उत्तराखंड Switch to English
अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ मज़दूरों की रैली
चर्चा में क्यों?
तिलाड़ी आंदोलन की 92वीं वर्षगाँठ मनाने के लिये गांधी पार्क में एक बड़ी सार्वजनिक रैली आयोजित की गई। इसमें दैनिक वेतन भोगी और सामाजिक संगठनों के सदस्य शामिल थे, जो नगर निकायों द्वारा शुरू की गई अतिक्रमण विरोधी गतिविधियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
मुख्य बिंदु:
- यह अभियान रिस्पना नदी के बाढ़ के मैदानों से अवैध संरचनाओं को हटाने के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशों के अनुपालन में चलाया जा रहा है।
- नगर निगम आयुक्त द्वारा इस बात पर सहमति जताए जाने के बावजूद कि निवास के प्रमाण के रूप में किसी भी वैध पहचान-पत्र का उपयोग किया जा सकता है, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) द्वारा दस्तावेज़ों को अस्वीकार कर दिया गया था।
- प्रदर्शनकारी ने इन अस्वीकृतियों को चुनौती देने और अपने परिवारों को बेदखल होने से बचाने के लिये दिये गए समय की कमी पर प्रकाश डाला।
तिलाड़ी आंदोलन
- 30 मई, 1930 को टिहरी गढ़वाल राज्य की वन नीति के खिलाफ तिलाड़ी में एक महत्त्वपूर्ण सत्याग्रह हुआ, जो उत्तराखंड के बाकी हिस्सों में अंग्रेज़ों द्वारा लागू की गई नीतियों से मिलता-जुलता था।
- जब टिहरी के महाराजा यूरोप में थे, तब उनके प्रधानमंत्री चक्रधर जुयाल ने जलियाँवाला बाग त्रासदी की याद दिलाते हुए तिलाड़ी आंदोलन को क्रूरता से दबा दिया था।
- सैनिकों ने बच्चों सहित निहत्थे लोगों को गोलियों से भून दिया और भागने की कोशिश करते हुए कई लोग यमुना नदी में डूबकर मर गए।
Switch to English