छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में साइबर धोखाधड़ी रिपोर्ट
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ में कुल 168 करोड़ रुपए के साइबर अपराध के मामले सामने आए हैं, जिनमें से 5.2 करोड़ रुपए की वसूली की गई है, यह जानकारी उपमुख्यमंत्री ने विधानसभा सत्र के दौरान सदन को दी।
मुख्य बिंदु
- साइबर धोखाधड़ी: यह एक प्रकार का साइबर अपराध है, जिसका उद्देश्य किसी संस्था से पैसे (या अन्य मूल्यवान संपत्ति) चुराना है। इसमें धोखाधड़ी करने के लिये ऑनलाइन साधन (इंटरनेट आधारित) का उपयोग करना शामिल है।
- साइबर धोखाधड़ी के प्रकार:
साइबर धोखाधड़ी |
विवरण |
फ़िशिंग |
फ़िशिंग में ऐसे ई-मेल शामिल होते हैं, जो विश्वसनीय स्रोतों से आते प्रतीत होते हैं, जो उपयोगकर्त्ताओं को ऐसे लिंक पर क्लिक करने के लिये प्रेरित करते हैं जो उन्हें नकली वेबसाइटों पर ले जाते हैं और हमलावर संवेदनशील विवरण जैसे क्रेडिट कार्ड नंबर आदि प्राप्त कर लेते हैं। |
मैलवेयर |
मैलवेयर का उपयोग व्यक्तिगत जानकारी चुराने के लिये किया जाता है, जिससे साइबर अपराधी पीड़ित के कंप्यूटर पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते हैं। |
रैंसमवेयर |
रैनसमवेयर पीड़ित की फ़ाइलों को एन्क्रिप्ट करता है और डिक्रिप्शन के लिये भुगतान की मांग करता है। उदाहरण के लिये, 2016 में वानाक्राई हमला। |
साइबर-धमकी |
साइबर-धमकी में किसी व्यक्ति की सुरक्षा को खतरा पहुँचाना, कुछ भी कहने या कराने के लिये दबाव डालना शामिल है। |
साइबर जासूसी |
साइबर जासूसी किसी सार्वजनिक या निजी संस्था के नेटवर्क को लक्ष्य बनाकर वर्गीकृत डेटा, निजी सूचना या बौद्धिक संपदा तक पहँच प्राप्त करती है। |
व्यावसायिक ई-मेल समझौता (BEC) |
घोटालेबाज़, आपूर्तिकर्त्ताओं, कर्मचारियों या कर कार्यालय के सदस्यों का रूप धारण करने के लिये वैध ई-मेल खातों को हैक कर लेते हैं, जिसे सफेदपोश अपराध माना जाता है। |
डेटिंग हुडविंक्स |
हैकर्स संभावित साझेदार के रूप में प्रस्तुत होने और व्यक्तिगत डेटा तक पहुँच प्राप्त करने के लिये डेटिंग वेबसाइटों, चैट रूम और ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स का उपयोग करते हैं। |
- प्रत्येक ज़िले में साइबर सेल: छत्तीसगढ़ के सभी पाँच संभागों में अब प्रत्येक ज़िले में एक साइबर सेल है और ऐसे मामलों से निपटने के लिये पुलिस थानों को उन्नत किया गया है।
- सभी ज़िला पुलिस स्टेशनों को साइबर पुलिस स्टेशनों में उन्नत किया जा रहा है तथा विशेषज्ञ कर्मचारियों को राष्ट्रीय केंद्रों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
- निवेश: राज्य सरकार ने एक साइबर भवन के निर्माण में 2.77 करोड़ रुपए का निवेश किया है, जो एकीकृत फोरेंसिक डिवाइस, मोबाइल फोरेंसिक किट और डिस्क स्टोरेज सिस्टम सहित अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है।
- ये तकनीकी प्रगति राज्य में साइबर अपराध और धोखाधड़ी से निपटने के लिये चल रहे प्रयासों का हिस्सा हैं।
- साइबर धोखाधड़ी में वृद्धि: वैश्विक स्तर पर साइबर अपराध बढ़ रहा है, पिछले साल डिजिटल लेन-देन 20 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया। जैसे-जैसे डिजिटल लेन-देन बढ़ रहा है, साइबर धोखाधड़ी की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं।


छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में महिला पंचायत की जगह प्रॉक्सी शपथ
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम ज़िले के परसवाड़ा ग्राम पंचायत में छह नवनिर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों के पतियों (प्रधान पति) ने कथित तौर पर उनकी जगह शपथ ली।
मुख्य बिंदु
- प्रधान पति: यह भारत में पंचायतों (ग्राम परिषदों) में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के पतियों का वर्णन करने के लिये प्रयुक्त एक बोलचाल का शब्द है, जो अनौपचारिक रूप से अपनी पत्नियों (वास्तविक पंचायत प्रतिनिधियों) की ओर से सत्ता का प्रयोग करते हैं।
- यह घटना सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंडों के कारण उत्पन्न होती है, जहाँ महिलाओं के आधिकारिक पदों पर रहने के बावजूद, उनके पति या परिवार के पुरुष सदस्य निर्णय लेते हैं और प्रशासनिक कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हैं।
- शपथ ग्रहण विवाद : सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कथित तौर पर छह नवनिर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों के पति उनकी जगह शपथ लेते नजर आ रहे हैं।
- इस पर पंडरिया जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को मामले की जाँच करने के निर्देश दिये गए हैं। उन्होंने बताया कि जाँचरिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
- अनियमित शपथ-ग्रहण : पंचायत सचिव ने कथित तौर पर वास्तविक प्रतिनिधियों के बजाय छह निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के पतियों को शपथ दिलाई।
- जन आक्रोश : स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे महिला सशक्तिकरण का उल्लंघन बताया और ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि कार्रवाई में विफलता भविष्य में ऐसी घटनाओं को बढ़ावा दे सकती है।
पंचायती राज संस्थाओं (PRI) का शासन
- राज्य विषय:
- स्थानीय शासन राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है, तथा पंचायती राज संस्थाएँ संबंधित राज्य पंचायती राज अधिनियमों के अनुसार कार्य करती हैं।
- संवैधानिक ढांचा:
- 73वें संविधान संशोधन अधिनियम (1992) ने त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली की स्थापना की और महिलाओं के लिये 1/3 आरक्षण अनिवार्य किया, जिसे बाद में 21 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़ाकर 50% कर दिया गया।
- अनुच्छेद 243डी पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 40, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत है, राज्य को ग्राम पंचायतों की स्थापना करने तथा उन्हें स्वशासी इकाइयों के रूप में कार्य करने के लिये आवश्यक शक्तियां और प्राधिकार प्रदान करने का अधिकार देता है।
- अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (पेसा) अधिनियम, 1996, अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और जनजातीय संस्कृति और आजीविका की रक्षा के लिये विशेष शक्तियां प्रदान करता है।