राष्ट्रपति मुर्मू का छत्तीसगढ़ दौरा | छत्तीसगढ़ | 04 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर केंद्रित दो दिवसीय छत्तीसगढ़ का आधिकारिक दौरा किया।
प्रमुख बिंदु
- रायपुर में कार्यक्रम:
- राष्ट्रपति मुर्मू ने एम्स रायपुर के 10वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया, जहाँ उन्होंने छात्रों और कर्मचारियों को संबोधित किया।
- सांस्कृतिक सम्मान:
- अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने महामाया मंदिर में पूजा-अर्चना की तथा राज्य की समृद्ध जनजातीय विरासत को दर्शाने वाले कार्यक्रमों में भाग लिया।
- स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर ध्यान:
- उनकी चर्चाओं में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य शिक्षा और बुनियादी ढाँचे की उन्नति पर ज़ोर दिया गया।
भारत के राष्ट्रपति
- भारतीय संविधान, 1950 (Constitution of India- COI) राष्ट्रपति के चुनाव, शक्तियों और कार्यों के लिये एक विस्तृत रूपरेखा प्रदान करता है, जो आवश्यकता पड़ने पर औपचारिक कर्तव्यों और पर्याप्त शक्तियों के बीच संतुलन सुनिश्चित करता है।
- भारत का राष्ट्रपति राज्य का कार्यकारी प्रमुख और भारतीय सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है।
- देश के सभी कार्यकारी कार्य राष्ट्रपति के नाम पर किये जाते हैं।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 52 में कहा गया है कि राज्य का एक अध्यक्ष होगा।
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में हाथियों की मौत | मध्य प्रदेश | 04 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में चार हाथी मृत पाए गए और पाँच अन्य गंभीर रूप से बीमार पाए गए, जिसके पश्चात वन्यजीव अधिकारियों और संरक्षण टीमों द्वारा गहन जाँच की गई।
मुख्य बिंदु
- बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व:
- मध्य प्रदेश में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्र में विस्तृत है और भारत के प्रमुख बाघ आवासों में से एक है।
- हाथियों की आबादी:
- मूल रूप से हाथियों से रहित इस अभ्यारण्य में 2018 में छत्तीसगढ़ से हाथियों के झुंड का पहला प्रवास हुआ, जिससे अभ्यारण्य के भीतर हाथियों की स्थायी आबादी की शुरुआत हुई।
- प्रारंभिक झुंड में लगभग 15-20 हाथी थे और तब से उन्हें रिज़र्व के मुख्य तथा बफर दोनों क्षेत्रों में देखा गया है।
- ये हाथी आरक्षित वन (RF) 384 और संरक्षित वन (PF) 183 A, खितौली और पतौर कोर रेंज के सलखनिया बीट में स्थित थे।
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (BTR)
- यह मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में स्थित है और विंध्य पहाड़ियों पर विस्तृत है।
- 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया तथा 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत पड़ोसी पनपथा अभयारण्य में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
- यह रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिये जाना जाता है। बांधवगढ़ में बाघों की आबादी का घनत्व भारत के साथ-साथ दुनिया में भी सबसे ज़्यादा है।
- ये धाराएँ फिर सोन नदी (गंगा नदी की एक महत्त्वपूर्ण दक्षिणी सहायक नदी) में विलीन हो जाती हैं।
- महत्त्वपूर्ण शिकार प्रजातियों में चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, चौसिंघा, लंगूर और रीसस मकाक शामिल हैं।
- बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया और सियार जैसे प्रमुख शिकारी इन पर निर्भर हैं।
उत्तर प्रदेश ने संस्कृत छात्रवृत्ति योजना का विस्तार किया | उत्तर प्रदेश | 04 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने संस्कृत शिक्षा को समर्थन देने, छात्रों की पात्रता और वित्त पोषण बढ़ाने के लिये एक नई छात्रवृत्ति योजना शुरू की।
प्रमुख बिंदु
- विस्तार:
- इस योजना के तहत अब 586 लाख रुपए के बजट के साथ 69,195 छात्रों को सहायता दी जा रही है, जो कि पहले के 300 लाभार्थियों से उल्लेखनीय वृद्धि है।
- पिछली योजना के विपरीत, जिसमें सख्त आयु सीमा थीं, नई छात्रवृत्ति उत्तर प्रदेश के सभी योग्य संस्कृत छात्रों के लिये खुली है।
- CM ने कंप्यूटर विज्ञान जैसे वैज्ञानिक क्षेत्रों में संस्कृत की प्रासंगिकता पर ज़ोर दिया तथा छात्रों को इसे व्यापक अनुप्रयोगों वाली भाषा के रूप में देखने के लिये प्रोत्साहित किया।
- पारंपरिक गुरुकुल शिक्षा के लिये समर्थन:
- गुरुकुल शैली के स्कूलों को पुनर्जीवित करने की योजना की घोषणा की गई, जिसमें आवासीय सुविधाओं के लिये बेहतर समर्थन और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति शामिल है।
- वैदिक विज्ञान केंद्र की स्थापना से अनुसंधान में सुविधा होगी तथा पारंपरिक संस्कृत ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक जाँच के साथ एकीकृत किया जा सकेगा।
गुरुकुल
- 'गुरुकुल' प्राचीन भारत में एक प्रकार की शिक्षा प्रणाली थी जिसमें शिष्य (छात्र) गुरु के साथ एक ही घर में रहते थे।
- नालंदा में विश्व की सबसे पुरानी विश्वविद्यालय शिक्षा प्रणाली है।
- विश्व भर के छात्र भारतीय ज्ञान प्रणालियों की ओर आकर्षित हुए।
दिवाली के प्रदूषण से बचने के लिये उत्तराखंड में शरण | उत्तराखंड | 04 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में NCR (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) क्षेत्र में वायु की निम्न गुणवत्ता ने निवासियों को स्वच्छ वायु और स्वस्थ दिवाली मनाने के लिये उत्तराखंड की ओर प्रेरित किया है।
प्रमुख बिंदु
- पर्यटक बुकिंग में बढ़ोतरी:
- प्रदूषण से बचने के लिये NCR के निवासी उत्तराखंड में, विशेषकर देहरादून, नैनीताल और मसूरी जैसे क्षेत्रों में होटल और होमस्टे की बुकिंग तेज़ी से कर रहे हैं।
- दिवाली के दौरान उत्तराखंड में प्रदूषण का स्तर अपेक्षाकृत कम रहता है, जिससे यह NCR के धुंध भरे आसमान के बीच एक आकर्षक शरणस्थल बन जाता है।
- परिवार, विशेषकर बुजुर्ग और बच्चों वाले, शहरी क्षेत्रों में उच्च प्रदूषण स्तर से जुड़े स्वास्थ्य ज़ोखिमों से बचने को प्राथमिकता देते हैं।
- इस आगमन से उत्तराखंड की पर्यटन अर्थव्यवस्था को लाभ मिलता है, तथा आवास और स्थानीय सेवाओं की मांग बढ़ जाती है।
कुंभ मेला 2025 की तैयारियाँ | उत्तर प्रदेश | 04 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कुंभ मेले 2025 को अधिक सुरक्षित एवं सांस्कृतिक रूप से समृद्ध आयोजन बनाने के लिये उपायों की घोषणा की ।
मुख्य बिंदु
- उन्नत सुरक्षा उपाय:
- भीड़ नियंत्रण और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिये ड्रोन सहित उन्नत सुरक्षा और निगरानी प्रणालियाँ तैनात की जाएँगी।
- सांस्कृतिक प्रदर्शनियाँ:
- पूरे मेले में पारंपरिक प्रदर्शन और प्रदर्शनियाँ होंगी, जो भारत की विविध विरासत पर प्रकाश डालेंगी।
- बुनियादी ढाँचागत विकास:
- लाखों तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिये सड़क विस्तार, बेहतर स्वच्छता और उन्नत सुविधाओं को प्राथमिकता दी गई है।
- पर्यावरण अनुकूल पहल:
- अपशिष्ट को न्यूनतम करने तथा गंगा नदी एवं आसपास के क्षेत्रों की स्वच्छता बनाए रखने के लिये कदम।
कुंभ मेला
- कुंभ मेला तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान प्रतिभागी पवित्र नदी में स्नान करते हैं।
- कुंभ मेला UNESCO की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
- यह महोत्सव प्रयागराज (गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर), हरिद्वार (गंगा के तट पर), उज्जैन (शिप्रा के तट पर) व नासिक (गोदावरी के तट पर) में प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित किया जाता है और इसमें जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बिना लाखों लोग भाग लेते हैं।
- चूँकि यह भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविधतापूर्ण त्योहार बन जाता है।
- यह आयोजन खगोल विज्ञान, ज्योतिष, अध्यात्म, अनुष्ठानिक परंपराओं तथा सामाजिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाज़ों एवं प्रथाओं को समाहित करता है, जिससे यह ज्ञान की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध बन जाता है।
- परंपरा से संबंधित ज्ञान और कौशल प्राचीन धार्मिक पांडुलिपियों, मौखिक परंपराओं, ऐतिहासिक यात्रा वृत्तांतों और प्रख्यात इतिहासकारों द्वारा तैयार ग्रंथों के माध्यम से प्रसारित किये जाते हैं।
- आश्रमों और अखाड़ों में साधुओं के बीच गुरु-शिष्य संबंध कुंभ मेले से संबंधित ज्ञान और कौशल प्रदान करने और उसकी सुरक्षा करने का सबसे महत्त्वपूर्ण तरीका बना हुआ है।
उत्तराखंड का दिवाली उपहार | उत्तराखंड | 04 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड ने दिवाली लाभ के रूप में राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिये महँगाई भत्ते (Dearness Allowance- DA) में वृद्धि की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- महँगाई भत्ते में बढ़ोतरी:
- उत्तराखंड ने घरेलू खर्चों पर महँगाई के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से सरकारी कर्मचारियों के लिये महँगाई भत्ते में एक निश्चित प्रतिशत की वृद्धि की।
- महँगाई भत्ता 50% से बढ़ाकर 53% प्रतिमाह कर दिया गया है।
- महँगाई भत्ते में वृद्धि सभी नियमित और पूर्णकालिक राज्य कर्मचारियों एवं UGC से संबद्ध अधिकारियों पर 1 जुलाई 2024 से लागू होगी, जिसमें जुलाई से सितंबर 2024 तक का बकाया नकद देय होगा।
- राज्य सरकार के अधीन कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को कवर करते हुए बढ़ा हुआ महँगाई भत्ता तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
- आर्थिक प्रभाव:
- यह वृद्धि कर्मचारियों की क्रय शक्ति को बढ़ावा देती है, जो विशेष रूप से त्यौहारी सीजन के दौरान अधिक महत्त्वपूर्ण होती है, जब व्यय आमतौर पर अधिक होता है।
- इसी प्रकार के महँगाई भत्ते के समायोजन विभिन्न राज्यों में देखे जा रहे हैं, क्योंकि इनका उद्देश्य बढ़ती जीवन-यापन लागत के बीच वित्तीय राहत प्रदान करना है।
महँगाई भत्ता (DA)
- यह महँगाई को संतुलित करने के लिये जीवन-यापन की लागत का समायोजन है, जो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को प्रदान किया जाता है। इसकी गणना मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में की जाती है।