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स्टेट पी.सी.एस.

  • 10 Sep 2024
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उत्तर प्रदेश Switch to English

गोविंद बल्लभ पंत

चर्चा में क्यों

उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत की 137वीं जयंती पर उन्हें देश के सबसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक और एक ऐसे प्रशासक के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने आधुनिक भारत को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्य बिंदु

  • संक्षिप्त परिचय:
    • गोविंद बल्लभ पंत को देश के सबसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक और एक ऐसे प्रशासक के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने आधुनिक भारत को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • वह संयुक्त प्रांत के प्रीमियर (वर्ष 1937-1939), उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री (1946-1954) और केंद्रीय गृह मंत्री (वर्ष 1955-1961) थे तथा उन्हें वर्ष 1957 में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
  • प्रारंभिक जीवन:
    • पंत का जन्म 10 सितंबर, 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था।
    • जब वे 18 वर्ष के थे, तब उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अधिवेशनों में स्वयंसेवक के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया था, वे गोपालकृष्ण गोखले और मदन मोहन मालवीय को अपना आदर्श मानते थे।
    • वर्ष 1907 में उन्होंने कानून की पढ़ाई करने का निर्णय किया, अपनी डिग्री प्राप्त करने पश्चात, उन्होंने वर्ष 1910 में अल्मोड़ा में वकालत शुरू की और अंततः काशीपुर चले गए।
    • काशीपुर में उन्होंने प्रेम सभा नामक एक संगठन की स्थापना की, जिसने कई सुधारों की दिशा में कार्य करना शुरू किया और ब्रिटिश सरकार को करों का भुगतान न करने के कारण एक स्कूल को बंद होने से भी बचाया।
  • राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान:
    • गोविंद बल्लभ पंत दिसंबर 1921 में कॉन्ग्रेस में शामिल हुए और जल्द ही असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।
    • वर्ष 1930 में गांधीजी के पूर्व कार्यों से प्रेरित होकर नमक मार्च आयोजित करने के कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया।
    • वह नैनीताल से स्वराजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उत्तर प्रदेश (तब संयुक्त प्रांत के रूप में जाना जाता था) विधान सभा के लिये चुने गए।
      • उन्होंने ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करने हेतु सुधार लाने का प्रयास किया।
      • उन्होंने किसानों पर कृषि कर कम करने के लिये सरकार से अनुरोध भी किया।
      • उन्होंने देश में कई कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया और कुली-भिखारी कानून के विरुद्ध आवाज़ उठाई, जिसके तहत कुलियों को बिना किसी भुगतान के ब्रिटिश अधिकारियों का भारी सामान ढोने के लिये मजबूर किया जाता था।
      • पंत हमेशा अल्पसंख्यकों के लिये अलग निर्वाचन क्षेत्र के खिलाफ थे, उनका कहना था कि यह कदम समुदायों को और विभाजित करेगा।
    • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, पंत ने गांधीजी के गुट, जो युद्ध में ब्रिटिश राज को समर्थन देने की वकालत करता था और सुभाष चंद्र बोस के गुट, जो किसी भी तरह से ब्रिटिश राज को बाहर निकालने के लिये स्थिति का लाभ उठाने की वकालत करता था, के बीच समझौता कराने का प्रयास किया।
    • वर्ष 1942 में भारत छोड़ो प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के कारण उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया, इस बार और मार्च 1945 तक उन्होंने कॉन्ग्रेस कार्यसमिति के अन्य सदस्यों के साथ अहमदनगर किले में तीन वर्ष व्यतीत किये।
      • पंडित जवाहरलाल नेहरू ने खराब स्वास्थ्य के आधार पर पंत की रिहाई के लिये सफलतापूर्वक अनुरोध किया।
  • स्वतंत्रता के बाद
    • स्वतंत्रता के बाद गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने किसानों के उत्थान और अस्पृश्यता उन्मूलन के लिये कार्य किया।
    • सरदार पटेल की मृत्यु के बाद गोविंद बल्लभ पंत को केंद्र सरकार में गृहमंत्री बनाया गया।
    • गृहमंत्री के रूप में उन्होंने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने के लिये समर्थन किया।


मध्य प्रदेश Switch to English

लाड़ली बहना योजना

चर्चा में क्यों

हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लाड़ली बहना योजना के तहत 'दूसरी सौगात' की घोषणा की।

मुख्य बिंदु 

  • महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन, महिलाओं एवं उन पर आश्रित बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण में निरंतर सुधार तथा परिवार में उनकी निर्णायक भूमिका को सुदृढ़ बनाने हेतु 15 मार्च, 2023 को पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना प्रारम्भ की गई।
  • वर्तमान में इस योजना के तहत महिलाओं को 1250 रुपए प्रतिमाह मिलते हैं।
  • इस योजना का लाभ 21 से 60 वर्ष की आयु की महिलाओं को मिल रहा है।
  • परिवार स्तर पर निर्णय लेने में महिलाओं की प्रभावी भूमिका को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • इस योजना का संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किया जाता है।




हरियाणा Switch to English

गंभीर रूप से संकटग्रस्त एलोंगेटेड कछुआ अरावली में देखा गया

चर्चा में क्यों

हाल ही में गंभीर रूप से संकटग्रस्त लंबे आकार का कछुआ पहली बार अरावली में देखा गया।

मुख्य बिंदु

  • एलोंगेटेड कछुआ: प्रत्येक कछुए के बीच में स्पष्ट काले धब्बों के साथ पीले-भूरे या जैतून के रंग के कवच से युक्त यह कछुआ हरियाणा के दमदमा क्षेत्र में पाया गया।
    • प्रजनन काल के दौरान, परिपक्व कछुओं के नथुनों और आँखों के चारों ओर गुलाबी रंग का घेरा विकसित हो जाता है।
  • पर्यावास और वितरण: एलोंगेटेड कछुआ साल पर्णपाती तथा पहाड़ी सदाबहार वनों में पाया जाता है।
    • इसका वितरण क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया में विस्तारित है, जो उत्तर में भारत, नेपाल, भूटान और पश्चिम में बांग्लादेश से लेकर म्याँमार, थाईलैंड, इंडोचीन, उत्तर में चीन के गुआंग्शी प्रांत एवं दक्षिण में प्रायद्वीपीय मलेशिया तक विस्तृत है।
    • पूर्वी भारत के छोटा नागपुर पठार में एक विच्छिन्न संख्या उपस्थित है।
    • यह समुद्र तल से 1,000 मीटर ऊपर की निचली भूमि और तलहटी में भी निवास करता है।
    • अरावली में कछुए की उपस्थिति एक असामान्य बात है, क्योंकि यह आमतौर पर हिमालय की तराई और आर्द्र क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • संरक्षण स्थिति: वर्ष 2018 में मूल्यांकित अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट के अनुसार एलोंगेटेड कछुए गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
    • इस प्रजाति का अत्यधिक शोषण खाद्य और पारंपरिक चिकित्सा के लिये किया जाता है, जिसमें अवसरवादी तथा जानबूझकर किया गया शिकार शामिल है, साथ ही कछुओं को खोजने के लिये कुत्तों का उपयोग किया जाता है।

अरावली

    • अरावली पर्वतमाला गुजरात से राजस्थान होते हुए दिल्ली तक विस्तृत है, इसकी लंबाई 692 किमी. तथा चौड़ाई 10 से 120 किमी. के बीच है।
      • यह पर्वतमाला एक नेचुरल ग्रीन वॉल के रूप में कार्य करती है, जिसका 80% भाग राजस्थान में तथा 20% हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में स्थित है।
  • अरावली पर्वतमाला दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित है- सांभर सिरोही श्रेणी और राजस्थान में सांभर खेतड़ी श्रेणी, जहाँ इनका विस्तार लगभग 560 किलोमीटर है।
  • यह थार मरुस्थल और गंगा के मैदान के बीच एक इकोटोन के रूप में कार्य करता है।
    • इकोटोन वे क्षेत्र हैं जहाँ दो या अधिक पारिस्थितिक तंत्र, जैविक समुदाय अथवा जैविक क्षेत्र मिलते हैं।
  • इस पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर (राजस्थान) है, जिसकी ऊँचाई 1,722 मीटर है।

उत्तराखंड Switch to English

धार्मिक उद्देश्यों के लिये हेलीकॉप्टर सेवा कर में 5% की कटौती

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में 54वीं वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) परिषद की बैठक में उत्तराखंड के वित्त मंत्री ने घोषणा की कि तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिये साझा आधार पर हेलीकॉप्टर सेवाओं पर 5% कर लगाया जाएगा।

मुख्य बिंदु: 

  • 54वीं GST परिषद की बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री ने की और इसमें राज्य वित्त मंत्रियों ने भाग लिया।
  • केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे धार्मिक उद्देश्यों के लिये हेलीकॉप्टर सेवाओं पर GST 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
  • वर्तमान GST दरें:
    • घरेलू यात्री परिवहन: केवल इनपुट सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के साथ 5% GST (माल पर कोई ITC नहीं)।
    • अंतर्राष्ट्रीय चार्टर उड़ानें: शून्य-रेटेड अर्थात् इस पर कोई GST लागू नहीं है क्योंकि इसे सेवाओं के निर्यात के रूप में माना जाता है।
    • गैर-यात्री सेवाएँ: सामान्यतः 18% GST, अन्य गैर-यात्री हवाई सेवाओं के समान।

वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST)

  • वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) घरेलू उपभोग के लिये बेची जाने वाली अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला मूल्य वर्द्धित कर है। GST का भुगतान उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, लेकिन इसे वस्तुओं और सेवाओं को बेचने वाले व्यवसायों द्वारा सरकार को भेजा जाता है।
  • आपूर्ति पक्ष पर लागू: GST वस्तुओं के विनिर्माण या वस्तुओं की बिक्री या सेवाओं के प्रावधान पर पुरानी अवधारणा के विपरीत वस्तुओं या सेवाओं की 'आपूर्ति' पर लागू होता है।
  • गंतव्य आधारित कराधान: GST मूल-आधारित कराधान के वर्तमान सिद्धांत के विपरीत गंतव्य-आधारित उपभोग कराधान के सिद्धांत पर आधारित है।
  • दोहरा GST: यह एक दोहरा GST है जिसमें केंद्र और राज्य एक ही आधार पर एक साथ कर लगाते हैं। केंद्र द्वारा लगाया जाने वाला GST केंद्रीय GST (CGST) कहलाता है तथा राज्यों द्वारा लगाया जाने वाला GST राज्य GST (SGST) कहलाता है।
    • वस्तुओं या सेवाओं के आयात को अंतर-राज्यीय आपूर्ति माना जाएगा तथा उस पर लागू सीमा शुल्क के अतिरिक्त एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (Integrated Goods & Services Tax- IGST) भी लगेगा।
  • GST दरें आपसी सहमति से तय की जाएंगी: CGST, SGST और IGST केंद्र एवं राज्यों द्वारा आपसी सहमति से तय की गई दरों पर लगाए जाते हैं। GST परिषद की सिफारिश पर दरें अधिसूचित की जाती हैं।


बिहार Switch to English

मुज़फ्फरपुर अस्पताल: कोई मरीज़ नहीं

चर्चा में क्यों

हाल ही में मुज़फ्फरपुर के चैनपुरा गाँव में 2015 में निर्मित एक सरकारी अस्पताल स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिये बनाए जाने के बावजूद अप्रयुक्त और परित्यक्त है

मुख्य बिंदु:

  • अस्पताल की स्थिति: चैनपुरा गाँव में सरकारी अस्पताल 2015 में बनाया गया था, लेकिन यहाँ कभी किसी मरीज़ का इलाज नहीं हुआ।
  • 30 बिस्तरों वाले इस अस्पताल का कभी उद्घाटन नहीं हुआ और यह वीरान पड़ा है।
  • वर्तमान स्थिति: अस्पताल ऊँची घास से घिरा हुआ है, जो किसी डरावने घर जैसा लगता है। यह जुआरियों, शराबियों और नशेड़ियों सहित असामाजिक तत्त्वों का अड्डा बन गया है।
  • निर्माण संबंधी मुद्दे: अस्पताल का निर्माण मूल रूप से नियोजित स्थान से अलग स्थान पर किया गया था, जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग ने कब्ज़ा देने से इनकार कर दिया। छह एकड़ में फैला यह अस्पताल अभी भी परित्यक्त है।
  • बिहार में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति
    • स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना: बिहार को स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, कई परियोजनाएँ या तो अधूरी हैं या उनका पूरा उपयोग नहीं हुआ है।
      • राज्य में 9,112 SC (उप-केंद्र), 1,702 PHC (प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र) और 57 CHC (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) हैं, जिनमें से 10.54% PHC शहरी क्षेत्रों में हैं। आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (AB-HWC) के तहत, 2,341 HWC चालू हैं। सभी ज़िला अस्पताल (DH) तथा उप-ज़िला अस्पताल (SDH) कार्यात्मक FRU (प्रथम रेफरल इकाई) के रूप में कार्य करते हैं।
    • स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच: राज्य अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं से जूझ रहा है, जिससे इसके निवासियों की देखभाल की पहुँच और गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
      • हाल के आँकड़ों से पता चलता है कि 1,000 लोगों में से 642 लोगों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से OPD सेवाओं और 33 लोगों ने IPD सेवाओं का इस्तेमाल किया। हालाँकि NSSO डेटा (2017-18) से पता चलता है कि केवल 18% ग्रामीण और 23% शहरी OPD मामलों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग किया, जबकि 70% ग्रामीण तथा 72% शहरी IPD मामलों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग किया, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
  • चुनौतियाँ
    • अपर्याप्त योजना और कार्यान्वयन: निर्माण गलत भूखंड पर किया गया, जिसके कारण परियोजना को छोड़ दिया गया।
    • तोड़फोड़ और उपेक्षा: रखरखाव के अभाव के कारण अस्पताल परिसर को काफी क्षति पहुँची है और उसका दुरुपयोग हुआ है।
    • उद्घाटन और संचालन का अभाव: अस्पताल का कभी उद्घाटन नहीं किया गया और न ही इसे क्रियाशील बनाया गया, जिससे यह एक बेकार संपत्ति बनकर रह गया।
    • स्थानीय समुदाय पर प्रभाव: ग्रामीण स्थानीय चिकित्सा सेवाओं से वंचित हैं और उन्हें स्वास्थ्य देखभाल के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
  • आगे की राह
    • तत्काल मरम्मत और संचालन: अस्पताल को कार्यात्मक बनाने के लिये तत्काल मरम्मत तथा  नवीनीकरण करना। सुनिश्चित करना कि इमारत सुरक्षित एवं रखरखाव योग्य है।
    • प्रभावी प्रबंधन और निरीक्षण: यह सुनिश्चित करने के लिये कि स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की योजना, निर्माण और रखरखाव उचित रूप से किया गया है, मज़बूत निरीक्षण तंत्र को लागू करना।
    • सामुदायिक सहभागिता: स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की योजना और संचालन में स्थानीय समुदायों को शामिल करना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
    • स्वास्थ्य देखभाल योजना की समीक्षा और सुधार करना: मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल परियोजनाओं की गहन समीक्षा करना और भविष्य में इसी तरह की समस्याओं को रोकने के लिये योजना तथा कार्यान्वयन प्रक्रियाओं में सुधार करना।


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