हरियाणा Switch to English
हरियाणा में स्वच्छता पखवाड़ा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) ने हरियाणा के करनाल ज़िले में स्वच्छता अभियान की एक शृंखला आयोजित की।
- इसका उद्देश्य स्वच्छ और हरित भारत को बढ़ावा देते हुए स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।
मुख्य बिंदु
- आयोजित गतिविधियाँ:
- जागरूकता कार्यक्रम:
- छात्रों को व्यक्तिगत, सामुदायिक और संस्थागत स्तर पर स्वच्छता बनाए रखने के बारे में शिक्षित किया गया।
- अपशिष्ट को संपत्ति में बदलने तथा अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान करने पर प्रशिक्षण दिया गया।
- स्वच्छता अभियान:
- कर्मचारियों ने संस्थान परिसर की सफाई की तथा पुराने रिकार्डों और खराब उपकरणों का निपटान किया।
- विशेष वृक्षारोपण अभियान आयोजित किये गये।
- अभियान और जागरूकता:
- एकल-उपयोग प्लास्टिक को हतोत्साहित करने के लिये अभियान चलाए गए।
- पहल का ध्यान अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण और आवासीय कॉलोनियों में कृषि, बागवानी और रसोई उद्यानों के लिये जल संचयन को बढ़ावा देने पर केंद्रित था।
- गाँव की भागीदारी:
- ‘मेरा गाँव मेरा गौरव’ कार्यक्रम के तहत शामिल किये गए गाँवों में सफाई एवं स्वच्छता अभियान चलाया गया।
- सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये स्थानीय हस्तियों को शामिल करते हुए नुक्कड़ नाटक (सड़क नाटक) प्रस्तुत किये गए।
- किसान दिवस मनाना:
- वैज्ञानिकों और छात्रों ने डाचर गाँव में किसान दिवस मनाया।
- किसानों को कृषि पद्धतियों में स्वच्छता के व्यावहारिक समाधान पर केंद्रित इंटरैक्टिव कार्यशालाओं में आमंत्रित किया गया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)
- इसकी स्थापना 16 जुलाई, 1929 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में की गई थी।
- यह भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। देश भर में विस्तृत 102 ICAR संस्थानों और 71 कृषि विश्वविद्यालयों के साथ यह दुनिया की सबसे बड़ी राष्ट्रीय कृषि प्रणालियों में से एक है।
- यह पूरे देश में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान और शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन और प्रबंधन के लिये सर्वोच्च निकाय है।
मेरा गाँव मेरा गौरव
- यह योजना वर्ष 2015 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य “प्रयोगशाला से भूमि” प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिये किसानों के साथ वैज्ञानिकों के सीधे संपर्क को बढ़ावा देना था।
- इसमें वैज्ञानिकों को अपनी सुविधा के अनुसार गाँवों का चयन करने तथा चयनित गाँवों के साथ संपर्क में रहने तथा किसानों को व्यक्तिगत दौरे या टेलीफोन के माध्यम द्वारा समय सीमा में कृषि के तकनीकी और अन्य संबंधित पहलुओं पर जानकारी प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।
- वे कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) की सहायता से कार्य कर सकते हैं।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग स्तर में वृद्धि
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अनुपचारित अपशिष्ट के छोड़े जाने से हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल ज़िलों में यमुना नदी और सिंचाई नहरों में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) का स्तर काफी बढ़ गया है।
मुख्य बिंदु
- चिंताजनक BOD स्तर:
- जिला प्रशासन के अनुसार अप्रभावी निगरानी और अपर्याप्त निवारक उपायों के कारण BOD का स्तर स्वीकार्य सीमा से 400-500% अधिक है।
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, जल के लिये BOD मानक 10 मिलीग्राम प्रति लीटर है। हाल के नमूनों में इसका स्तर 35 से 40 के बीच दिखा है, जबकि यमुना में कुछ स्थानों पर यह 50 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुँच गया है।
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- अनुपचारित अपशिष्ट न केवल BOD के स्तर को बढ़ाता है, बल्कि घुलित ऑक्सीजन (DO) के स्तर को भी शून्य कर देता है। इसके परिणामस्वरूप जलीय जीवन नष्ट हो जाता है और तीव्र दुर्गंध आती है।
- उच्च BOD स्तर अपशिष्ट जल उपचार और सीवेज प्रबंधन प्रणालियों में विफलता का संकेत देते हैं।
- कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
- नियमों के अनुचित कार्यान्वयन और प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है।
- विशेषज्ञ इस संकट को कम करने के लिये कड़ी निगरानी, बेहतर सीवेज प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण उपायों के सुदृढ़ कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं।
जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD)
- BOD, जल में कार्बनिक पदार्थों के चयापचय की जैविक प्रक्रिया में सूक्ष्मजीवों द्वारा उपयोग की जाने वाली घुलित ऑक्सीजन की मात्रा है।
- जितना अधिक कार्बनिक पदार्थ होगा (जैसे, सीवेज और प्रदूषित जल निकायों में), उतना अधिक BOD होगा; और जितना अधिक BOD होगा, मछलियों जैसे उच्चतर जानवरों के लिये घुलित ऑक्सीजन की मात्रा उतनी ही कम उपलब्ध होगी।
- इसलिये BOD किसी जल निकाय के जैविक प्रदूषण का एक विश्वसनीय माप है।
Switch to English