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स्टेट पी.सी.एस.

  • 03 Apr 2024
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हरियाणा Switch to English

हरियाणा मंत्रिमंडल विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका पर उच्च न्यायालय का नोटिस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा में नायब सिंह सैनी सरकार द्वारा कैबिनेट विस्तार को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर केंद्र तथा हरियाणा सरकार से जवाब मांगा।

मुख्य बिंदु:

  • याचिका के अनुसार, राज्य में 90 सदस्यीय सदन है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार मंत्रिपरिषद कुल संख्या के 13 (15%) से अधिक नहीं हो सकती है।
  • अनुच्छेद 164 में प्रावधान है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
  • जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि सैनी ने 12 मार्च को पाँच को मंत्री नियुक्त किया, जब उन्होंने 19 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली व आठ और लोगों को नियुक्त किया।

जनहित याचिका (PIL)

  • यह मानवाधिकारों और समानता को आगे बढ़ाने या व्यापक सार्वजनिक चिंता के मुद्दों को उठाने के लिये कानून का उपयोग है।
  • "जनहित याचिका" की अवधारणा अमेरिकी न्यायशास्त्र से ली गई है।
  • भारतीय कानून में PIL का अर्थ जनहित की सुरक्षा के लिये मुकदमा करना है। यह किसी न्यायालय में पीड़ित पक्ष द्वारा नहीं बल्कि स्वयं न्यायालय या किसी अन्य निजी पक्ष द्वारा प्रस्तुत किया गया मुकदमा है।
    • यह न्यायिक सक्रियता के माध्यम से न्यायालयों द्वारा जनता को दी गई शक्ति है।
  • इसे केवल सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में ही दाखिल किया जा सकता है।
  • यह रिट याचिका से भिन्न है, जो व्यक्तियों या संस्थानों द्वारा अपने लाभ के लिये दायर की जाती है, जबकि जनहित याचिका आम जनता के लाभ के लिये दायर की जाती है।
  • PIL की अवधारणा कानून की मदद से त्वरित सामाजिक न्याय की रक्षा और वितरण हेतु भारत के संविधान के अनुच्छेद 39 A में निहित सिद्धांतों के अनुकूल है।
  • वे क्षेत्र जहाँ जनहित याचिका दायर की जा सकती है: प्रदूषण, आतंकवाद, सड़क सुरक्षा, निर्माणात्मक खतरे आदि।

हरियाणा Switch to English

भारतीय कामगारों का पहला जत्था इज़रायल के लिये रवाना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इज़रायल में रोज़गार के लिये जाने वाले भारतीय निर्माण श्रमिकों के पहले बैच को इज़रायली राजदूत नाओर गिलोन और सरकारी अधिकारियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

मुख्य बिंदु:

  • इज़रायली सरकार ने नवंबर 2023 में निर्माण श्रमिकों के लिये एक तत्काल अनुरोध किया था और इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दिसंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर चर्चा की थी।
    • ऐसा इसलिये था क्योंकि 7 अक्तूबर 2023 को हमास द्वारा किये गए आतंकवादी हमलों के बाद हज़ारों फिलिस्तीनियों को इज़रायल में कार्य करने से प्रतिबंधित करने के बाद देश को बड़ी श्रम कमी का सामना करना पड़ा था।
  • राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद के अनुसार, पहले समूह की भर्ती पिछले कुछ महीनों में हरियाणा और उत्तर प्रदेश में एक बड़े अभियान के दौरान की गई थी।
    • वे अपेक्षित 10,000-मज़बूत कार्यबल का हिस्सा हैं, जिन्हें अगले कुछ हफ्तों में इज़रायल भेजा जाएगा, जिनमें से लगभग हर दिन एयर इंडिया और यहाँ तक ​​कि चार्टर्ड फ्लाइट्स से यात्रा की जाएगी।
  • विदेश मंत्रालय के अनुसार, श्रमिक वर्ष 2023 में हस्ताक्षरित भारत-इज़रायल गतिशीलता साझेदारी के हिस्से के रूप में सरकार-से-सरकार व्यवस्था के तहत इज़रायल की यात्रा कर रहे थे।
  • चूँकि इज़रायल "उत्प्रवासन मंज़ूरी आवश्यक" (ECR) देशों की सूची में नहीं है, इसलिये MEA के ई-माइग्रेट पोर्टल पर श्रमिकों के लिये पंजीकरण अनिवार्य नहीं है।
  • इज़रायल के साथ हस्ताक्षरित फ्रेमवर्क समझौते और कार्यान्वयन प्रोटोकॉल के अनुसार, भारतीय श्रमिकों को इज़रायली नागरिकों के समान श्रम अधिकारों के संबंध में समान व्यवहार का आनंद मिलेगा एवं उन्हें उचित आवास, चिकित्सा बीमा व  प्रासंगिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज के साथ-साथ कानून में निर्धारित मज़दूरी तथा लाभ प्रदान किये जाएंगे।

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) 

  • यह एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी है जिसकी स्थापना 31 जुलाई 2008 को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत की गई थी।
  • वित्त मंत्रालय ने NSDC को सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के रूप में स्थापित किया।
  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के माध्यम से भारत सरकार के पास NSDC की 49% हिस्सेदारी है, जबकि निजी क्षेत्र के पास शेष 51% हिस्सेदारी है।
  • संगठन व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिये स्केलेबल और सफल पहल विकसित करने हेतु धनराशि प्रदान करता है।

ई-माइग्रेट 

  • यह वर्ष 2015 में लॉन्च होने के बाद से पूरी तरह से चालू है और भर्ती एजेंटों (RA), विदेशी नियोक्ताओं (FE) के पंजीकरण तथा संभावित प्रवासियों को उत्प्रवास मंज़ूरी (EC) जारी करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • यह 18 उत्प्रवास जाँच आवश्यक (ECR) देशों में भारतीय श्रमिकों के सुरक्षित और कानूनी प्रवास की सुविधा के लिये विकसित एक व्यापक ऑनलाइन प्रणाली है।
    • ये 18 देश हैं अफगानिस्तान, बहरीन, इराक, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, कुवैत, जॉर्डन, लीबिया, लेबनान, मलेशिया, ओमान, कतर, दक्षिण सूडान, सीरिया, सूडान, थाईलैंड, यूएई और यमन।

उत्तर प्रदेश Switch to English

अतिरिक्त महाधिवक्ता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) अर्धेन्दुमौली कुमार प्रसाद ने कार्यालय से इस्तीफा दे दिया।

  • AAG के रूप में नियुक्त होने से पहले, उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में यूपी के लिये स्थायी वकील के रूप में कार्य किया।

मुख्य बिंदु:

  • अतिरिक्त महाधिवक्ता एक कानूनी अधिकारी होता है जो भारत में किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के महाधिवक्ता (AG) की सहायता करता है।
  • उनकी नियुक्ति AG की सिफारिश पर राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।
  • AAG, AG द्वारा उसे सौंपे गए कर्त्तव्यों का पालन करता है, जैसे राज्य सरकार की ओर से उच्च न्यायालय या अन्य न्यायालयों में उपस्थित होना, कानूनी राय देना और दलीलों का मसौदा तैयार करना।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान RSS समूह द्वारा CAA पात्रता प्रमाण-पत्र वितरण

चर्चा में क्यों?

राजस्थान में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा एक समूह नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) के तहत नागरिकता के लिये आवेदन करने में मदद करने हेतु शिविरों का आयोजन कर रहा है और पाकिस्तान से आए हिंदू समुदाय के सदस्यों को "पात्रता प्रमाण-पत्र" जारी कर रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • सीमाजन कल्याण समिति नामक समूह, जो पाकिस्तान सीमा से लगे क्षेत्रों में सक्रिय है, ने राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर के लगभग 330 लोगों को गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किये गए नागरिकता पोर्टल पर अपने दस्तावेज़ अपलोड करने में मदद की है।
  • CAA पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह "उत्पीड़ित" गैर-मुस्लिम समुदायों के सदस्यों को नागरिकता प्रदान करता है।
  • प्रमाण-पत्र, "स्थानीय रूप से प्रतिष्ठित सामुदायिक संस्थान" द्वारा जारी किया जाने वाला एक अनिवार्य दस्तावेज़ है, जिसे एक हलफनामे के साथ संलग्न किया जाना है और अन्य दस्तावेज़ों के साथ CAA पोर्टल पर अपलोड किया जाना है।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि चूँकि पाकिस्तानी हिंदू तीर्थयात्री या पर्यटक वीज़ा पर कानूनी रूप से भारत में प्रवेश करते थे, इसलिये वे नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5 और धारा 6 के तहत नागरिकता के लिये पात्र थे।
  • CAA  का इरादा पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति समुदाय मतुआओं को लाभ पहुँचाने का भी है, जो वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान और उसके बाद बांग्लादेश से आए थे।

समूह नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019

  • परिचय
    • CAA पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से छह गैर-दस्तावेज़ गैर-मुस्लिम समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था।
    • यह अधिनियम इन छह समुदायों के सदस्यों को विदेशी अधिनियम, 1946 और  पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत किसी भी आपराधिक मामले से छूट देता है।
      • दोनों अधिनियम अवैध रूप से देश में प्रवेश करने और वीज़ा या परमिट के समाप्त हो जाने पर यहाँ रहने के लिये दंड निर्दिष्ट करते हैं।
  • नियम
    • CAA नियम 2024: नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6B CAA के अंर्तगत नागरिकता के लिये आवेदन प्रक्रिया का आधार है। भारतीय नागरिकता हेतु पात्र होने के लिये आवेदक को अपनी राष्ट्रीयता, धर्म, भारत में प्रवेश की तिथि एवं भारतीय भाषाओं में से किसी एक में दक्षता का प्रमाण देना होगा।
      • मूल देश का प्रमाण: लचीली आवश्यकताएँ विभिन्न दस्तावेज़ों की अनुमति देती हैं, जिनमें जन्म अथवा शैक्षणिक प्रमाण-पत्र, पहचान दस्तावेज़, लाइसेंस, भूमि रिकॉर्ड अथवा उल्लिखित देशों की नागरिकता सिद्ध करने वाला कोई भी दस्तावेज़ शामिल है।
      • भारत में प्रवेश की तिथि: आवेदक भारत में प्रवेश के प्रमाण के रूप में 20 अलग-अलग दस्तावेज़ प्रदान कर सकते हैं, जिनमें वीज़ा, आवासीय परमिट, जनगणना पर्चियाँ, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, राशन कार्ड, सरकारी अथवा न्यायालयी पत्र, जन्म प्रमाण-पत्र और बहुत कुछ शामिल हैं।

मतुआ समुदाय

  • मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान के रहने वाले मतुआ विभाजन के दौरान और बांग्लादेश के निर्माण के बाद भारत आ गए। हालाँकि, अभी भी बड़ी संख्या में लोगों को भारतीय नागरिकता मिलनी बाकी है।
  • मतुआ महासंघ एक धार्मिक सुधार आंदोलन है, जिसकी शुरुआत 1860 ई. के आस-पास हरिचंद ठाकुर द्वारा वर्तमान बांग्लादेश के फरीदपुर प्रांत के गोपालगंज में पीड़ितों के उत्थान के लिये की गई थी।
    • उन्होंने जाति, वर्ग और पंथ से परे प्रेम, सहिष्णुता, लैंगिक समानता एवं गैर-भेदभाव का प्रचार किया।
  • शुरुआत में मतुआ-महासंघ ने सरलीकृत अनुष्ठानों का पालन किया, लेकिन बाद में वैष्णववाद को अपनाया।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में ली-आयन बैटरियों और ई-अपशिष्ट के लिये पुनर्चक्रण सुविधा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) ने उत्तराखंड के सितारगंज (ज़िला उधम सिंह नगर) में स्वदेशी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ली बैटरी और ई-कचरे की रीसाइक्लिंग हेतु एक वाणिज्यिक संयंत्र स्थापित करने के लिये मेसर्स रेमाइन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता किया है

मुख्य बिंदु:

  • इस समझौते के माध्यम से, TDB ने 15 करोड़ रुपए की कुल परियोजना लागत में से ₹7.5 करोड़ की वित्तीय सहायता देने का वादा किया है, जो सतत् विकास और पर्यावरणीय प्रबंधन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • ली-आयन बैटरियों का कुशल पुनर्चक्रण देश के भीतर सेल निर्माण के लिये द्वितीयक कच्चे माल के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करता है।
    • खर्च की गई लिथियम-आयन बैटरियों (LIB) के निपटान से उत्पन्न होने वाले ई-कचरे का बढ़ता आयात पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों और वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में उनके बढ़ते उपयोग से प्रेरित है।
    • लैंडफिलिंग और भस्मीकरण के माध्यम से LIB का निपटान पर्यावरण तथा सुरक्षा चिंताओं को उत्पन्न करता है, जो रीसाइक्लिंग पहल की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है
    • खर्च किये गए LIB से धातुओं की पुनर्प्राप्ति के माध्यम से मूल्य सृजन की संभावना ने इन बैटरियों द्वारा उत्पन्न ई-कचरे के पुनर्चक्रण में रुचि बढ़ा दी है।
  • लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग बाज़ार का आकार वर्ष 2030 तक 14.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जिसमें 21.6% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) है, जो वर्ष 2021 में 3.79 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
  • इसके बावजूद, 95% ली-आयन बैटरियाँ वर्तमान में लैंडफिल में समाप्त हो जाती हैं, जबकि केवल 5% रीसाइक्लिंग और पुन: उपयोग से गुजरती हैं।
  • ई-अपशिष्ट परिदृश्य में अनौपचारिक क्षेत्र के प्रभुत्व का प्रतिकूल पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
  • बैटरी अपशिष्ट के बढ़ते मुद्दे को संबोधित करने, महत्त्वपूर्ण तत्त्वों से संबंधित प्रवासी आपूर्ति पक्ष के जोखिमों को कम करने और कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिये कुशल व पर्यावरण के अनुकूल रीसाइक्लिंग विधियाँ आवश्यक हैं।
  • ई-अपशिष्ट उत्पादन के मामले में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है और इस मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है।

लि-आयन बैटरी

  • ‘लिथियम-आयन बैटरी’ अथवा ‘लि-आयन’ बैटरी एक प्रकार की रिचार्जेबल (पुनः चार्ज की जा सकने वाली) बैटरी है।
  • लि-आयन बैटरी में इलेक्ट्रोड पदार्थ के रूप में अंतर्वेशित लिथियम यौगिक का उपयोग किया जाता है, जबकि एक नॉन-रिचार्जेबल लिथियम बैटरी में धातु सदृश लिथियम का उपयोग किया जाता है।
  • एक बैटरी में वैद्युत अपघट्य (Electrolyte) दो इलेक्ट्रोड होते हैं। वैद्युत अपघट्य के कारण आयनों का संचरण होता है।
  • बैटरी के डिस्चार्ज होने के दौरान लिथियम आयन नेगेटिव इलेक्ट्रोड से पॉज़िटिव इलेक्ट्रोड की ओर गति करते हैं, जबकि चार्ज होते समय विपरीत दिशा में।

ई-अपशिष्ट 

  • इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट (ई-अपशिष्ट), एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग सभी प्रकार के पुराने, खराब हो चुके या बेकार पड़े बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे घरेलू उपकरण, कार्यालय सूचना तथा संचार उपकरण आदि का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
  • भारत में ई-अपशिष्ट के प्रबंधन के लिये कानून वर्ष 2011 से लागू हैं, जिसके अनुसार केवल अधिकृत विखंडनकर्ता और पुनर्चक्रणकर्त्ता ही ई-अपशिष्ट एकत्र करते हैं। ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 2017 में अधिनियमित किया गया था।
  • घरेलू और वाणिज्यिक इकाइयों से अपशिष्ट को अलग करने, प्रसंस्करण एवं निपटान के लिये भारत का पहला ई-अपशिष्ट क्लिनिक भोपाल, मध्य प्रदेश में स्थापित किया गया है।


बिहार Switch to English

बिहार में 2023-24 में कर संग्रह में 18% की वृद्धि दर्ज की गई

चर्चा में क्यों?

वाणिज्यिक कर विभाग ने वर्ष 2022-23 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2023-24 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह में 18.13% की वृद्धि देखी है।

मुख्य बिंदु:

  • विभाग ने मार्च में राज्य में 1,058 करोड़ रुपए का GST संग्रह किया, जो पिछले सात वर्षों में सबसे अधिक है।
  • मार्च में एकत्रित 5,403.15 करोड़ रुपए का मासिक कुल राजस्व अब तक किसी भी महीने में सबसे अधिक है।
  • राज्य ने वर्ष 2023-24 में GST और अन्य करों में कुल 38,161 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्र किया, जबकि 2022-23 वित्तीय वर्ष में 34,541 करोड़ रुपए था।
  • विभाग के अनुसार, सेवा क्षेत्र, GST ऑडिट, मुद्दा-आधारित निर्णय और कर चोरी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई पर विशेष ध्यान दिया गया।
  • पंचायत स्तर पर आपूर्तिकर्त्ताओं को राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST) के दायरे में लाया गया।

प्रवर्तन निदेशालय (ED)

  • यह एक बहु-विषयक संगठन है जिसे मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जाँच का अधिकार है।
  • यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्य करता है।
  • भारत सरकार की एक प्रमुख वित्तीय जाँच एजेंसी के रूप में, प्रवर्तन निदेशालय भारत के संविधान और कानूनों के कड़ाई से अनुपालन में कार्य करता है।


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