उत्तराखंड बजट 2025-26 | 21 Feb 2025

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये 1,01,175.33 करोड़ रुपए का बजट पेश किया है, जिसका उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना है।

मुख्य बिंदु 

  • बजट प्रस्तुति और विज़न:
    • राज्य वित्त मंत्री ने देहरादून स्थित राज्य विधानसभा में 1,01,175.33 करोड़ रुपए का बजट पेश किया।
    • बजट में राज्य के आर्थिक और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये एक व्यापक रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
  • क्षेत्रीय फोकस क्षेत्र:
    • सरकार ने कृषि, उद्योग, ऊर्जा, बुनियादी ढाँचा, कनेक्टिविटी, पर्यटन और आयुष को प्राथमिकता दी है।
    • विकास को बढ़ावा देने के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढाँचे और ग्रामीण विकास पर अतिरिक्त ज़ोर दिया गया है।
  • राजस्व एवं प्राप्तियाँ अवलोकन:
  • समावेशी विकास के लिये 'ज्ञान' मॉडल:
    • यह बजट 'ज्ञान' मॉडल पर आधारित है, जिसमें निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
      • गरीब (Poor)
      • युवा 
      • अन्नदाता(Farmers)
      • नारी (woman)
  • उद्योग और स्टार्टअप को बढ़ावा:
    • औद्योगिक विकास और उद्यमिता को समर्थन देने के लिये बजट में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • एमएसएमई उद्योगों के लिये 50 करोड़ रुपए।
    • मेगा उद्योग नीति के लिये 35 करोड़ रुपए।
    • स्टार्टअप प्रोत्साहन के लिये 30 करोड़ रुपए।
    • आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देने के लिये मेगा परियोजना योजना के अंतर्गत 500 करोड़ रुपए।
  • क्षेत्रवार प्रमुख आवंटन:
  • जल संसाधन और सिंचाई:
  • सड़क, परिवहन और बुनियादी ढाँचा:
    • 220 किलोमीटर नई सड़कें बनाई जाएंगी।
    • 1,000 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण तथा 1,550 किमी सड़कों का नवीनीकरण किया जाएगा।
    • सड़क सुरक्षा पहल के लिये 1,200 करोड़ रुपए। 
    • 37 नए पुल बनाए जायेंगे।
    • PMGSY योजना के अंतर्गत 1,065 करोड़ रुपए आवंटित।
    • नागरिक उड्डयन विभाग के लिये 36.88 करोड़ रुपए। 
  • पर्यटन और सांस्कृतिक विकास:
    • टिहरी झील विकास के लिये 100 करोड़ रुपए। 
    • मानसखण्ड योजना के लिये 25 करोड़ रुपए। 
    • वाइब्रेंट विलेज योजना के लिये 20 करोड़ रुपए। 
    • नये पर्यटन स्थलों के लिये 10 करोड़ रुपए। 
    • चारधाम सड़क नेटवर्क सुधार के लिये 10 करोड़ रुपए। 
  • पर्यावरण और सतत विकास:
    • कैम्पा योजना के लिये 395 करोड़ रुपए आवंटित।
    • जलवायु परिवर्तन शमन के लिये 60 करोड़ रुपए। 
    • स्प्रिंग एवं रिवर रिजुवेनेशन अथॉरिटी के लिये 125 करोड़ रुपए। 
    • सार्वजनिक वनरोपण परियोजनाओं के लिये 10 करोड़ रुपए। 
  • सामाजिक सुरक्षा और कल्याण:
    • सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिये 1,811.66 करोड़ रुपए आवंटित।
    • विभिन्न कल्याणकारी सब्सिडी के लिये 918.92 करोड़ रुपए अलग रखे गए।
    • खाद्य सुरक्षा योजना के लिये 600 करोड़ रुपए। 
    • प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिये 207.18 करोड़ रुपए। 
    • प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए 54.12 करोड़ रुपए।
    • EWS आवास अनुदान के लिये 25 करोड़ रुपए। 
    • निम्न आय वाले परिवारों के लिये रसोई गैस सब्सिडी हेतु 55 करोड़ रुपए। 
    • पर्यावरण मित्र बीमा योजना के लिये 2 करोड़ रुपए। 
    • राज्य परिवहन बसों में मुफ्त यात्रा उपलब्ध कराने के लिये 40 करोड़ रुपए। 
    • राज्य खाद्यान्न योजना के लिये 10 करोड़ रुपए। 
    • अंत्योदय राशन कार्ड धारकों को नमक पर सब्सिडी देने के लिये 34.36 करोड़ रुपए। 
  • विकास पर रणनीतिक ध्यान:
    • यह बजट समग्र विकास और सतत् विकास के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • बुनियादी ढाँचे, सामाजिक कल्याण, पर्यावरण और आर्थिक विस्तार पर ज़ोर देकर सरकार का लक्ष्य उत्तराखंड निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना

  • यह एक केन्द्र सरकार की योजना है, जिसे वर्ष 2000 में असंबद्ध ग्रामीण बस्तियों को बारहमासी सड़क संपर्क प्रदान करने के लिये शुरू किया गया था।
    • यह योजना मूलतः 100% केन्द्र प्रायोजित पहल थी, लेकिन वित्तीय वर्ष 2015-16 से इसका वित्तपोषण केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में साझा किया जाने लगा।
    • इस योजना के विभिन्न चरणों के अंतर्गत लगभग 800,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाई गई हैं और 180,000 बस्तियों को जोड़ा गया है।

जीवंत गाँव कार्यक्रम

  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2022-23 (2025-26 तक) में उत्तरी सीमा पर स्थित गाँवों के विकास के लिये की गई है, जिससे चिन्हित सीमावर्ती गाँवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • यह हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों को कवर करेगा।
  • इसमें 2,963 गाँव शामिल होंगे, जिनमें से 663 को पहले चरण में शामिल किया जाएगा।
  • ज़िला प्रशासन द्वारा ग्राम पंचायतों की सहायता से जीवंत ग्राम कार्य योजनाएँ बनाई जाएंगी।
  • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के साथ कोई सामंजस्य नहीं होगा।