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अंतर दृष्टि
चर्चा में क्यों?
7 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान, देहरादून और राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ (NAB), नई दिल्ली ने संयुक्त रूप से 'अंतर दृष्टि' का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य एवं विशेषताएँ:
- 'अंतर दृष्टि' को दृष्टिबाधित व्यक्तियों के दैनिक अनुभवों का अनुकरण करने के लिये एक अद्वितीय संवेदी अंधेरे कमरे के रूप में डिज़ाइन किया गया है।
- यह सुविधा दृष्टिहीन व्यक्तियों को पूर्ण अंधेरे में भी कार्य करने में सक्षम बनाती है, जिससे अंधेपन या कम दृष्टि वाले व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति सहानुभूति और समझ को बढ़ावा मिलता है।
- इस पहल का उद्देश्य सामान्य जनता और दृष्टिबाधित व्यक्तियों के जीवन अनुभवों के बीच अवधारणात्मक अंतर को पाटकर समावेशन को बढ़ावा देना है।
- अमर सेवा संगम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:
- उद्घाटन के दिन, NIEPVD ने विकलांगता पुनर्वास में अग्रणी संगठन अमर सेवा संगम के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- 'सक्षम समावेशन' ऐप का कार्यान्वयन:
- इस साझेदारी के माध्यम से, NIEPVD विकासात्मक विकलांगता वाले बच्चों की शीघ्र पहचान, हस्तक्षेप और ट्रैकिंग के लिये अमर सेवा संगम द्वारा विकसित 'सक्षम समावेशन' ऐप को लागू करेगा।
- NIEPVD दृष्टिबाधित उपयोगकर्त्ताओं के लिये ऐप की पहुँच और प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिये दृश्य विकलांगता में अपनी विशेषज्ञता को एकीकृत करेगा।
- यह ऐप टेली-परामर्श, पुनर्वास योजना और शीघ्र हस्तक्षेप के माध्यम से अनुकूलित सहायता प्रदान करेगा, जिससे पहुँच और प्रभाव में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
- यह पहल भारत भर में दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण और समग्र विकास के लिये सुलभ, समावेशी और प्रौद्योगिकी-सक्षम प्रणालियों को बढ़ावा देने के DEPwD के लक्ष्य के अनुरूप है।
विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016
- इसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों (PwDs) के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बढ़ावा देना है।
- इसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCRPD) को प्रभावी बनाना है, जिसका भारत ने 2007 में अनुसमर्थन किया था।
- बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्ति को उस व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें निर्दिष्ट विकलांगता का कम से कम 40% हिस्सा हो।


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चिंतन शिविर 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने उत्तराखंड के देहरादून में दो दिवसीय चिंतन शिविर 2025 का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में भारत से प्रमुख हितधारकों को नीतियों को आकार देने, कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करने और हाशिये पर पड़े समुदायों के लिये सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु केंद्र-राज्य भागीदारी को सशक्त करने के लिये संगठित किया जाता है।
मुख्य बिंदु
- प्रतिनिधित्व:
- इस कार्यक्रम में 23 राज्यों के सामाजिक न्याय मंत्री शामिल हुए, जिससे राज्य स्तर पर सशक्त भागीदारी पर प्रकाश डाला गया।
- इसमें 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिससे व्यापक राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समावेशिता प्रदर्शित हुई।
- दृष्टि:
- केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सामाजिक समानता के बिना राष्ट्रीय विकास अप्राप्य है।
- उन्होंने चिंतन शिविर को विचारों के आदान-प्रदान, संवाद और विकसित भारत की दिशा में प्रगति के आकलन के लिये एक मिशन-संचालित मंच बताया।
- उन्होंने कल्याण से सशक्तीकरण की ओर बदलाव को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक को जाति, लिंग, योग्यता या पृष्ठभूमि के बावजूद सम्मान के साथ आगे बढ़ने के समान अवसर मिलने चाहिये।
- प्रमुख लक्षित क्षेत्र:
- विचार-विमर्श चार मुख्य स्तंभों - शिक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक संरक्षण और सुगम्यता पर आधारित था।
- विभाग ने दिव्यांगजनों को सहायता (ADIP), दिव्यांगजनों के लिये छात्रवृत्ति, कौशल विकास और डिजिटल समावेशन जैसी योजनाओं में प्रगति प्रदर्शित की।
- राज्यों ने मोबाइल मूल्यांकन शिविर, समावेशी स्कूल बुनियादी ढाँचे और सुलभ परिवहन मॉडल जैसे सर्वोत्तम तरीकों को साझा किया।
- चर्चा में प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति और पीएम-यशस्वी पर भी चर्चा की गई, जिसमें हाशिये पर पड़े समूहों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- राज्यों ने डिजिटल अनुप्रयोगों, सत्यापन प्रणालियों तथा ग्रामीण एवं जनजातीय समुदायों तक पहुँच से संबंधित समस्याओं पर प्रकाश डाला।
- मंत्रालय ने छात्रवृत्ति कार्यान्वयन में सुधार के लिये सक्रिय संचार और जमीनी स्तर पर लामबंदी अपनाने का आग्रह किया।
- आजीविका और आर्थिक समावेशन:
- मंत्रालय ने पीएम-अजय और SEED के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया, जिसमें राज्यों ने परिसंपत्ति निर्माण, क्लस्टर विकास और उद्यमिता में सफल मॉडल प्रदर्शित किये।
- चर्चा में स्वच्छता कार्य के आधुनिकीकरण, मैनुअल स्कैवेंजिंग को समाप्त करने तथा प्रौद्योगिकी और अंतर-एजेंसी समन्वय के माध्यम से सफाई कर्मचारियों - विशेषकर महिलाओं के सम्मान को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- कानूनी सुरक्षा और सामाजिक न्याय:
- नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम और अत्याचार निवारण अधिनियम के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई।
- मंत्रालय ने तीव्र जाँच, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को संवेदनशील बनाने तथा जाति आधारित भेदभाव के पीड़ितों के लिये मज़बूत कानूनी सहायता का आह्वान किया।
- ज़िला स्तरीय जवाबदेही और न्याय प्रदान करने के लिये पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया गया।
पीएम-यशस्वी योजना
- परिचय:
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई यह योजना हाशिये पर पड़े छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- पात्रता:
- यह ओबीसी, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EBC) और DNT छात्रों के लिये खुला है, जिनकी पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपए प्रति वर्ष तक है।
- उप-योजनाएँ:
- यह एक व्यापक योजना है, जिसमें निम्नलिखित उप-योजनाएँ शामिल हैं:
- प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति: 2.5 लाख रुपए से कम आय वाले परिवारों को 4,000 रुपए वार्षिक शैक्षणिक भत्ता।
- पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: पाठ्यक्रम श्रेणी के आधार पर 5,000 रुपए से 20,000 रुपए तक।
- कॉलेज शिक्षा: शीर्ष कॉलेज के छात्रों को ट्यूशन, रहने का खर्च और शिक्षा सामग्री सहित पूर्ण वित्तीय सहायता मिलती है।
- छात्रावास: सरकारी स्कूलों और संस्थानों के पास आवास की सुविधा।
SEED
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा फरवरी 2022 में विमुक्त/घुमंतू/अर्धघुमंतू (SEED) समुदायों के आर्थिक सशक्तीकरण की योजना शुरू की गई थी।
- इसका उद्देश्य इन छात्रों को निःशुल्क प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग प्रदान करना, परिवारों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना, आजीविका पहल के माध्यम से इन समुदायों के समूहों का उत्थान करना तथा आवास के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना है।


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इक्विन इन्फ्लूएंजा
चर्चा में क्यों?
रुद्रप्रयाग के दो गाँवों में घोड़ों और खच्चरों में इक्विन इन्फ्लूएंजा का पता चलने के बाद, उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा से पहले इसके प्रसार को रोकने के लिये कदम उठाने शुरू कर दिये हैं।
मुख्य बिंदु
- इक्विन इन्फ्लूएंजा: जिसे आमतौर पर "हॉर्स फ्लू" के नाम से जाना जाता है, घोड़ों को प्रभावित करने वाली एक तेज़ी से फैलने वाली श्वसन संबंधी बीमारी है।
- यह रोग मुख्यतः इन्फ्लूएंजा ए वायरस के दो उपप्रकारों H3N8 और H7N7 के कारण होता है।
- यह वायरस संक्रमित पशुओं या दूषित वातावरण के सीधे संपर्क से तेज़ी से फैलता है।
- यद्यपि इक्विन इन्फ्लूएंजा कभी- कभी ही घातक होता है, फिर भी यह गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है, विशेष रूप से युवा घोड़ों में, जिसमें द्वितीयक जीवाणु संक्रमण और दीर्घकालिक श्वसन संबंधी समस्याएं शामिल हैं।
- यह रोग मुख्यतः इन्फ्लूएंजा ए वायरस के दो उपप्रकारों H3N8 और H7N7 के कारण होता है।
- सरकारी प्रतिक्रिया और कार्य योजना:
- उत्तराखंड सरकार ने तीर्थयात्रा सीजन के दौरान बीमारी को फैलने से रोकने के लिये रोकथाम के उपाय शुरू किये हैं।
- राज्य के पशुपालन मंत्री ने स्थिति का आकलन करने और प्रतिक्रिया हेतु मार्गदर्शन हेतु एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।
- मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यात्रा में भाग लेने की अनुमति देने से पहले सभी घोड़ों और खच्चरों की जाँच को प्राथमिकता दी जाए।
- अन्य राज्यों से उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले घोड़ों और खच्चरों को वैध स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र और नकारात्मक इक्विन इन्फ्लूएंजा परीक्षण रिपोर्ट साथ लानी होगी।
- चार धाम यात्रा कार्यक्रम 2025:
- चार धाम यात्रा 30 अप्रैल 2025 को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ शुरू होगी ।
- केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को खुलेंगे और उसके बाद बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खुलेंगे।
चार धाम यात्रा
- यमुनोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी जिला।
- समर्पित: देवी यमुना को।
- यमुना नदी भारत में गंगा नदी के बाद दूसरी सबसे पवित्र नदी मानी जाती है।
- गंगोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी जिला।
- समर्पित: देवी गंगा को।
- सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
- केदारनाथ धाम:
- स्थान: रुद्रप्रयाग जिला।
- समर्पित: भगवान शिव को।
- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
- भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य स्वरूप) में से एक।
- बद्रीनाथ धाम:
- स्थान: चमोली जिला।
- पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का घर।
- समर्पित: भगवान विष्णु को।
- वैष्णवों के लिये पवित्र तीर्थस्थलों में से एक।

