उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ
चर्चा में क्यों?
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केंद्र ने राज्य में 33 बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये 559 करोड़ रुपए जारी किये।
मुख्य बिंदु:
- वित्त मंत्रालय के सहायक निदेशक के एक पत्र में कहा गया है कि यह राशि राज्य के लिये ‘पूंजी निवेश के लिये राज्यों को विशेष सहायता योजना, 2023-24’ के भाग- I के तहत अतिरिक्त आवंटन के हिस्से के रूप में दी गई है।
- केम्प्टी फॉल के लोकप्रिय पर्यटन स्थल के पास एक सुरंग पार्किंग सुविधा के निर्माण के लिये 26 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
- देहरादून के बाहरी इलाके हरबर्टपुर में एक अंतर-राज्य बस टर्मिनल के विकास के लिये 10.8 करोड़ रुपए जारी किये गए हैं।
- मसूरी में मॉल रोड के अग्रभाग को बेहतर बनाने के लिये 17 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, जबकि पुलिस बल को मज़बूत करने के लिये 20 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
- हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के लिये 100 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, जबकि देहरादून में शौर्य स्थल के निर्माण के लिये 51 करोड़ रुपए रखे गए हैं।
- सोंग बांध बहुउद्देशीय परियोजना के लिये 88 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं तथा उधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून में पुलिस के लिये आवासीय भवनों के निर्माण के लिये 25 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
पूंजी निवेश योजना के लिये राज्यों को विशेष सहायता
- पूंजीगत व्यय के लिये राज्यों को विशेष सहायता की योजना वित्त वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र शुरू की गई थी।
- वर्तमान में इस योजना का विस्तार किया गया है तथा इसे 1.3 लाख करोड़ रुपय के आवंटन के साथ 'पूंजी निवेश के लिये राज्यों को विशेष सहायता योजना, 2023-24' के रूप में जारी रखा गया है।
हरियाणा Switch to English
अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने राज्य के सात ज़िलों में पहाड़ियों के निम्निकृति क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने हेतु अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट के लिये अपने प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है ताकि पर्वत शृंखला के साथ निरंतर पारिस्थितिक अवरोध उत्पन्न किया जा सके।
मुख्य बिंदु:
- यह परियोजना केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ग्रीन वॉल परियोजना का हिस्सा है।
- पहले चरण में गुड़गाँव, फरीदाबाद नूंह,, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी और भिवानी की अरावली में 66 जल निकाय विकसित किये जाएंगे।
- यह परियोजना अफ्रीका की 'ग्रेट ग्रीन वॉल' परियोजना से प्रेरित है और इसका उद्देश्य उन पहाड़ियों पर हरित आवरण को बहाल करना है जो थार से दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत तक रेगिस्तान जैसी स्थितियों के विस्तार को रोकने वाली एकमात्र बाधा है।
- लक्ष्य वर्ष 2027 तक चार राज्यों हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली में लगभग 1.15 मिलियन हेक्टेयर वनों को बहाल करना है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की वर्ष 2022 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि हरियाणा के कुल क्षेत्रफल का लगभग 8.2% पिछले कुछ वर्षों में और अधिक शुष्क हो गया है।
- परियोजना का ज़ोर मृदा संरक्षण, अपरदन नियंत्रण तथा बेहतर जल प्रतिधारण तंत्र पर है जो जल चक्र को स्थिर करने, मृदा क्षरण को कम करने और सूखे एवं बाढ़ के हानिकारक प्रभावों के खिलाफ मज़बूती प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
- पारिस्थितिकीविदों और वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, अरावली में ऐसे कई क्षेत्र हैं जिन्हें जंगल के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है, लेकिन वे अभी भी पौधों तथा वन्यजीवों की समृद्ध जैवविविधता का निवास स्थान हैं। इन हरे-भरे स्थानों के संरक्षण के लिये योजनाएँ बनाने की अवश्यकता है।
अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल (GGW)
- इसका उद्देश्य अफ्रीका की निम्नीकृत भूमि का पुनर्निर्माण करना तथा विश्व के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र, साहेल (Sahel) में निवास करने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाना है।
- अफ्रीकी पहल अभी भी केवल 15% ही पूरी हुई है।
- योजना के पूर्ण हो जाने पर यह वॉल पृथ्वी पर सबसे बड़ी जीवित संरचना होगी - महाद्वीप की पूरी चौड़ाई में फैला हुआ विश्व का 8,000 किमी लंबा प्राकृतिक आश्चर्य।
- संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन, कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़- 14 (UN Convention to Combat Desertification- UNCCCD, COP14) के दौरान अफ्रीकी देशों ने वर्ष 2030 तक महाद्वीप के साहेल क्षेत्र में योजना को लागू करने हेतु वित्त के संदर्भ में वैश्विक समर्थन की मांग की थी।
- साहेल पश्चिमी और उत्तर-मध्य अफ्रीका का एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र (Semiarid Region) है जो पूर्व सेनेगल (Senegal) से सूडान (Sudan) तक फैला हुआ है।
- यह उत्तर में शुष्क सहाराई रेगिस्तान तथा दक्षिण में आर्द्र सवाना के बीच एक संक्रमणकालीन क्षेत्र का निर्माण करता है।
अरावली पर्वत शृंखला
- अरावली, पृथ्वी पर सबसे पुराना वलित पर्वत है।
- यह गुजरात से दिल्ली (राजस्थान और हरियाणा के माध्यम से) तक 800 किमी. से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है।
- अरावली शृंखला की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर गुरु पीक है।
- जलवायु पर प्रभाव:
- अरावली का उत्तर-पश्चिमी भारत और उससे आगे की जलवायु पर प्रभाव है।
- मानसून के दौरान पर्वत शृंखला धीरे-धीरे मानसूनी बादलों को शिमला और नैनीताल की तरफ पूर्व की ओर ले जाती है, इस प्रकार यह उप-हिमालयी नदियों का पोषण करने तथा उत्तर भारतीय मैदानों को उर्वरता प्रदान करने में मदद करती है।
- सर्दियों के महीनों में यह उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों (सिंधु और गंगा) को मध्य एशिया से ठंडी पश्चिमी हवाओं के हमले से बचाती है।
हरियाणा Switch to English
फसल क्षति दावों के लिये क्षतिपूर्ति पोर्टल
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने सभी ज़िलों के किसानों के लिये क्षतिपूर्ति पोर्टल खोलने का निर्णय लिया है ताकि वे अपनी फसलों को हुई हानि की सीमा का विवरण देते हुए अपनी रिपोर्ट जमा कर सकें।
मुख्य बिंदु:
- मुआवज़े के संबंध में निर्देश इस प्रकार हैं:
- बाढ़ से मृत्यु होने पर परिजनों को प्रति केस चार लाख रुपए दिये जाएँगे।
- जो पक्के या कच्चे घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें 1.20 लाख रुपए से लेकर 1.30 लाख रुपए तक मुआवज़ा दिया जाएगा।
- बाढ़ से घायल या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को 16 हज़ार रुपए दिये जाएंगे। यदि अवधि एक सप्ताह से कम है तो 5400 रुपए दिये जाएँगे।
- यह राशि उन लोगों को दी जाएगी जिनके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड नहीं है।
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY)
- PM-JAY पूर्ण रूप से सरकार द्वारा वित्तपोषित विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है।
- फरवरी 2018 में लॉन्च हुई यह योजना माध्यमिक देखभाल के साथ-साथ तृतीयक देखभाल हेतु प्रति परिवार 5 लाख रुपए की बीमा राशि प्रदान करती है।
- स्वास्थ्य लाभ पैकेज में सर्जरी, दवा एवं दैनिक उपचार, दवाओं की लागत और निदान शामिल हैं।
- लाभ:
- यह एक पात्रता आधारित योजना है जो नवीनतम सामाजिक- आर्थिक जाति जनगणना डेटा द्वारा पहचाने गए लाभार्थियों को लक्षित करती है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को बचे हुए (अप्रामाणित) SECC परिवारों के खिलाफ टैगिंग के लिये समान सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल वाले गैर-सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) लाभार्थी परिवार डेटाबेस का उपयोग करने हेतु लचीलापन प्रदान किया है।
- यह एक पात्रता आधारित योजना है जो नवीनतम सामाजिक- आर्थिक जाति जनगणना डेटा द्वारा पहचाने गए लाभार्थियों को लक्षित करती है।
- वित्तीयन:
- इस योजना का वित्तपोषण संयुक्त रूप से किया जाता है, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में केंद्र एवं विधायिका के बीच 60:40, पूर्वोत्तर राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल एवं उत्तराखंड के लिये 90:10 और विधायिका के बिना केंद्रशासित प्रदेशों हेतु 100% केंद्रीय वित्तपोषण।
- नोडल एजेंसी:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) को राज्य सरकारों के साथ संयुक्त रूप से PMJAY के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक स्वायत्त इकाई के रूप में गठित किया गया है।
- राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (SHA) राज्य में ABPMJAY के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार राज्य सरकार का शीर्ष निकाय है।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा सरकार ने 113 परियोजनाओं को स्वीकृति दी
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने ग्रामीण संवर्धन और महाग्राम योजना के तहत ₹121 करोड़ से अधिक की 113 नई परियोजनाओं को लागू करने का निर्णय लिया।
मुख्य बिंदु:
- इन्हें यमुनानगर, पंचकुला, अंबाला, फरीदाबाद, झज्जर, भिवानी और दादरी ज़िलों में लागू किया जाएगा।
- मुख्यमंत्री ने लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली इन परियोजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की।
- महाग्राम योजना के तहत दो परियोजनाओं, ग्रामीण संवर्धन कार्यक्रम के तहत 108 परियोजनाओं और सीवरेज तथा स्वच्छता के तहत तीन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई।
- स्वीकृत परियोजनाएँ जल आपूर्ति योजना, सीवरेज सुविधा और सीवेज उपचार संयंत्र के विस्तार, नई ज़िला स्तरीय अपशिष्ट जल परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना एवं नई जल आपूर्ति लाइनें बिछाने से संबंधित हैं।
ग्रामीण संवर्धन एवं महाग्राम योजना
- यह योजना राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2008-09 में विकास एवं पंचायत विभाग के माध्यम से शुरू की गई थी।
- इसमें सीवरेज प्रणाली, पेयजल आपूर्ति में सुधार, पक्की सड़कों का निर्माण, विद्युत में सुधार आदि की परिकल्पना की गई है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने 2 दिवसीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का शुभारंभ किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न बड़े खतरे के कारण प्रकृति को बचाने के लिये और अधिक उपायों एवं प्रयासों का आह्वान किया गया।
- कॉन्क्लेव का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के तकनीकी सहयोग से किया गया था।
मुख्य बिंदु:
- आयोजन के दौरान, मुख्यमंत्री ने अनियमित वर्षा, लंबे समय तक सूखे, चक्रवाती वर्षा और मौसमी बदलावों को देश एवं विश्व दोनों को प्रभावित करने वाली मूर्त अभिव्यक्तियों के रूप में उद्धृत करते हुए जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को रेखांकित किया।
- CM ने प्रकृति, हरियाली और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए इन चुनौतियों से निपटने के लिये रणनीति बनाने पर ज़ोर दिया।
- कॉन्क्लेव के दौरान, मुख्यमंत्री ने 'जलवायु परिवर्तन पर छत्तीसगढ़ राज्य कार्य योजना' भी लॉन्च की और बस्तर में पारंपरिक स्वास्थ्य प्रथाओं पर 'एनशियंट विसडम' नामक पुस्तक का अनावरण किया।
- उन्होंने वर्ष 2015 के पेरिस समझौते को जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि बताया और वैश्विक स्तर पर सहयोग जारी रखने का आग्रह किया।
- इस सम्मेलन का उद्देश्य विशेषज्ञों, पर्यावरणविदों, नीति निर्माताओं और आदिवासी समुदायों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान एवं चर्चा को सुविधाजनक बनाना है।
पारिस्थितिक सुरक्षा फाउंडेशन (FES)
- यह आनंद, गुजरात में स्थित एक पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठन है।
- वर्ष 2001 में गठित, यह सतत् और न्यायसंगत विकास की नींव है।
- यह जहाँ आवश्यक हो, देश में पारिस्थितिक उत्तराधिकार की प्रक्रिया और भूमि, वन एवं जल संसाधनों के संरक्षण को मजबूत करने, पुनर्जीवित करने या पुनर्स्थापित करने हेतु प्रतिबद्ध है।
जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता
- यह जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) के तहत कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक समझौता है जिसे वर्ष 2015 में अपनाया गया था। इसे UNFCCC COP21 में अपनाया गया था।
- इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटना और ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करना है, साथ ही वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की महत्त्वाकांक्षा है।
- इसने क्योटो प्रोटोकॉल का स्थान लिया जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये एक पूर्व समझौता था।
- पेरिस समझौता ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अनुकूलित करने और जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के अपने प्रयासों में विकासशील देशों को सहायता प्रदान करने के लिये मिलकर कार्य करने हेतु देशों के लिये एक रूपरेखा निर्धारित करता है।
- पेरिस समझौते के तहत, प्रत्येक देश को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिये अपनी योजनाओं की रूपरेखा बताते हुए,प्रत्येक 5 वर्ष में अपने राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (NDC) को प्रस्तुत एवं अद्यतन करना आवश्यक है।
- NDC देशों द्वारा अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अनुकूलित करने के लिये की गई प्रतिज्ञा है।
झारखंड Switch to English
PESA के सुदृढ़ीकरण पर क्षेत्रीय सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पेसा), 1996 को मज़बूत करने पर दूसरा दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन राँची में आयोजित किया गया था।
मुख्य बिंदु:
- पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने समापन सत्र को संबोधित किया और पीएम-जन मन योजना जैसी योजनाओं के कार्यान्वयन को प्राथमिकता देने की सरकार की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया।
- PESA के कार्यान्वयन को मज़बूत बनाने और PESA क्षेत्रों में वन अधिकार अधिनियम, 2006 को लागू करने में गैर-सरकारी हितधारकों की भूमिका पर चर्चा क्षेत्रीय सम्मेलन के समापन दिवस की मुख्य विशेषताएँ थीं, ताकि प्रतिभागियों के बीच ज्ञान साझा करने में सहायता की जा सके, PESA के उद्देश्यों को हासिल करने की दिशा में प्रतिबद्धता को बढ़ावा दिया जा सके।
- पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित सम्मेलन पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996, जिसे सामान्यतः PESA अधिनियम के नाम से जाना जाता है, के प्रावधानों को मज़बूत करने और प्रभावी कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करते हुए संपन्न हुआ।
- क्षेत्रीय सम्मेलन ने PESA के सफल और लक्षित कार्यान्वयन की दिशा में महत्त्वपूर्ण गति प्राप्त की तथा सभी प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी एवं व्यावहारिक योगदान के साथ अपने उद्देश्यों को प्राप्त किया, जिससे अधिनियम कार्यान्वयन में आगे की प्रगति का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- भाग लेने वाले पाँच राज्यों अर्थात आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना के प्रतिभागियों ने अपने सामूहिक प्रयासों के परिणामस्वरूप ज़मीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव की उम्मीद करते हुए, उत्साह तथा आशा से भरे समापन सत्र को छोड़ दिया।
- राँची में क्षेत्रीय सम्मेलन PESA के सफल, परिकल्पित और प्रभावी कार्यान्वयन की गति को बनाए रखने के एक शानदार संकल्प के साथ संपन्न हुआ।
पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पेसा), 1996
- ग्रामीण भारत में स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1992 में 73वाँ संविधान संशोधन पारित किया गया था।
- इस संशोधन द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्था के लिये कानून बनाया गया।
- हालांँकि अनुच्छेद 243 (M) के तहत अनुसूचित और आदिवासी क्षेत्रों में यह प्रतिबंधित था।
- वर्ष 1995 में भूरिया समिति की सिफारिशों के बाद भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों हेतु आदिवासी स्वशासन सुनिश्चित करने के लिये पेसा अधिनियम 1996 अस्तित्व में आया।
- PESA ने ग्राम सभा को पूर्ण शक्तियाँ प्रदान कीं, जबकि राज्य विधानमंडल ने पंचायतों और ग्राम सभाओं के समुचित कामकाज को सुनिश्चित करने के लिये एक सलाहकार की भूमिका दी है।
- ग्राम सभा को सौंपी गई शक्ति को उच्च स्तर से कम नहीं किया जा सकता है और हर जगह स्वतंत्रता होगी।
- PESA को भारत में जनजातीय कानून की रीढ़ माना जाता है।
- PESA निर्णय लेने की प्रक्रिया की पारंपरिक प्रणाली को मान्यता देता है और लोगों के स्वशासन के लिये खड़ा है।
- ग्राम सभाओं को निम्नलिखित शक्तियाँ और कार्य प्रदान किये गए हैं:
- विस्थापित व्यक्तियों के भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास में अनिवार्य परामर्श का अधिकार।
- जनजातीय समुदायों की पारंपरिक आस्था, संस्कृति का संरक्षण
- लघु वनोत्पाद का स्वामित्व
- स्थानीय विवादों का समाधान
- भूमि हस्तांतरण की रोकथाम
- ग्रामीण बाज़ारों का प्रबंधन
- नशीले पदार्थों को नियंत्रित करना
- साहूकारी पर नियंत्रण का अभ्यास
- अनुसूचित जनजातियों से जुड़े कोई अन्य अधिकार
पीएम-जनमन योजना
- पीएम-जनमन एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों को मुख्यधारा में लाना है।
- यह योजना (केंद्रीय क्षेत्र तथा केंद्र प्रायोजित योजनाओं के एकीकरण) जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों एवं PVTG समुदायों के सहयोग से कार्यान्वित की जाएगी।
- यह योजना 9 संबंधित मंत्रालयों द्वारा देख-रेख किये जाने वाले 11 महत्त्वपूर्ण कार्यप्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो PVTG वाले गाँवों में मौजूदा योजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगी।
- इसमें पीएम-आवास योजना के तहत सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल तक पहुँच, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, पोषण, सड़क एवं दूरसंचार कनेक्टिविटी के साथ-साथ स्थायी आजीविका के अवसर सहित विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।
- इस योजना में वन उपज के व्यापार के लिये वन धन विकास केंद्रों की स्थापना, 1 लाख घरों के लिये ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा प्रणाली तथा सौर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था शामिल है।
- इस योजना से PVTG के साथ भेदभाव एवं उनके बहिष्कार के विविध व प्रतिच्छेदन रूपों का समाधान कर राष्ट्रीय एवं वैश्विक विकास में उनके अद्वितीय व मूल्यवान योगदान को मान्यता और महत्त्व देकर PVTG के जीवन की गुणवत्ता तथा कल्याण में वृद्धि होने की उम्मीद है।
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