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स्टेट पी.सी.एस.

  • 08 Mar 2025
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उत्तर प्रदेश Switch to English

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (MYUVA)’ योजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान के तहत गोरखपुर और बस्ती मंडल के 2500 लाभार्थियों को 100 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया।

साथ ही, ODOP (एक ज़िला एक उत्पाद) योजना के तहत 2100 प्रशिक्षणार्थियों को टूलकिट भी प्रदान किये गए।

मुख्य बिंदु:

  • MYUVA योजना के बारे में:
  • इस योजना के तहत, राज्य सरकार का लक्ष्य प्रत्येक वर्ष 5 लाख रुपए तक की परियोजनाओं के लिये ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करके एक लाख युवा उद्यमियों को तैयार करना है।
  • सरकार ने इस पहल का समर्थन करने के लिये वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में 1,000 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
  • इसे राज्य भर में शिक्षित और कुशल युवाओं को सशक्त बनाने, स्व-रोज़गार के अवसरों को सुविधाजनक बनाने तथा नए MSME (सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय) की स्थापना को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • जिन लाभार्थियों ने सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं जैसे कि विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, एक ज़िला एक उत्पाद प्रशिक्षण और टूलकिट योजना, अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग प्रशिक्षण योजना तथा उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा संचालित कौशल उन्नयन में प्रशिक्षण प्राप्त किया है, वे सहायता के लिये पात्र होंगे।
    • इसके अतिरिक्त, शैक्षणिक संस्थानों से प्रमाण-पत्र, डिप्लोमा और डिग्री वाले युवा भी इस योजना के तहत लाभ के हकदार होंगे।
  • पहले ऋण के सफल पुनर्भुगतान पर, इकाइयाँ दूसरे चरण के वित्तपोषण के लिये पात्र होंगी, जहाँ प्रारंभिक राशि से दोगुना या 7.50 लाख रुपए तक का समग्र ऋण प्रदान किया जा सकता है।

एक ज़िला एक उत्पाद कार्यक्रम (ODOP) 

  • परिचय:
    • ODOP देश के प्रत्येक ज़िले के एक उत्पाद को बढ़ावा देने और ब्रांडिंग करके ज़िला स्तर पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की एक पहल है।
    • इसे 24 जनवरी 2018 को उत्तर प्रदेश के पहले स्थापना दिवस पर शुरू किया गया था।
  • उद्देश्य
    • स्थानीय कला/कौशल का संरक्षण एवं विकास तथा रचनात्मकता को बढ़ावा देना।
    • आय और स्थानीय रोज़गार में वृद्धि (परिणामस्वरूप रोज़गार के लिये प्रवासन में कमी)।
    • उत्पाद की गुणवत्ता और कौशल विकास में सुधार।
    • उत्पादों को कलात्मक तरीके (पैकेजिंग, ब्रांडिंग के माध्यम से) से बदलना।
    • उत्पादन को पर्यटन से जोड़ना (लाइव डेमो और बिक्री आउटलेट - उपहार तथा स्मारिका)।
    • आर्थिक मतभेद और क्षेत्रीय असंतुलन के मुद्दों को हल करना।


राजस्थान Switch to English

सर्कुलरिटी के लिये शहरों का गठबंधन (C-3)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री ने सर्कुलरिटी के लिये शहरों का गठबंधन (C-3) की घोषणा की।

मुख्य बिंदु 

  • गठबंधन (C-3) के बारे में: 
    • यह सतत् शहरी विकास के लिये शहर-दर-शहर सहयोग, ज्ञान-साझाकरण और निजी क्षेत्र की साझेदारी के लिये एक बहुराष्ट्रीय गठबंधन है।
    • इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र के नगरों को अपशिष्ट प्रबंधन एवं संसाधन दक्षता से जुड़ी चुनौतियों के समाधान में सहयोग प्रदान करना है।
    • भारत के प्रधानमंत्री ने C-3 गठबंधन की संरचना एवं परिचालन रूपरेखा को अंतिम रूप देने हेतु सदस्य देशों के एक कार्य समूह के गठन का प्रस्ताव रखा, जिससे इस पहल को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जा सके।
  • घोषणा: 
    • इसकी घोषणा जयपुर में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12 वें क्षेत्रीय 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम के के दौरान की गई थी।
    • जयपुर में आयोजित उद्घाटन समारोह में CITIIS 2.0 के लिये एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गये, जो शहरी स्थिरता पहलों में एक उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में स्थापित होगा।
    • इस पहल के तहत सिटी इन्वेस्टमेंट्स टू इनोवेट, इंटीग्रेट एंड सस्टेन 2.0 (CITIIS 2.0) के लिये 1,800 करोड़ रुपए के समझौतों की घोषणा की गई, जिससे 14 राज्यों के 18 नगरों को लाभ मिलेगा।
  • 12वीं क्षेत्रीय फोरम बैठक
    • यह एक क्षेत्रीय मंच है जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 3R (Reduce, Reuse, Recycle) सिद्धांतों और सर्कुलर अर्थव्यवस्था की प्रक्रियाओं को बढ़ावा देता है।
    • यह संसाधन दक्षता रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिये नीति निर्माताओं, उद्योग के नेताओं, शोधकर्त्ताओं और भागीदारों को एक साथ लाता है।
    • ऐतिहासिक संदर्भ: इसे 3R सिद्धांतों और संसाधन दक्षता को बढ़ावा देने के लिये 2009 में लॉन्च किया गया था।
    • हनोई 3R घोषणा (2013-2023) ने संसाधन-कुशल और सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिये 33 स्वैच्छिक लक्ष्य निर्धारित किये हैं।
    • विषय: एशिया-प्रशांत में SDG और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने की दिशा में चक्रीय समाजों को साकार करना।
    • उद्देश्य: संसाधन-कुशल, कम कार्बन और लचीले एशिया-प्रशांत के लिये स्वैच्छिक, गैर-बाध्यकारी "3R और  सर्कुलर अर्थव्यवस्था घोषणा (2025-2034)" पर चर्चा करना और सहमति बनाना।

सर्कुलर अर्थव्यवस्था

  • चक्रीय अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है, जहाँ सामग्री कभी भी अपशिष्ट में परिवर्तित नहीं होती और प्राकृतिक संसाधनों का पुनरुद्धार संभव होता है।
  • इस प्रणाली में उत्पादों एवं सामग्रियों को रखरखाव, पुनः उपयोग, नवीनीकरण, पुनर्निर्माण, पुनर्चक्रण और खाद निर्माण जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से सतत् परिसंचरण में बनाए रखा जाता है।
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था का उद्देश्य सीमित संसाधनों के अत्यधिक दोहन से मुक्त आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है। 
  • यह जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता की हानि, अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण जैसी वैश्विक चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटने में सहायक सिद्ध होती है।


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्यप्रदेश में नक्सलियों का उन्मूलन किया जाएगा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने वर्ष 2026 तक नक्सल मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करने हेतु उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

मुख्य बिंदु 

  • सरकार की प्रतिबद्धता:
    • मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मध्यप्रदेश में नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिये राज्य सरकार गंभीर और सक्रिय है।
  • दिशा-निर्देश:
    • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिये राज्य सरकार के प्रयासों का समन्वय किया जाए।
    • संचार सुविधाओं को बढ़ाने हेतु मोबाइल टावरों की स्थापना को प्राथमिकता दी जाए।
    • नए सुरक्षा कैंपों की स्थापना के लिये हॉक फोर्स बल में वृद्धि की स्वीकृति दी जाए।
    • प्रदेश से माओवादी समस्या के उन्मूलन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए और इसके लिये समवेत प्रयास किये जाएँ।
    • नक्सल प्रभावित ज़िलों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में आवागमन को सुगम बनाने हेतु निर्माणाधीन सड़क निर्माण कार्य शीघ्र पूरा किया जाए।
    • इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने नक्सल गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने और पुलिस मुख्यालय तथा ज़िला प्रशासन के स्तर पर लगातार समीक्षा करने के निर्देश दिये हैं।
  • राज्यों के बीच समन्वय:
    • बैठक में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के संयुक्त प्रयासों पर चर्चा हुई, जो नक्सलवाद से निपटने हेतु बढ़ते अंतर्राज्यीय सहयोग को दर्शाता है।

नक्सलवाद

  • परिचय: 
    • नक्सलवाद शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई है। 
    • इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद को लेकर एक किसान की पिटाई की थी। 
    • यह आंदोलन जल्द ही पूर्वी भारत के छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे अल्प विकसित क्षेत्रों में फैल गया। 
    • वामपंथी उग्रवादियों (LWE) को दुनिया भर में माओवादी और भारत में नक्सलवादी के नाम से जाना जाता है। 
  • उद्देश्य: 
    • वे सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत सरकार को उखाड़ फेंकने और माओवादी सिद्धांतों पर आधारित साम्यवादी राज्य की स्थापना की वकालत करते हैं।
    • वे राज्य को दमनकारी, शोषक और शासक अभिजात वर्ग के हितों की सेवा करने वाला मानते हैं तथा सशस्त्र संघर्ष और जनयुद्ध के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक शिकायतों को दूर करना चाहते हैं।



हरियाणा Switch to English

गौ संरक्षण अधिनियम के तहत मामले

चर्चा में क्यों?

हरियाणा सरकार ने राज्य भर में अधिकार क्षेत्र वाली चार विशेष अदालतें स्थापित करके गौ संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के तीव्रता से निपटारे का निर्णय लिया है।

मुख्य बिंदु

  • विशेष न्यायालयों की स्थापना: 
    • राज्यपाल ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की मंजूरी से नूंह, पलवल, अंबाला और हिसार में विशेष अदालतें स्थापित की हैं।
    • इन अदालतों का नेतृत्व वरिष्ठतम अतिरिक्त ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश तथा सिविल न्यायाधीश करेंगे जो नियमित मामलों को संभालेंगे।
    • ये अदालतें हरियाणा गौवंश संरक्षण एवं गौसंवर्द्धन अधिनियम, 2015 के तहत अपराधों से संबंधित मामलों का त्वरित निपटारा करेंगी।
  • विशेष न्यायालयों का क्षेत्राधिकार:
    • नूंह न्यायालय: नूंह, रेवाड़ी, नारनौल, चरखी दादरी और भिवानी ज़िलों के मामलों की निगरानी करेगा।
    • पलवल न्यायालय: पलवल, फरीदाबाद, गुरुग्राम, झज्जर, रोहतक और सोनीपत ज़िलों को कवर करेगा।
    • अंबाला न्यायालय: इसका क्षेत्राधिकार अंबाला, पंचकूला, पानीपत, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और करनाल ज़िलों पर होगा।
    • हिसार न्यायालय: हिसार, जींद, फतेहाबाद, सिरसा और कैथल ज़िलों के मामलों को संभालेगा।
  • हरियाणा का गौ संरक्षण कानून:
    • हरियाणा गौवंश संरक्षण एवं गौसंवर्द्धन अधिनियम वर्ष 2015 में बनाया गया था।
    • यह कानून गायों की हत्या पर सख्ती से प्रतिबंध लगाता है तथा इसका उद्देश्य गोमांस की खपत को कम करना है।
    • यह कानून गायों की हत्या, बलि चढ़ाने या हत्या करवाने पर प्रतिबंध लगाता है। हालांकि, आत्मरक्षा में या दुर्घटनावश गाय को मारना कानून के तहत हत्या नहीं माना जाता।
  • विशेष कार्य बल की भूमिका:
    • हरियाणा में इस अधिनियम को लागू करने के लिये विशेष गौ संरक्षण कार्य बल उत्तरदायी है
    • टास्क फोर्स जनता से पशु तस्करी और हत्या के बारे में सक्रिय रूप से जानकारी एकत्र करती है और तदनुसार कार्रवाई करती है।


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