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राजस्थान में नया टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों?
एक विशेषज्ञ समिति ने कुंभलगढ़-टॉडगढ़ रावली अभयारण्य को बाघ अभयारण्य घोषित करने से पहले तत्काल आवास संरक्षण और शिकार आधार विकास की सलाह दी।
- केंद्र सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने अगस्त 2023 में सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। समिति जैवविविधता की सुरक्षा के लिये कोर और बफर क्षेत्रों को परिभाषित करना जारी रखेगी।
प्रमुख बिंदु
- समिति की सिफारिश:
- आवास सीमाएँ:
- वर्तमान क्षेत्र में बाघों की स्थायी आबादी को सहारा देने की क्षमता का अभाव है। रिपोर्ट में प्रस्तावित रिज़र्व में और अधिक क्षेत्र जोड़ने का सुझाव दिया गया है।
- गाँवों का स्थानांतरण:
- प्रस्तावित रिज़र्व क्षेत्र के भीतर विरल आबादी वाले गाँवों के लिये एक रणनीतिक, स्वैच्छिक पुनर्वास योजना की सिफारिश की जाती है, ताकि स्थायी पुनर्वास के माध्यम से अप्रभावित आवासों को सुरक्षित किया जा सके एवं ग्रामीणों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके।
- आक्रामक प्रजातियों पर नियंत्रण:
- जंगली शाकाहारी जानवरों के लिये उपयुक्त आवासों को बहाल करने और जैवविविधता को बढ़ावा देने के लिये आक्रामक खरपतवारों को हटाना एवं देशी, स्वादिष्ट घासों को लगाना आवश्यक है।
- शिकार आधार विकास:
- शिकार की उपलब्धता बढ़ाने के लिये 1,000-2,000 चित्तीदार हिरणों (चीतल) को स्थानांतरित करने की सिफारिश की जाती है, जिससे शिकारियों की आबादी को लाभ होगा।
- अवैध शिकार निरोधक एवं बुनियादी ढाँचा:
- अवैध शिकार विरोधी उपायों, वायरलेस संचार और गश्ती सड़कों को मज़बूत करना आवश्यक है।
- भौगोलिक क्षेत्र:
- कुंभलगढ़ टाइगर रिज़र्व राजस्थान के राजसमंद, उदयपुर, पाली, अजमेर और सिरोही ज़िलों में लगभग 1,397 वर्ग किलोमीटर में फैला होगा।
- आवास सीमाएँ:
चित्तीदार हिरण (चीतल)
- चीतल, जिसे चित्तीदार हिरण या एक्सिस डियर के नाम से भी जाना जाता है, एक सुंदर और आकर्षक शाकाहारी प्राणी है जो भारत और श्रीलंका के घास के मैदानों और जंगलों का मूल निवासी है।
- वे खुले घास के मैदान, सवाना और हल्के वन क्षेत्रों को पसंद करते हैं।
- IUCN रेड लिस्ट : लीस्ट कंसर्न (LC)
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 : अनुसूची II
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