PM-JAY का कार्यान्वयन | छत्तीसगढ़ | 08 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ में राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र के शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए एक अध्ययन में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) का खुलासा किया गया।
- PMJAY का उद्देश्य विशेष रूप से अस्पताल में रहने के दौरान जेब से होने वाले स्वास्थ्य खर्च को कम करना है।
मुख्य बिंदु:
- अध्ययन से पता चला है कि योजना में शामिल मरीज़ों को विशेष रूप से निजी अस्पतालों में अपनी जेब से अधिक खर्च वहन करना पड़ा, जिसका मुख्य कारण दोहरी बिलिंग जैसी सामान्य घटना थी।
- यह अध्ययन वर्ष 2022 में छत्तीसगढ़ में राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र के शोधकर्त्ताओं द्वारा 768 व्यक्तियों के साक्षात्कार के साथ संपन्न किया गया था, जिन्होंने साक्षात्कार से पहले अस्पताल में भर्ती होने के लिये PMJAY का उपयोग किया था। PMJAY ने राज्य में 1,006 सार्वजनिक और 546 निजी अस्पतालों को सूचीबद्ध किया है।
- अध्ययन में पाया गया कि निजी अस्पतालों द्वारा योजना के अंतर्गत मरीज़ों से शुल्क लिया जा रहा है, जबकि PMJAY या आयुष्मान भारत के तहत ऐसा करना अनुचित है।
- फिर वे दोहरी बिलिंग में शामिल होकर उसी उपचार के लिये सरकार से प्रतिपूर्ति का दावा करेंगे जिसे धोखाधड़ी माना जाता है।
- निजी अस्पतालों के उपयोग को PMJAY के तहत गंभीर वित्तीय बोझ के लिये प्राथमिक कारक के रूप में पहचाना गया था।
- निजी अस्पतालों में लगभग 30% मामलों में ऐसे स्वास्थ्य व्यय (जो परिवार की बर्बादी का कारण बन जाते हैं) का आँकड़ा कुल वार्षिक गैर-चिकित्सा व्यय के 10% से अधिक हो गया।
- शोध से पता चला कि अनुसूचित जनजाति और महिलाओं जैसे हाशिये पर रहने वाले समूह PMJAY के माध्यम से निजी स्वास्थ्य देखभाल की पहुँच के बावजूद सार्वजनिक अस्पतालों पर बहुत अधिक निर्भर थे।
- इसमें बताया गया है कि सार्वजनिक अस्पतालों में इलाज कराने से व्यक्तियों को अपनी जेब से अधिक व्यय करने से बचने में सहायता मिलती है क्योंकि सार्वजनिक सेवाएँ निजी स्वास्थ्य देखभाल की तुलना में मरीज़ों के लिये काफी अधिक लागत प्रभावी होती हैं, भले ही वे सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित बीमा योजनाओं के अंतर्गत आती हों।
- भारत में निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास प्रभावी मूल्य और गुणवत्ता विनियमन का अभाव है, जिसके कारण निजी अस्पतालों द्वारा दोहरी बिलिंग को अपनाया जाता है जो रोगी देखभाल पर मुनाफे को प्राथमिकता देते हैं।
- अध्ययन में अस्पतालों के साथ अपने समझौतों में एक महत्त्वपूर्ण शर्त को लागू करने में सरकार की विफलता पर प्रकाश डाला गया, जो मरीज़ों से अतिरिक्त शुल्क लेने पर रोक लगाती है।
आयुष्मान भारत-PMJAY
- परिचय:
- PM-JAY पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है।
- इसे 2018 में लॉन्च किया गया, यह माध्यमिक देखभाल और तृतीयक देखभाल के लिये प्रति परिवार 5 लाख रुपए की बीमा राशि प्रदान करती है।
- स्वास्थ्य लाभ पैकेज में सर्जरी, चिकित्सा और डे केयर उपचार, दवाओं व निदान की लागत शामिल है।
- लाभार्थी:
- यह एक पात्रता आधारित योजना है जो नवीनतम सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) डेटा द्वारा पहचाने गए लाभार्थियों को लक्षित करती है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को शेष (अप्रमाणित) SECC परिवारों की पहचान करने के लिये समान सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल वाले गैर-सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) के लाभार्थी परिवारों के डेटाबेस का उपयोग करने हेतु लचीलापन प्रदान किया है।
- वित्तीयन:
- इस योजना का वित्तपोषण संयुक्त रूप से किया जाता है, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में केंद्र एवं विधायिका के बीच 60:40, पूर्वोत्तर राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व उत्तराखंड के लिये 90:10 और विधायिका के बिना केंद्रशासित प्रदेशों हेतु 100% केंद्रीय वित्तपोषण का प्रावधान है।
- केंद्रक अभिकरण:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority- NHA) को राज्य सरकारों के साथ संयुक्त रूप से PMJAY के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक स्वायत्त इकाई के रूप में गठित किया गया है।
- राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (SHA) राज्य में ABPMJAY के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार राज्य सरकार की शीर्ष निकाय है
क्षमता निर्माण कार्यक्रम | उत्तराखंड | 08 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG), मसूरी में तंज़ानिया गणराज्य के अधिकारियों के लिये सार्वजनिक कार्यों की परियोजना और जोखिम प्रबंधन पर दो सप्ताह का क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू हुआ
मुख्य बिंदु:
- NCGG राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर कार्रवाई, अनुसंधान, अध्ययन और क्षमता निर्माण के लिये प्रतिबद्ध है।
- इसके प्रयास 'वसुधैव कुटुंबकम' अर्थात् "विश्व एक परिवार है" के भारतीय दर्शन के अनुरूप हैं और द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने तथा अन्य देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने पर ज़ोर देते हैं।
- क्षमता निर्माण कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों में परियोजना और जोखिम प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करते हुए एक समृद्ध क्रॉस कंट्री अनुभव और नीति संवाद हेतु एक मंच प्रदान करने पर केंद्रित है।
- इसके परिणामस्वरूप अधिकारियों को परियोजनाओं हेतु योजना बनाने, निष्पादन के तरीके, संस्थानों में हो रहे बदलाव और लोगों के सरकार से बढ़ते जुड़ाव के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्राप्त होगी।
- उन्होंने दो सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों पर भी प्रकाश डाला, जो प्रतिभागियों के लिये प्रासंगिक कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अनेक परियोजनाओं और कार्यों को प्रदर्शित करते हुए सार्वजनिक कार्यों के लिये परियोजना एवं जोखिम प्रबंधन में अधिकारियों को आवश्यक कौशल से लैस करने हेतु सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किया गया है।
- इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में व्यापक क्षेत्र दौरे भी शामिल हैं, जिसमें अधिकारी डाकपत्थर जलविद्युत और सिंचाई बाँध, उत्तराखंड में NHAI, नई दिल्ली में द्वारका एक्सप्रेसवे, इंदिरा पर्यावरण भवन, नई दिल्ली में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर NBCC तथा दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन जैसी प्रमुख परियोजना स्थलों का दौरा शामिल है तथा प्रतिष्ठित ताजमहल की यात्रा के साथ इसका समापन होगा।
राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG)
- NCGG की स्थापना वर्ष 2014 में सरकार द्वारा कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत एक शीर्ष स्तरीय स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी।
- केंद्र की उत्पत्ति राष्ट्रीय प्रशासनिक अनुसंधान संस्थान (NIAR) से हुई है, जिसे वर्ष 1995 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) द्वारा स्थापित किया गया था, जो सिविल सेवाओं के लिये भारत सरकार का सर्वोच्च प्रशिक्षण संस्थान है।
- NIAR को बाद में पुनः नामित किया गया और NCGG में शामिल कर लिया गया।
- NCGG स्थानीय, राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सभी क्षेत्रों में शासन संबंधी मुद्दों से निपटता है।
- केंद्र को भारत और अन्य विकासशील देशों के शासन, नीति सुधार, क्षमता निर्माण तथा सिविल सेवकों एवं टेक्नोक्रेट के प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्य करने का आदेश दिया गया है। यह थिंक टैंक के रूप में भी कार्य करता है।
उत्तराखंड का एबॉट माउंटेन | उत्तराखंड | 08 May 2024
चर्चा में क्यों?
एबॉट माउंटेन उत्तराखंड की खूबसूरत हिमालय शृंखला में चंपावत ज़िले के लोहाघाट शहर में है।
मुख्य बिंदु:
- एबॉट माउंटेन ऐतिहासिक महत्त्व रखता है, जिसका नाम ब्रिटिश सर्जन डॉ. जेम्स एबॉट के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान कुमाऊँ के आयुक्त के रूप में कार्य किया था। इस भव्य शिखर के माध्यम से क्षेत्र के विकास में उनके योगदान को याद किया जाता है।
- अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा एबॉट माउंटेन साहसिक प्रेमियों के लिये स्वर्ग के रूप में भी कार्य करता है।
- यह क्षेत्र विविध प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का निवास स्थल है, जिनमें दुर्लभ हिमालयी प्रजातियाँ जैसे कस्तूरी मृग, हिमालयी काले भालू और विभिन्न प्रकार की पक्षी प्रजातियाँ शामिल हैं।
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भारतीय हिमालय क्षेत्र
- IHR में भारत के दस राज्यों और चार पहाड़ी ज़िलों जैसे जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और असम में दिमा हसाओ, कार्बी आंगलोंग तथा पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग, कलिम्पोंग के पहाड़ी ज़िले शामिल हैं।
- अनियंत्रित मांग-संचालित आर्थिक विकास ने अव्यवस्थित शहरीकरण, पर्यावरणीय क्षरण और बढ़ते जोखिमों तथा कमज़ोरियों को उत्पन्न किया, जिससे हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के अद्वितीय मूल्यों से गंभीर समझौता हुआ है।
- आर्थिक विकास पर ध्यान देने के अलावा भारतीय हिमालय के सतत् विकास के रोडमैप को प्रासंगिक सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के साथ समन्वित करने की आवश्यकता है।
- इसलिये हिमालय में विकास पूरी तरह से क्षेत्र के पर्यावरणीय, सामाजिक-सांस्कृतिक और पवित्र सिद्धांतों में अंतर्निहित होना चाहिये।
उत्तरकाशी में भूकंप | उत्तराखंड | 08 May 2024
चर्चा में क्यों?
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (National Centre for Seismology- NCS) के आँकड़ों के मुताबिक, हाल ही में उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में रिक्टर पैमाने पर 2.6 तीव्रता का भूकंप आया।
मुख्य बिंदु:
- भूकंप का केंद्र अक्षांश 31.00 और देशांतर 79.31 पर 5 किलोमीटर की गहराई पर था।
- राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत) देश में भूकंप गतिविधि की निगरानी के लिये भारत सरकार की नोडल एजेंसी है।
- वर्तमान में भारत में केवल 115 भूकंप वेधशालाएँ हैं।
- भूकंप वेधशाला का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू भूकंप के समय के सटीक पूर्वानुमान करने में सक्षम होना है।
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मध्य प्रदेश में नौ सीटों पर मतदान | मध्य प्रदेश | 08 May 2024
चर्चा में क्यों?
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मध्य प्रदेश की नौ सीटों- मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, राजगढ़, सागर, विदिशा, भोपाल और बैतूल में लगभग 66.5% मतदान हुआ।
मुख्य बिंदु:
- राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा साझा किये गए आँकड़ों के अनुसार, राजगढ़ में 76.19% मतदाताओं के साथ सबसे अधिक मतदान हुआ, जबकि चंबल डिवीज़न के भिंड में राज्य में सबसे कम 55.44% मतदान दर्ज किया गया।
- अब तक मध्य प्रदेश की 21 सीटों पर पहले तीन चरणों का मतदान हो चुका है, जबकि बाकी आठ सीटों पर 13 मई, 2024 को चौथे चरण का मतदान होगा।
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राजस्थान में जल जीवन मिशन घोटाला | राजस्थान | 08 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने राजस्थान में केंद्रपोषित जल जीवन मिशन योजना घोटाला मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की है।
मुख्य बिंदु:
- अधिकारियों के अनुसार, जयपुर स्थित ठेकेदारों ने राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग से निविदाएँ प्राप्त करने के लिये कथित तौर पर इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन इंटरनेशनल लिमिटेड (IRCON) द्वारा जारी फर्जी समापन प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया।
- अगस्त 2023 में दर्ज आठ महीने से लंबित प्रारंभिक जाँच के निष्कर्ष के बाद CBI द्वारा कार्रवाई की गई।
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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI)
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) भारत की एक प्रमुख अन्वेषण एजेंसी है।
- यह केंद्रीय सतर्कता आयोग और लोकपाल को सहायता प्रदान करता है।
- यह भारत सरकार के कार्मिक, पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय के कार्मिक विभाग [जो प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister’s Office-PMO) के अंतर्गत आता है] के अधीक्षण में कार्य करता है।
- हालाँकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत अपराधों के अन्वेषण के मामले में इसका अधीक्षण केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission) के पास है।
- यह भारत की नोडल पुलिस एजेंसी भी है जो इंटरपोल की ओर से इसके सदस्य देशों में अन्वेषण संबंधी समन्वय करती है।
- इसकी अपराध सिद्धि दर (Conviction Rate) 65 से 70% तक है, अतः इसकी तुलना विश्व की सर्वश्रेष्ठ अन्वेषण एजेंसियों से की जा सकती है।
प्रथम सूचना रिपोर्ट (First Information Report- FIR
- प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) एक लिखित दस्तावेज़ है जो पुलिस द्वारा तब तैयार किया जाता है जब उसे किसी संज्ञेय अपराध के बारे में सूचना प्राप्त होती है।
- यह एक सूचना रिपोर्ट है जो समय पर सबसे पहले पुलिस तक पहुँचती है, इसीलिये इसे प्रथम सूचना रिपोर्ट कहा जाता है।
- यह आमतौर पर एक संज्ञेय अपराध के शिकार व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से किसी व्यक्ति द्वारा पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत होती है। कोई भी व्यक्ति संज्ञेय अपराध की सूचना मौखिक या लिखित रूप में दे सकता है।
- FIR शब्द भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 या किसी अन्य कानून में परिभाषित नहीं है।
- हालाँकि पुलिस नियमों या कानूनों में CrPC की धारा 154 के तहत दर्ज की गई जानकारी को प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के रूप में जाना जाता है।
- FIR के तीन महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं:
- जानकारी एक संज्ञेय अपराध से संबंधित होनी चाहिये।
- यह सुचना लिखित या मौखिक रूप में थाने के प्रमुख को दी जानी चाहिये।
- इसे मुखबिर द्वारा लिखा और हस्ताक्षरित किया जाना चाहिये और इसके प्रमुख बिंदुओं को दैनिक डायरी में दर्ज किया जाना चाहिये।