चाहते हैं।
- क्रिप्टोकरेंसी: ई-कॉमर्स व्यवधान:
- ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि क्रिप्टोकरेंसी की वृद्धि मौजूदा WTO ई-कॉमर्स ढाँचे के लिये एक चुनौती है, जिससे उन्हें इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन के रूप में वर्गीकृत करने के लिये चर्चा की तत्काल आवश्यकता है।
ई-कॉमर्स:
- परिचय:
- विश्व व्यापार संगठन ई-कॉमर्स को वस्तुओं और सेवाओं के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन, वितरण, बिक्री या डिलीवरी करने वाले प्लेटफॉर्म के रूप में परिभाषित करता है।
- इसमें डिजिटल रूप से प्रसारित किताबें, संगीत और वीडियो जैसे उत्पाद शामिल हैं।
- ई-कॉमर्स द्वारा प्रदत्त लाभ:
- सुविधा और अभिगम: इनसे ग्राहक उत्पादों और सेवाओं को अद्वितीय सुविधा एवं अभिगम प्रदान करते हुए, कभी भी, कहीं भी खरीदारी कर सकते हैं।
- डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि: उपभोक्ता डेटा तक अभिगम, व्यवसायों के ग्राहक व्यवहार, प्राथमिकताओं और रुझानों को समझने के लिये मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जिससे लक्षित विपणन एवं बेहतर ग्राहक अनुभव मिलता है।
- विविध उत्पाद पेशकश: ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म एक ही स्थान पर उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला पेश करते हैं, जिससे ग्राहकों को विभिन्न प्रकार के उत्पादों के विकल्पों में आसानी से तुलना एवं चयन करने की सुविधा मिलती है।
- सुविधाजनक भुगतान विकल्प: वर्तमान में कई भुगतान गेटवे और विकल्प उपलब्ध हैं जो व्यवसायों तथा ग्राहकों दोनों के लिये लेनदेन में सरलता एवं सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- 24/7 पहुँच: भौतिक दुकानों के विपरीत, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म 24/7 परिचालन में रहते हैं, जो पूरे विश्व में ग्राहकों के लिये उत्पादों और सेवाओं तक निरंतर पहुँच प्रदान करते हैं।
- वैश्विक पहुँच: ये प्लेटफार्म व्यवसायों के भौतिक स्थानों तक सीमित हुए बिना विश्वव्यापी बाज़ार तक पहुँचने में सक्षम बनाकर व्यापक ग्राहक आधार तक पहुँच प्रदान करता है।