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राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान मंत्रिमंडल ने राज्य के कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने और विद्यार्थियों को सुरक्षित एवं उनके अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिये ‘राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक-2025 को मंजूरी दी।
मुख्य बिंदु
- यह विधेयक राज्य सरकार के नियंत्रण में आने वाले सभी सरकारी विभागों, स्वायत्त निकायों और संस्थानों पर लागू होगा।
- राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक-2025 के तहत सभी कोचिंग संस्थानों के लिये पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। विशेष रूप से, 50 या अधिक छात्रों वाले कोचिंग संस्थान कानूनी जाँच के दायरे में आएंगे। इसके अलावा, नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिये एक विशेष नियामक प्राधिकरण गठित किया जाएगा।
- विधेयक का उद्देश्य:
- इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य छात्रों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाना है।
- यह कोचिंग संस्थानों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के साथ-साथ छात्रों के लिये सुरक्षित और सहयोगी वातावरण प्रदान करने पर केंद्रित है।
- पारदर्शिता और निगरानी:
- कोचिंग संस्थानों की पारदर्शिता और निगरानी के लिये राज्य स्तरीय पोर्टल और 24x7 हेल्पलाइन की स्थापना की जाएगी, जिससे छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता और अन्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
- दंड और अनुपालन:
- नियमों के उल्लंघन पर सख्त दंड का प्रावधान किया गया है, जिसमें पहले अपराध पर ₹2 लाख, दूसरे अपराध पर ₹5 लाख का जुर्माना और बार-बार उल्लंघन करने पर पंजीकरण रद्द करने का दंड शामिल है।
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पोषण अभियान
चर्चा में क्यों?
8 मार्च 2025 को पोषण अभियान ने अपने सात वर्ष पूरे किये, जिसके तहत देशभर में पोषण स्तर सुधारने और कुपोषण उन्मूलन के लिये उल्लेखनीय प्रयास किये गए।
मुख्य बिंदु
- पोषण अभियान के बारे में:
- पोषण अभियान (पूर्ववर्ती राष्ट्रीय पोषण मिशन) का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 8 मार्च, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजस्थान के झुंझुनू से किया गया था
- यह लक्षित एवं एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं एवं बच्चों (0-6 वर्ष) की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने पर केंद्रित है।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य स्टंटिंग, कुपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं एवं किशोरियों में) को कम करना तथा जन्म के समय कम वज़न वाले बच्चों की संख्या में कमी लाना है।
- रणनीतिक स्तंभ: इसका क्रियान्वयन चार रणनीतिक स्तंभों पर आधारित है:
- गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ: बालक के आरंभिक 1,000 दिनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ICDS, NHM और PMMVY के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण करना।
- क्षेत्रों के बीच समन्वय: समग्र पोषण के लिये जल एवं स्वच्छता जैसे मंत्रालयों के प्रयासों में समन्वय करना।
- नीति आयोग के निर्देशन में भारत की पोषण चुनौतियों पर राष्ट्रीय परिषद नीति का मार्गदर्शन करती है तथा पोषण अभिसरण की तिमाही समीक्षा करती है।
- प्रौद्योगिकी: वास्तविक समय में आँकड़ों और निगरानी के लिये पोषण ट्रैकर का उपयोग करना है तथा आँगनवाड़ी सेवाओं के वितरण का सुदृढ़ीकरण के लिये ICDS-कॉमन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाना।
- जन आन्दोलन: समुदाय द्वारा संचालित पोषण जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना।
- अभियान की प्रमुख उपलब्धियाँ
- दिसंबर 2023 के पोषण ट्रैकर के आँकड़ों के अनुसार, छह वर्ष से कम आयु के लगभग 7.44 करोड़ बच्चों का मूल्यांकन किया गया, जिसमें 36% बच्चे बौने (Stunted), 17% बच्चे कम वजन (Underweight) के और 5 वर्ष से कम आयु के 6% बच्चे कमज़ोर (Wasted) पाए गए।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) 2019-21 की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, NFHS-4 (2015-16) की तुलना में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के पोषण संकेतकों में सुधार दर्ज किया गया है—
- बौनापन 38.4% से घटकर 35.5% हो गया।
- कुपोषण 21.0% से घटकर 19.3% हो गया।
- कम वजन का प्रचलन 35.8% से घटकर 32.1% हो गया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)
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