झारखंड Switch to English
झारखंड सरकार का अनुपूरक बजट
चर्चा में क्यों?
झारखंड सरकार ने चल रहे 20 दिवसीय बजट सत्र के दौरान विधानसभा में 5,508 करोड़ रुपए की अनुपूरक मांगें प्रस्तुत कीं।
मुख्य बिंदु
- अनुपूरक बजट में प्रमुख आवंटन:
- ऊर्जा विभाग को सबसे अधिक 971.80 करोड़ रुपए का आवंटन प्राप्त होगा।
- ग्रामीण निर्माण विभाग के लिये 873.29 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
- गृह, जेल एवं आपदा प्रबंधन विभाग को 502.61 करोड़ रुपए आवंटित किये गये हैं।
- पेंशन विभाग को 500 करोड़ रुपए मिलने का प्रस्ताव है।
- स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को 393.93 करोड़ रुपए मिलने की संभावना है।
- मैय्या सम्मान योजना पर विधानसभा में बहस:
- विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मैय्या सम्मान योजना पर बहस हुई ।
- योजना के अंतर्गत लाभ हस्तांतरण में देरी पर सवाल उठाया गया।
- यह आश्वासन दिया गया कि जनवरी और फरवरी 2025 के भुगतान 15 मार्च, 2025 तक जमा कर दिए जाएँगे।
- विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मैय्या सम्मान योजना पर बहस हुई ।
- मैय्या सम्मान योजना: योजना विवरण और चिंताएँ
- झारखंड सरकार अगस्त 2024 में शुरू की गई माई सम्मान योजना के तहत 56 लाख से अधिक महिला लाभार्थियों को 2,500 रुपए प्रति माह प्रदान करती है।
- हालाँकि, लाभार्थियों को जनवरी और फरवरी, 2025 के लिये भुगतान नहीं मिला है।
- यह प्रश्न उठाया गया कि क्या विधवाओं और शारीरिक रूप से विकलांग महिलाओं, जिन्हें 1,000 रुपए प्रति माह पेंशन मिलती है, को भी इस योजना के अंतर्गत शामिल किया जाएगा।
- उन्होंने असमानता की ओर ध्यान दिलाया कि केवल 18-50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं को ही माय सम्मान योजना का लाभ मिलता है, जबकि विधवाओं और विकलांग महिलाओं को केवल 1,000 रुपए प्रति माह मिलते हैं।
- झारखंड सरकार अगस्त 2024 में शुरू की गई माई सम्मान योजना के तहत 56 लाख से अधिक महिला लाभार्थियों को 2,500 रुपए प्रति माह प्रदान करती है।
- विधवा के लिये समर्थन:
- इस बात पर प्रकाश डाला गया कि राज्य सरकार ने विधवा पुनर्विवाह प्रोत्साहन योजना नामक विधवा पुनर्विवाह प्रोत्साहन योजना शुरू की है।
- इस योजना के तहत विधवाओं को एकमुश्त 2 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
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छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में माओवादियों से मुठभेड़
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में माओवादी मारे गए।
मुख्य बिंदु
- माओवादी हताहत:
- नवीनतम मुठभेड़ के कारण संघर्ष प्रभावित बस्तर क्षेत्र में 2025 के पहले 60 दिनों में मारे गए माओवादियों की संख्या बढ़कर 67 हो गई है।
- सुकमा, जहाँ मुठभेड़ हुई, बस्तर क्षेत्र के सात ज़िलों में से एक है।
- इसके अतिरिक्त, सुरक्षा बलों ने बस्तर के बाहर स्थित गरियाबंद ज़िले में मुठभेड़ों में 17 माओवादियों को मार गिराया।
- छत्तीसगढ़ में वर्ष 2025 में मारे गए माओवादियों की कुल संख्या 84 है।
- वर्ष 2024 में नक्सल विरोधी अभियानों (ANO) के दौरान सुरक्षा बलों ने राज्य में 219 माओवादियों को मार गिराया था।
- सुकमा मुठभेड़ का विवरण:
- पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि इलाके में माओवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान शुरू किया।
- इस अभियान में छत्तीसगढ़ पुलिस के ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG) और केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) की एक विशिष्ट इकाई कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (CoBRA) के जवान शामिल थे।
ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG)
- ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG) छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा से निपटने के लिये वर्ष 2008 में स्थापित एक विशेष पुलिस इकाई है।
- इसमें विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मी शामिल होते हैं जो प्रभावित ज़िलों में कार्य करते हैं, माओवादी विरोधी अभियान चलाते हैं, तलाशी और जब्ती करते हैं तथा खुफिया जानकारी जुटाते हैं।
- DRG माओवादी विद्रोह का मुकाबला करने के लिये केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) जैसे अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिलकर कार्य करता है।
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF)
- CRPF की स्थापना वर्ष 1939 में रियासतों में राजनीतिक उथल-पुथल और अशांति के जवाब में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में की गई थी।
- वर्ष 1949 में इस बल का नाम बदलकर केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल कर दिया गया।
- तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने CRPF के लिये एक बहुआयामी भूमिका की कल्पना की थी, ताकि इसके कार्यों को एक नए स्वतंत्र राष्ट्र की उभरती आवश्यकताओं के साथ जोड़ा जा सके।
CoBRA
- यह भारत के केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की एक विशेष ऑपरेशन इकाई है जो गुरिल्ला रणनीति और जंगल युद्ध में कुशल है। मूल रूप से नक्सली आंदोलन का मुकाबला करने के लिये स्थापित किया गया था।
- CoBRA को विषम युद्ध में शामिल विद्रोही समूहों से निपटने के लिये तैनात किया जाता है।
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उत्तराखंड Switch to English
चमोली हिमस्खलन
चर्चा में क्यों?
1 मार्च, 2025 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के चमोली ज़िले के माणा गाँव के पास हिमस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया।
- उन्होंने जोशीमठ का भी दौरा किया तथा घटनास्थल से बचाए गए घायल सीमा सड़क संगठन (BRO) श्रमिकों से मुलाकात की।
मुख्य बिंदु
- माना हिमस्खलन में बचाव अभियान:
- बचाव दल ने बर्फ में फंसे 55 BRO श्रमिकों में से 47 को सफलतापूर्वक बचा लिया है।
- आठ श्रमिक अभी भी फँसे हुए हैं तथा बचाव कार्य अभी भी जारी है।
- अधिकारियों ने बचाव कार्यों में सहायता के लिये सेना के चार हेलीकॉप्टर तैनात किये हैं।
- सरकारी एवं प्रशासनिक प्रयास:
- यह पुष्टि की गई कि केंद्र और राज्य सरकार की सहायता से चार हेलीकॉप्टर बचाव अभियान में शामिल हो गए हैं।
- बचाए गए सात श्रमिकों को उपचार के लिये जोशीमठ अस्पताल ले जाया गया है।
- डॉक्टर उनकी स्थिति पर नज़र रख रहे हैं और उनमें से तीन की हालत स्थिर बताई गई है।
- सुरक्षा बलों द्वारा संयुक्त प्रयास:
- माणा गाँव के निकट हुए हिमस्खलन में कई BRO श्रमिक बर्फ के नीचे दब गए।
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की टीमें युद्ध स्तर पर संयुक्त बचाव अभियान चला रही हैं ।
सीमा सड़क संगठन
- परिचय:
- BRO की परिकल्पना और स्थापना 1960 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा देश के उत्तरी और पूर्वोत्तर सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों के नेटवर्क के तीव्र विकास के समन्वय के लिये की गई थी।
- यह रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है।
- इसने हवाई अड्डों, भवन परियोजनाओं, रक्षा कार्यों और सुरंग निर्माण सहित निर्माण और विकास कार्यों के एक बड़े क्षेत्र में विविधता ला दी है और लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता बना ली है।
- अब तक की उपलब्धियाँ:
- BRO ने छह दशकों से अधिक समय में भारत की सीमाओं पर तथा भूटान, म्याँमार, अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान सहित मित्र देशों में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में 61,000 किलोमीटर से अधिक सड़कें, 900 से अधिक पुल, चार सुरंगें और 19 हवाई अड्डों का निर्माण किया है।
- वर्ष 2022-23 में, BRO ने 103 बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ पूरी कीं, जो संगठन द्वारा एक वर्ष में की गई सबसे अधिक परियोजनाएँ हैं।
- इनमें पूर्वी लद्दाख में श्योक ब्रिज और अरुणाचल प्रदेश में अलोंग-यिंकियोंग रोड पर लोड क्लास 70 का स्टील आर्क सियोम ब्रिज का निर्माण शामिल है।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP)
- ITBP की स्थापना 24 अक्तूबर, 1962 को हुई थी।
- यह भारत-तिब्बत सीमा और 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा के पहाड़ी क्षेत्रों की रक्षा करने तथा भारत की उत्तरी सीमाओं की निगरानी करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- वर्ष 2004 में, ITBP ने सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में असम राइफल्स की जगह ले ली। यह बल निम्नलिखित राज्यों में भारत-चीन सीमा की सुरक्षा करता है:
- जम्मू-कश्मीर
- हिमाचल प्रदेश
- उत्तराखंड
- सिक्किम
- अरुणाचल प्रदेश
राष्ट्रीय आपदा राहत कोष
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अधिनियमन के साथ राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (NCCF) का नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (NDRF) कर दिया गया।
- इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (DM एक्ट) की धारा 46 में परिभाषित किया गया है।
- किसी भी आपदा की आशंका वाली स्थिति या आपदा के कारण आपातकालीन प्रतिक्रिया, राहत और पुनर्वास के लिये व्यय को पूरा करने के लिये इसका प्रबंधन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
- यह गंभीर प्रकृति की आपदा के मामले में SDRF को अनुपूरित करता है, बशर्ते SDRF में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध न हो।
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उत्तराखंड Switch to English
NGT द्वारा उत्तराखंड के अधिकारियों की उपस्थिति मांग
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने उत्तराखंड के उधम सिंह नगर ज़िले में 176 पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़े एक मामले में उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) के सदस्य सचिव और राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को अपने समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है।
मुख्य बिंदु:
- सुनवाई के संदर्भ में:
- NGT उधम सिंह नगर ज़िले के चांदपुर गाँव में निजी व्यक्तियों द्वारा आवासीय कॉलोनी के विकास के लिये पेड़ों की अनधिकृत निर्वनीकरण के संबंध में एक याचिका की समीक्षा कर रही है।
- संयुक्त समिति के निष्कर्ष:
- अपने आदेश में NGT बेंच ने संयुक्त समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें 176 पेड़ों की अवैध कटाई की पुष्टि की गई थी।
- न्यायाधिकरण ने कहा कि अनधिकृत वनों की कटाई के लिये पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूल की जानी चाहिये।
- मामले की जाँच करने वाली संयुक्त समिति में शामिल हैं:
- ज़िला मजिस्ट्रेट
- केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय
- उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB)
- न्यायाधिकरण के निर्देश:
- रिपोर्ट की समीक्षा के बाद NGT ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव और अन्य संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा।
- न्यायाधिकरण ने व्यक्तिगत उपस्थिति के महत्त्व पर बल दिया:
- UKPCB के सदस्य सचिव
- प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF)
- न्यायालय ने उन्हें मामले में सहायता के लिये अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश दिया।
- न्यायाधिकरण ने इस बात पर बल दिया कि न्यायसंगत एवं उचित निर्णय के लिये उनकी उपस्थिति महत्त्वपूर्ण है।
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB)
- यह जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के प्रावधानों के तहत स्थापित एक वैधानिक संगठन है।
- UKPCB भारत के उत्तराखंड राज्य में प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और कमी के लिये ज़िम्मेदार है।
- इसका मुख्यालय देहरादून, उत्तराखंड में है।
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राजस्थान Switch to English
आजू गुजा
चर्चा में क्यों?
22-23 फरवरी 2025 को राजस्थान के बीकानेर में पहला बाल महोत्सव 'आजू गुजा' आयोजित किया गया।
मुख्य बिंदु
- महोत्सव के संदर्भ में:
- इस महोत्सव का आयोजन ज़िला प्रशासन द्वारा किया गया, जिसमें देश भर से 50 से अधिक कलाकारों ने भाग लिया।
- महोत्सव के दौरान बच्चों को नृत्य, संगीत, चित्रकला और कई अन्य कला रूपों से परिचित कराया गया।
- कला एवं शिल्प गतिविधियाँ:
- इस महोत्सव में बच्चों ने कठपुतली, कथा-कारिता, रंगमंच, चित्रकला, मूकाभिनय, विदूषक करतब, क्लाउन शो, वाक्चातुर्य, कावड़, बायस्कोप तथा लोक संगीत एवं नृत्य सहित अनेक जीवंत प्रस्तुतियों से मन मोह लिया।
- विभिन्न प्रकाशकों द्वारा बाल साहित्य की पुस्तकों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिनमें प्रमुख हैं प्रथम, नेशनल बुक ट्रस्ट, एकलव्य, अमर चित्र कथा, आदिदेव, राज कॉमिक्स और कैलास्टिक।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (NBT)
- NBT, इंडिया वर्ष 1957 में भारत सरकार (उच्च शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय) द्वारा स्थापित एक सर्वोच्च निकाय है।
- NBT के उद्देश्य हैं:
- अंग्रेज़ी, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में अच्छे साहित्य का सृजन एवं प्रोत्साहन करना।
- इस तरह के साहित्य को जनता को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना।
- पुस्तक सूची प्रकाशित करना, पुस्तक मेले/प्रदर्शनी और सेमिनार आयोजित करना तथा लोगों को पुस्तक के प्रति रुचि रखने वाला बनाने के लिये सभी आवश्यक कदम उठाना।
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मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में जनजातीय निगरानी
चर्चा में क्यों?
देश भर के वन अधिकार कार्यकर्त्ताओं और समर्थकों ने जनजातीय समुदायों और वनवासियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्यकारी आदेश जारी करने के लिये मध्य प्रदेश सरकार की आलोचना की, जिसमें विभिन्न वन क्षेत्रों में 'कुख्यात शिकारी समुदायों' की तलाशी और निगरानी की अनुमति दी गई।
मुख्य बिंदु:
- आदेश में कानूनी आधार का अभाव:
- एक वन अधिकार कार्यकर्त्ता ने इस आदेश को क्रूर बताया तथा कहा कि इसका कोई कानूनी आधार नहीं है।
- उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने एक बार कुछ जनजातियों को आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के तहत अपराधी के रूप में वर्गीकृत किया था, जिसे स्वतंत्रता के बाद निरस्त कर दिया गया तथा उन्हें विमुक्त कर दिया गया।
- सरकारी आदेश:
- 29 जनवरी 2025 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), मध्य प्रदेश ने एक आदेश जारी किया:
- मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति पारधी समुदाय सहित खानाबदोश जनजातियों की व्यापक खोज और निगरानी।
- नर्मदापुरम, सिउनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, भोपाल, जबलपुर और बालाघाट के वन मंडलों में लक्षित खोज़ अभियान।
- खानाबदोश जनजातियों के घरों की तलाशी के लिये श्वान दस्तों का उपयोग।
- निकटतम पुलिस स्टेशन में विमुक्त जनजातियों की उपस्थिति का अनिवार्य दस्तावेजीकरण।
- बाघ गलियारों में घरेलू प्लास्टिक की वस्तुएँ, चादरें, जड़ी-बूटियाँ और पौधे बेचने वाले आदिवासी व्यापारियों की निगरानी।
- 29 जनवरी 2025 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), मध्य प्रदेश ने एक आदेश जारी किया:
- औपनिवेशिक मानसिकता और कानूनी उल्लंघन:
- यह बताया गया कि वन विभाग खानाबदोश जनजातियों को आदतन अपराधी मान रहा है, जो सर्वोच्च न्यायालय के अनेक निर्णयों के विपरीत है।
- विशेषज्ञों का तर्क है कि यह आदेश वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत अधिकारों का उल्लंघन करता है, जो सुनिश्चित करता है:
- वन भूमि पर निवास करने और कृषि करने का अधिकार
- वन उपज तक पहुँच
- आवासों पर सामुदायिक स्वामित्व अधिकार
- खानाबदोश और पशुपालक समुदायों के लिये मौसमी संसाधन तक पहुँच
- SC/ST अधिनियम के तहत सुरक्षा और संभावित कानूनी परिणाम
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत भी जनजातीय अधिकारों को संरक्षण प्राप्त है।
पारधी जनजाति
- यह ज्यादातर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
- पारधी शब्द मराठी शब्द 'पारध' से लिया गया है जिसका अर्थ है शिकार करना और संस्कृत शब्द 'पापर्धी' जिसका अर्थ है शिकार किया जाने वाला खेल।
- वे राजस्थानी और गुजराती की मिश्रित बोलियाँ बोलते हैं, मुख्यतः वागड़ी और पारधी भाषाएँ।
- ये भाषाएँ पश्चिमी इंडो-आर्यन भाषा समूह की भील भाषाओं में वर्गीकृत हैं।
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राजस्थान Switch to English
सैन्य अभ्यास डेज़र्ट हंट- 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय वायु सेना ने 24 से 28 फरवरी, 2025 तक वायु सेना स्टेशन जोधपुर में एकीकृत त्रि-सेवा विशेष बल अभ्यास, एक्सरसाइज़ डेज़र्ट हंट- 2025 का आयोजन किया।
मुख्य बिंदु
- विशेष बलों की भागीदारी:
- इस अभ्यास में भारतीय सेना के विशिष्ट पैरा (विशेष बल), भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो (MARCOS) और भारतीय वायु सेना के गरुड़ (विशेष बल) एक साथ आए।
- इन इकाइयों ने संयुक्त मिशनों को अंजाम देते हुए, कृत्रिम युद्ध वातावरण में अभ्यास किया।
- उद्देश्य और प्रमुख फोकस क्षेत्र:
- इस अभ्यास का उद्देश्य तीन विशेष बल इकाइयों के बीच अंतर-संचालन, समन्वय एवं तालमेल को बढ़ाना था।
- इसमें उभरती सुरक्षा चुनौतियों पर त्वरित एवं प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- इस अभ्यास में हाई-इंटेंसिटी वाले अभ्यास शामिल थे, जिनमें शामिल हैं:
- एयरबॉर्न इंसर्शन
- प्रिसिज़न स्ट्राइक
- बंधक बचाव अभियान
- आतंकवाद विरोधी मिशन
- कॉम्बैट फ्री-फॉल्स
- अर्बन वॉरफेयर सिनेरियो
- विशेष बलों ने अपनी युद्ध तत्परता का परीक्षण करने के लिये वास्तविक परिस्थितियों में सैन्य अभ्यास किया।
- पर्यवेक्षण और रणनीतिक महत्त्व:
- वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने संयुक्त परिचालन सिद्धांतों को मान्य करने के लिये अभ्यास का पर्यवेक्षण किया।
- इस अभ्यास ने निर्बाध अंतर-सेवा सहयोग को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ किया।
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