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स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Mar 2025
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उत्तराखंड Switch to English

प्रधानमंत्री मुखवा में प्रार्थना करेंगे

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री उत्तराखंड के दौरा के दौरान माँ गंगा के शीतकालीन निवास मुखवा में पूजा-अर्चना करेंगे।

मुख्य बिंदु

  • हर्षिल में कार्यक्रम:
    • प्रधानमंत्री हर्षिल में एक ट्रेक और बाइक रैली को हरी झंडी दिखाएंगे।
    • वह क्षेत्र में एक समारोह के दौरान एक सार्वजनिक सभा को भी संबोधित करेंगे।
  • शीतकालीन पर्यटन कार्यक्रम:
    • उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2025 में शीतकालीन पर्यटन कार्यक्रम शुरू किया है।
    • इस पहल का उद्देश्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
    • हज़ारों श्रद्धालु पहले ही शीतकालीन स्थल गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन कर चुके हैं।
    • यह कार्यक्रम होमस्टे, पर्यटन व्यवसाय और संबंधित क्षेत्रों को समर्थन देगा।

मुखवा 

  • यह हरसिल शहर में भागीरथी नदी के तट पर गंगोत्री तीर्थस्थल के रास्ते पर स्थित एक छोटा-सा गाँव है। 
  • यह समुद्र तल से 2620 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।

गंगा नदी तंत्र

  • गंगा की मुख्य धारा जिसे 'भागीरथी' कहा जाता है, गंगोत्री ग्लेशियर से मिलती है तथा उत्तराखंड के देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है।
  • हरिद्वार में गंगा पहाड़ों से निकलकर मैदानों में आती है।
  • गंगा में हिमालय से निकलने वाली कई सहायक नदियाँ मिलती हैं,जैसे यमुना, घाघरा, गंडक, कोसी आदि।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी

चर्चा में क्यों?

5 मार्च, 2025 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने उत्तराखंड में दो रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी।

मुख्य बिंदु

  • रोपवे के बारे में:
    • रोपवे सोनप्रयाग को केदारनाथ से तथा गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा से जोड़ेगा।
    • ये परियोजनाएँ, जिनकी अनुमानित लागत 7,000 करोड़ रुपए है, राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम, पर्वतमाला परियोजना के अंतर्गत आती हैं ।
    • समुद्र तल से 3,500 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित रोपवे से तीर्थ स्थलों तक यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा ।
  • गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब रोपवे:
    • लंबाई: 12.4 किमी.
    • लागत: 2,730.13 करोड़ रुपए
    • विकास मोड: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत डिज़ाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (DBFOT)।
    • वर्तमान यात्रा: तीर्थयात्री वर्तमान में गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 21 किलोमीटर की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई पैदल, टट्टू या पालकी पर करते हैं।
  • अपेक्षित लाभ:
    • रोपवे से तीर्थयात्रियों की यात्रा आसान हो जाएगी, क्योंकि गुरुद्वारा वर्ष में केवल पाँच महीने (मई से सितंबर) के लिये ही खुला रहता है।
    • प्रतिवर्ष 1.5 से 2 लाख तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिये आते हैं।
    • इससे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, फूलों की घाटी आने वाले पर्यटकों को भी लाभ होगा।
  • सोनप्रयाग से केदारनाथ रोपवे:
    • लंबाई: 12.9 किमी.
    • लागत: 4,081.28 करोड़ रुपए 
    • प्रौद्योगिकी: हेमकुंड साहिब रोपवे के समान
    • समय में कमी:
    • रोपवे से यात्रा का समय वर्तमान 8-9 घंटे से घटकर मात्र 36 मिनट रह जाएगा।
    • वर्तमान में तीर्थयात्री हेलीकॉप्टर, टट्टू या फिर गौरीकुंड से केदारनाथ तक 16 किलोमीटर का चढ़ाई वाला रास्ता पैदल तय करते हैं।
    • केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और चार धाम यात्रा में सबसे अधिक दर्शनीय मंदिर है ।
  • आर्थिक एवं पर्यटन प्रभाव:
    • रोपवे परियोजनाओं से निर्माण एवं संचालन के दौरान रोज़गार सृजन होगा।
    • वे पूरे वर्ष आतिथ्य, यात्रा, खाद्य एवं पेय (F&B) और पर्यटन जैसे संबद्ध उद्योगों को बढ़ावा देंगे।

पर्वतमाला परियोजना

  • इसे केंद्रीय बजट 2022-23 में एक कुशल और सुरक्षित वैकल्पिक परिवहन नेटवर्क के रूप में घोषित किया गया था।
  • यह योजना PPP (सार्वजनिक निजी भागीदारी) मोड पर आधारित है, जो कठिन पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के स्थान पर एक पसंदीदा पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ विकल्प उपलब्ध कराती है।
  • इसका उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा यात्रियों के लिये कनेक्टिविटी और सुविधा में सुधार करना है।
    • इसमें भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्र भी शामिल हो सकते हैं, जहाँ पारंपरिक जन परिवहन प्रणालियाँ व्यवहार्य नहीं हैं।

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) 

  • इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और यह सार्वजनिक क्षेत्र के निवेशों के लिये प्राथमिकताएँ निर्धारित करती है। 
  • यह एक एकीकृत आर्थिक नीति ढाँचा विकसित करने के लिये आर्थिक प्रवृत्ति की निरंतर समीक्षा करती है तथा विदेशी निवेश सहित आर्थिक क्षेत्र में नीतियों और गतिविधियों की देखरेख करती है, जिसके लिये उच्च स्तरीय निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।


राजस्थान Switch to English

वरुण सागर

चर्चा में क्यों?

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष ने अजमेर स्थित सुप्रसिद्ध फॉयसागर झील का नाम परिवर्तित कर 'वरुण सागर' किया। 

मुख्य बिंदु 

  • मुद्दे के बारे में: 
    • विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अजमेर की फायसागर झील का नाम गुलामी का प्रतीक था। यह झील अजमेर के लोगों द्वारा बनाई गई थी और इसमें सिंधी सहित सभी समुदायों की धार्मिक व सामाजिक आस्था जुड़ी हुई है।
    • वरुण देवता सिंधी समाज सहित अन्य सभी समुदायों के आराध्य देव रहे हैं, इसलिये अब यह झील "वरुण सागर" के नाम से जानी जाएगी।
  • झील के बारे में: 
    • यह झील अजमेर ज़िले में स्थित एक कृत्रिम झील है।
    • इस झील का निर्माण ब्रिटिश राज के एक अंग्रेज़ अभियंता फॉय के निर्देशन में वर्ष 1891-1892 में बाढ़ और अकाल राहत परियोजना के तहत किया गया था। 
    • यह राजस्थान की दूसरी अकाल राहत झील है, पहली राजसमंद झील है।

राजसमंद झील

  • परिचय
    • यह राजस्थान का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में महाराणा राज सिंह ने करवाया था। 
    • इस झील को राजसमंद झील के नाम से भी जाना जाता है। 
  • निर्माण:
    • झील का निर्माण 1662 में शुरू हुआ और 1676 में पूरा हुआ। 
    • यह राजस्थान का सबसे पुराना अकाल राहत कार्य था। 
    • यह झील गोमती, केलवा और ताली नदियों  पर बनाई गई थी।
    • इसका जलग्रहण क्षेत्र लगभग 196 वर्ग मील है। 
  • विशेषताएँ:
    • यह झील 4 मील लंबी, 1.7 मील चौड़ी और 60 फीट गहरी है। 
    • दक्षिणी छोर पर स्थित सफेद संगमरमर के तटबंध को नौचौकी कहा जाता है। 
    • झील तक जाने वाले घाटों या पत्थर की सीढ़ियों पर मेवाड़ के इतिहास के बारे में शिलालेख अंकित हैं। 
    • बाँध के ऊपर स्थित राज-प्रशस्ति दृश्य में संस्कृत में दुनिया का सबसे लंबा और सबसे बड़ा पत्थर का शिलालेख है।



राजस्थान Switch to English

उदय गोल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट

चर्चा में क्यों 

1 मार्च से 7 मार्च 2025 तक बीकानेर में चतुर्थ राज्य स्तरीय उदय गोल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है

मुख्य बिंदु 

  • टूर्नामेंट के बारे में:
    • इस टूर्नामेंट का आयोजन मास्टर उदय क्लब द्वारा पुष्करणा स्टेडियम में दूधिया रोशनी में किया जा रहा है।
    • इस टूर्नामेंट में कुल 11 मैच खेले जाएंगे।
    • इस टूर्नामेंट में अब तक 12 टीमों ने प्रवेश लिया है। जिनमें बीकानेर, जोधपुर, जयपुर की दो-दो एवं श्रीगंगानगर हनुमानगढ़ कोटा, अजमेर, नागौर और करौली की एक-एक टीम शामिल है।

बीकानेर के बारे में 

  • स्थापना:
    • बीकानेर की स्थापना सन् 1488 ई. में, राठौड़ राजकुमार राव बीकाजी ने की थी। 
  • भौगोलिक स्थिति
    • अक्षांश 28.01° उत्तर और रेखांश 73.9° पूर्व पर स्थित।
  • भौगोलिक विशेषता:
    • रेगिस्तानी ज़िला, उत्तर-पूर्व राजस्थान में स्थित। 
    • बीकानेर में कोई नदी नहीं है।
  • दर्शनीय स्थल:
    • करणी माता का मंदिर: चूहों के मंदिर के रूप में प्रसिद्ध।
    • मुकाम मंदिर: बिश्नोई सम्प्रदाय का मुख्य धार्मिक स्थल।
    • जूनागढ़ किला: राजस्थान के सबसे सुंदर किलों में से एक।
    • भांडशाह जैन मंदिर: शहरी परकोटे के भीतर स्थित प्राचीन जैन मंदिर।
    • लूणकरनसर - खारे पानी की झील।
    • गजनेर अभयारण्य - बटबट(इम्पीरियल सेंडगाउज, रेत का तीतर) पक्षी तथा जंगली सुअर के लिये प्रसिद्ध है।
  •  सभ्यताएँ: 
    • सोथी, पूंगल, डाडाथोरा प्राचिन सभ्यताएँ बीकानेर में है।
  • ऊँट अनुसंधान केंद्र:
    • बीकानेर में हर साल जनवरी में ऊँट महोत्सव का आयोजन होता है।
    • दुनियाँ का सबसे बड़ा ऊँट अनुसंधान और प्रजनन केंद्र बीकानेर (1984) में है।



बिहार Switch to English

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का 62वाँ निर्वाण दिवस

चर्चा में क्यों? 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के 62वें निर्वाण दिवस पर उन्हें शत-शत नमन किया और उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

मुख्य बिंदु 

  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बारे में: 
    • डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सिवान ज़िले के जीरादेई में हुआ था।
    • वह बिहार में चंपारण सत्याग्रह (1917) के दौरान महात्मा गांधी के साथ जुड़े थे।
    • डॉ. प्रसाद ने 1918 के रॉलेट एक्ट और 1919 के जलियाँवाला बाग हत्याकांड पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
    • उन्होंने वर्ष 1930 में बिहार में नमक सत्याग्रह में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें कारावास भी हुआ।
    • वह आधिकारिक तौर पर वर्ष 1911 में कलकत्ता में आयोजित अपने वार्षिक सत्र के दौरान भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस में शामिल हो गए।
      • वर्ष 1946 में वे पंडित जवाहरलाल नेहरू की अंतरिम सरकार में खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में शामिल हुए तथा “अधिक अन्न उगाओ” का नारा दिया।
    • उन्होंने 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 तक भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और वे सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राष्ट्रपति रहे।
    • 26 जनवरी, 1950 को वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति चुने गए। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने 12 वर्षों से अधिक समय तक सेवा की, जो उन्हें भारत के इतिहास में सर्वाधिक समय तक कार्यरत राष्ट्रपति के रूप में दर्शाता है।
    • डॉ. प्रसाद को वर्ष 1962 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें "सत्याग्रह एट चंपारण," "इंडिया डिवाइडेड" तथा उनकी "आत्मकथा" शामिल हैं।
    • 28 फरवरी, 1963 को उनका निधन हो गया। 




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