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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Jan 2025
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CM धामी ने देहरादून-मसूरी ट्रेक का निरीक्षण किया

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-6 के हालिया आँकड़ों से उत्तर प्रदेश में चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है, जहाँ हर चार में से एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप के खतरे में है। 

  • यह स्वास्थ्य स्थिति, जिसे प्राय: "साइलेंट किलर" कहा जाता है, स्ट्रोक और दिल के दौरे जैसी गंभीर जटिलताओं को जन्म देने की क्षमता के कारण एक बड़ा खतरा उत्पन्न करती है।

मुख्य बिंदु

  • अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने पाया है कि उपचार चाहने वाले रोगियों में से लगभग 25% उच्च रक्तचाप का खतरा है। 
  • चिंताजनक बात यह है कि इनमें से कई व्यक्ति अपनी स्थिति से अनभिज्ञ हैं, जिससे उनमें मस्तिष्क आघात और हृदयाघात जैसी गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है। 
  • इसके उत्तर में, AIIMS ने उच्च रक्तचाप का शीघ्र पता लगाने और प्रबंधन में सुविधा प्रदान करने के लिये रोगियों और उनके देखभालकर्त्ताओं पर व्यापक डेटा संग्रह शुरू किया है।
  • सामान्य रक्तचाप में उतार-चढ़ाव और उच्च रक्तचाप  के बीच अंतर।
  • जबकि युवा वयस्कों के लिये सामान्य रक्तचाप रीडिंग आमतौर पर 120/80 mmHg के आसपास होती है, 140/90 mmHg या इससे अधिक की रीडिंग उच्च रक्तचाप का संकेत है। 
  • नियमित निगरानी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि मामूली वृद्धि भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
  • इस बढ़ती स्वास्थ्य चिंता से निपटने के लिये AIIMS भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ सहयोग कर रहा है। 
  • इस साझेदारी का उद्देश्य रोगियों और उनके परिवारों पर व्यापक डेटा एकत्र करना है, जिसमें रक्तचाप संबंधी समस्याओं, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की व्यापकता पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। 
  • इसका लक्ष्य पैटर्न और जोखिम कारकों की पहचान करना है, ताकि उच्च रक्तचाप को प्रभावी ढंग से रोकने और प्रबंधित करने के लिये लक्षित हस्तक्षेप संभव हो सके।
  • NFHS रिपोर्ट उत्तर प्रदेश में उच्च रक्तचाप के बढ़ते जोखिम की गंभीरता को उजागर करती है।
  • इसमें इस स्थिति से जुड़े प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिये जागरूकता बढ़ाने, नियमित स्वास्थ्य जाँच और शीघ्र चिकित्सा की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

उच्च रक्तचाप

  • परिचय: 
    • पहली (सिस्टोलिक) संख्या हृदय के सिकुड़ने या धड़कने के समय रक्त वाहिकाओं में दबाव को दर्शाती है।
    • दूसरी (डायस्टोलिक) संख्या, धड़कनों के बीच हृदय के विश्राम के समय वाहिकाओं में दबाव को दर्शाती है।
    • उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) तब होता है जब आपकी रक्त वाहिकाओं में दबाव बहुत अधिक (140/90 mmHg या उससे अधिक) हो जाता है। यह सामान्य है लेकिन अगर इसका उपचार न किया जाए तो यह गंभीर हो सकता है।
    • रक्तचाप को दो संख्याओं के रूप में लिखा जाता है:
    • उच्च रक्तचाप के संबंध में जागरूकता बढ़ाने तथा लोगों को इस मूक हत्यारे को रोकने और नियंत्रित करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु हर वर्ष 17 मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है।
  • भारत पर उच्च रक्तचाप का बोझ
    • केवल भारत में 30-79 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 188.3 मिलियन वयस्क उच्च रक्तचाप से जूझ रहे हैं।
    • भारत में उच्च रक्तचाप की व्यापकता वैश्विक औसत 31% से थोड़ी कम है।
    • 50% नियंत्रण दर तक पहुँचने के लिये, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उच्च रक्तचाप से पीड़ित अतिरिक्त 67 मिलियन लोगों को प्रभावी उपचार प्राप्त हो।
    • यदि प्रगति के लक्ष्यों को प्राप्त किया गया, तो वर्ष 2040 तक उच्च रक्तचाप के कारण होने वाली 4.6 मिलियन मौतों को रोका जा सकता है।


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अनियंत्रित निर्माण से उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा

चर्चा में क्यों? 

देहरादून में रियल एस्टेट का तेज़ी से विस्तार पारिस्थितिकी क्षरण और जैव विविधता हानि के संबंध में महत्त्वपूर्ण चिंताएँ उत्पन्न कर रहा है। 

  • राजपुर और मसूरी रोड पर बड़ी आवासीय परियोजनाओं के कारण निजी और सार्वजनिक दोनों ही भूमि पर अतिक्रमण की सूचना मिली हैं, जिसके कारण हरित क्षेत्र नष्ट हो रहा है और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा है।

मुख्य बिंदु

  • निर्माण गतिविधियों में वन भूमि और निजी भूखंडों को साफ किया जा रहा है, जिनमें रिस्पना नदी तक जाने वाले प्राकृतिक निकासी प्रणाली (प्राकृतिक नालों) वाले क्षेत्र भी शामिल हैं। 
  • घाटियों को कीचड़ से भर दिया जा रहा है, जो वर्षा के दौरान बह जाता है तथा देशी वृक्षों को हटाने से स्थानीय जैव विविधता बाधित होती है तथा विकास क्षेत्र की वहन क्षमता से अधिक हो रहा है। 
  • अनियंत्रित निर्माण गतिविधियों के कारण राजपुर रिज क्षेत्र में  जल स्रोत और नदियाँ नष्ट हो गई हैं तथा प्राकृतिक वनस्पति का स्थान शहरी विकास ने ले लिया है।
    • यह स्थिति विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने के लिये सतत् शहरी नियोजन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।
  • ऊँचे क्षेत्रों में अनियंत्रित निर्माण के कारण अक्सर निचले क्षेत्रों में मलबा और भूस्खलन होता है, जिससे निवासियों और पर्यावरण को खतरा होता है।
  • इन चुनौतियों से निपटने के लिये, विशेषज्ञ भवन निर्माण नियमों को लागू करने, पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) करने और ज़िम्मेदार निर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देने  के महत्त्व पर ज़ोर देते हैं।
    • उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों की पारिस्थितिक अखंडता को संरक्षित करने वाले सतत् विकास की वकालत करने में जन जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी भी महत्त्वपूर्ण है।

 पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA)

  • EIA एक संरचित पद्धति है जिसका उपयोग आगामी परियोजनाओं या गतिविधियों से उत्पन्न होने वाले संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का विश्लेषण करने और समझने के लिये किया जाता है। 
    • इससे यह मूल्यांकन और पूर्वानुमान लगाने में सहायता मिलती है कि इन परियोजनाओं को क्रियान्वित करने से पहले इनका प्राकृतिक परिवेश पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 
  • EIA की अवधारणा 1960 और 1970 के दशक में बड़े पैमाने पर विकास परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभावों के संबंध में बढ़ती चिंताओं की प्रतिक्रिया के रूप में उभरी। 
  • 27 जनवरी, 1994 को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार ने पहली EIA अधिसूचना जारी की। 

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