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वनाग्नि भारत के लिये चिंता का विषय
चर्चा में क्यों?
अप्रैल से बढ़ते तापमान के कारण उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के वन क्षेत्र जल गए, जिससे संपत्तियों को नुकसान पहुँचा, वन्यजीवों की हानि हुई तथा पर्यटन क्षेत्रों में लंबे समय तक धुआँ रहा।
मुख्य बिंदु:
- नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के एक्वा और टेरा उपग्रहों पर लगे मॉडरेट रेज़ॉल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर (MODIS) सेंसर द्वारा एकत्र आँकड़ों के अनुसार, इस सीज़न (नवंबर 2023 से जून 2024) में उत्तराखंड वनाग्नि से सबसे ज़्यादा प्रभावित होगा।
- ओडिशा 1,866 आग की घटनाओं के साथ दूसरे स्थान पर रहा, आंध्र प्रदेश 1,788 आग की घटनाओं के साथ तीसरे स्थान पर रहा, महाराष्ट्र में 1,493 तथा छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्रों में 1,330 आग की घटनाएँ हुईं।
- उत्तराखंड में, दक्षिण-पश्चिमी भाग में नैनीताल, चंपावत एवं उधम सिंह नगर ज़िलों में सबसे अधिक और सबसे तीव्र आग की घटनाएँ देखी गईं।
- उत्तराखंड वन विभाग को आग के कारण 25 लाख रुपए से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ है
- राज्य सरकार ने जंगलों में चरागाह क्षेत्र में आग लगाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की योजना की घोषणा की है।
- भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के 54.4% वन कभी-कभी आग की चपेट में आते हैं, 7.4% में मध्यम स्तर पर आग लगती है तथा 2.4% में आग लगने की घटनाएँ बहुत अधिक होती हैं।
मॉडरेट रेज़ॉल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर (MODIS)
- मॉडरेट रेज़ॉल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर, टेरा (मूल रूप से EOS AM-1 के रूप में जाना जाता है) और एक्वा (मूल रूप से EOS PM-1 के रूप में जाना जाता है) उपग्रहों पर लगा एक प्रमुख उपकरण है।
- पृथ्वी के चारों ओर टेरा की कक्षा का समय इस प्रकार निर्धारित है कि यह सुबह के समय भूमध्य रेखा के पार उत्तर से दक्षिण की ओर जाती है, जबकि दोपहर के समय एक्वा भूमध्य रेखा के पार दक्षिण से उत्तर की ओर जाती है।
- टेरा MODIS और एक्वा MODIS प्रत्येक 1 से 2 दिन में संपूर्ण पृथ्वी की सतह का निरीक्षण कर रहे हैं तथा 36 वर्णक्रमीय बैंडों या तरंगदैर्घ्य समूहों में डेटा एकत्र कर रहे हैं।
- ये आँकड़े भूमि, महासागरों और निचले वायुमंडल में होने वाली वैश्विक गतिशीलता तथा प्रक्रियाओं के बारे में हमारी समझ को बेहतर बनाएंगे।
- मॉडरेट रेज़ॉल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर का प्राथमिक लक्ष्य पृथ्वी पर जलवायु और पर्यावरण के बारे में जानकारी एकत्र करना है, जिसमें विभिन्न वायुमंडलीय, भू-पृष्ठीय तथा महासागरीय मापदंडों का मापन शामिल है।
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भारत गौरव एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) ने उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के सहयोग से तमिलनाडु से उत्तराखंड के छह आध्यात्मिक स्थलों तक चलने वाली भारत गौरव एक्सप्रेस ट्रेन के लिये ऑनलाइन टिकट आरक्षण शुरू किया है।
मुख्य बिंदु:
- छह आध्यात्मिक स्थल हैं: ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग, गुप्तकाशी, केदारनाथ, जोशीमठ और बद्रीनाथ।
- यह यात्रा 13 दिनों की है और इसमें गुप्तकाशी से केदारनाथ तक हेलीकॉप्टर से यात्रा भी शामिल है।
- केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित है और मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। यह भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक है।
- रुद्रप्रयाग अलकनंदा नदी के पंच प्रयागों में से एक है, जो अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगम स्थल है।
- इसका नाम भगवान शिव के एक रूप रुद्र के नाम पर रखा गया है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने नारद मुनि को आशीर्वाद देने के लिये यहाँ 'रुद्र' के रूप में दर्शन दिये थे।
- जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली ज़िले में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) पर स्थित एक पहाड़ी शहर है।
- यह शहर एक पर्यटक नगर के रूप में कार्य करता है, क्योंकि यह राज्य के अन्य महत्त्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थलों के अलावा बद्रीनाथ, औली, फूलों की घाटी तथा हेमकुंड साहिब की यात्रा करने वाले लोगों के लिये रात्रि विश्राम स्थल के रूप में कार्य करता है।
- गुप्तकाशी रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित अपने प्राचीन विश्वनाथ मंदिर के लिये जाना जाता है जो वाराणसी के मंदिर जैसा ही है।
- ऋषिकेश देहरादून ज़िले में स्थित है। इसे आमतौर पर 'विश्व की योग राजधानी' कहा जाता है।
- यह गंगा नदी के दाहिने तट पर स्थित है और हिंदुओं के लिये एक तीर्थस्थल है, जहाँ प्राचीन ऋषि-मुनि उच्च ज्ञान की खोज में ध्यान करते थे।
उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (Uttarakhand Tourism Development Board- UTDB)
- यह उत्तराखंड राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार एक सरकारी निकाय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1976 में हुई थी और इसका मुख्यालय देहरादून में है।
- UTDB पर्यटन बुनियादी ढाँचे को विकसित करने और बढ़ावा देने, निवेश को आकर्षित करने एवं उत्तराखंड को एक पर्यटन स्थल के रूप में बाज़ार में लाने के लिये कार्य करता है।
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