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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 09 Oct 2024
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कुंभ शिखर कुंभ शिखर सम्मेलन 2024 सम्मेलन 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ 2025 की तैयारी के लिये राज्य के विभिन्न स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक शृंखला आरंभ की है।

मुख्य बिंदु 

  • कुंभ शिखर सम्मेलन कार्यक्रम:
    • महाकुंभ 2025 की प्रस्तावना के रूप में उत्तर प्रदेश की 18 तहसीलों में इसका शुभारंभ किया जाएगा।
    • आयोजनों में "कुंभ अभिनंदन" रोड शो, बाल-युवा कुंभ, कला-संस्कृति कुंभ, कवि कुंभ और भक्ति कुंभ शामिल हैं।
    • इन सांस्कृतिक आयोजनों में विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थान शामिल होंगे।
    • सांस्कृतिक अकादमियाँ, जैसे कि ललित कला अकादमी और संगीत नाटक अकादमी, प्रतियोगिताओं के आयोजन का कार्य संभालती हैं।
    • 'शून्य प्लास्टिक उपयोग' जैसी पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं और सुरक्षा के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उपकरणों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • 700 इलेक्ट्रिक बसों के माध्यम से परिवहन सुनिश्चित करना तथा त्योहार के चरम दिनों के दौरान श्रद्धालुओं के लिये सुगम्यता बढ़ाना।
    • महाकुंभ के आयोजन के लिये सभी आवश्यक सुविधाओं को तैयार करने की अंतिम तिथि 15 दिसंबर, 2024 निर्धारित की गई है।

महाकुंभ

  • कुंभ मेला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
  • यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान या डुबकी लगाते हैं।
  • यह नासिक में गोदावरी नदी, उज्जैन में शिप्रा/ क्षिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा और प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर होता है। इस मेल को 'संगम' कहा जाता है।
  • चूँकि यह भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविधतापूर्ण त्योहार बन जाता है।
  • एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले इस मेले में एक विशाल तंबूनुमा बस्ती का निर्माण किया जाता है, जिसमें झोपड़ियाँ, मंच, नागरिक सुविधाएँ, प्रशासनिक और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं।
  • इसका आयोजन सरकार, स्थानीय प्राधिकारियों और पुलिस द्वारा अत्यंत कुशलतापूर्वक किया जाता है।
  • यह मेला विशेष रूप से जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं के सुदूर स्थानों से आए धार्मिक तपस्वियों की असाधारण उपस्थिति के लिये प्रसिद्ध है।


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