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उत्तराखंड

NGT ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाई

  • 27 Feb 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 'मूक दर्शक' बने रहने और गंगा में अनुपचारित सीवेज के प्रवाह को रोकने के लिये उचित कार्रवाई नहीं करने हेतु उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निंदा की है।

मुख्य बिंदु:

  • अधिकरण ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में नदी के प्रदूषण को लेकर मामला उठाया है।
  • उत्तराखंड के सभी 13 ज़िलों में अनुमानित सीवेज उत्पादन 700 मिलियन लीटर प्रति दिन (MLD) होने का अनुमान है और 50% का भी उचित उपचार नहीं किया जाता है।
    • सीवर बिछाना और घरों की कनेक्टिविटी एक अनसुलझा मुद्दा है तथा मौसम के दौरान पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों की आमद सीवेज उत्पादन को बढ़ाती है।
    • प्रत्येक ज़िले और संबंधित स्थानीय निकाय में, सीवेज को सीधे या उसकी सहायक नदियों के माध्यम से गंगा नदी में छोड़ा जा रहा है, जिससे प्रदूषण हो रहा है।
  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना उचित परिश्रम, शीघ्रता और ईमानदारी से नहीं की जा रही है।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जिसे विशेष रूप से गंगा के पुनरुद्धार का कार्य सौंपा गया है, शायद पहाड़ी इलाकों के लिये सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की जटिलताओं के पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया है।
  • अधिकरण ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ज़िम्मेदार सरकारी अधिकारियों और विभागों के प्रमुखों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करके दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)

  • यह पर्यावरण संरक्षण और वनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी तथा शीघ्र निपटान के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत स्थापित एक विशेष निकाय है।
  • NGT की स्थापना के साथ, भारत ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बाद एक विशेष पर्यावरण अधिकरण स्थापित करने वाला विश्व का तीसरा देश बन गया एवं ऐसा करने वाला पहला विकासशील देश बन गया।
  • NGT को आवेदन या अपील दायर करने के 6 महीने के भीतर अंतिम रूप से निपटान करने का आदेश दिया गया है।
  • वर्तमान में NGT की बैठक के लिये नई दिल्ली प्रमुख स्थान है, भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई को ट्रिब्यूनल की बैठक के अन्य चार स्थानों के रूप में नामित किया गया है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG)

  • 12 अगस्त 2011 को, NMCG को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
  • इसने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) की कार्यान्वयन शाखा के रूप में कार्य किया, जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA), 1986 के प्रावधानों के तहत गठित किया गया था।
    • NGRBA का वर्ष 2016 में विघटन कर दिया गया और उसकी जगह राष्ट्रीय गंगा नदी कायाकल्प, संरक्षण एवं प्रबंधन परिषद ने ले ली
  • NMCG का उद्देश्य प्रदूषण को कम करना और गंगा नदी का कायाकल्प सुनिश्चित करना है।
    • नमामि गंगे, गंगा को साफ करने हेतु NMCG के प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में से एक है।

उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB)

  • यह जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के प्रावधानों के तहत स्थापित एक वैधानिक संगठन है।
  • UKPCB भारत के उत्तराखंड राज्य में प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और कमी के लिये ज़िम्मेदार है।
  • इसका मुख्यालय देहरादून, उत्तराखंड में है।

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