नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 16 जनवरी से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



State PCS Current Affairs

उत्तर प्रदेश

गंगा जल की शुद्धता

  • 25 Feb 2025
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महाकुंभ 2025 में गंगा जल की शुद्धता को लेकर संदेह दूर करने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने एक विज्ञप्ति जारी की।

मुख्य बिंदु 

मुद्दे के बारे में:

  • गंगा जल की शुद्धता का दावा:
    • उत्तर प्रदेश सरकार ने एक विज्ञप्ति जारी कर एक वैज्ञानिक के हवाले से महाकुंभ में गंगा जल की शुद्धता के बारे में ‘संदेह को दूर’ करने का प्रयास किया और कहा कि नदी का जल ‘क्षारीय जल की तरह’ शुद्ध है।
    • उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के संदर्भ में यह विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें महाकुंभ में गंगा जल की गुणवत्ता पर संदेह जताया गया था।
  • CPCB की रिपोर्ट:
    •  CPCB की रिपोर्ट में कहा गया था कि महाकुंभ की शुरुआत में संगम पर पानी की जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) 3.94 मिलीग्राम प्रति लीटर थी।
    • 14 जनवरी को यह 2.28 मिलीग्राम प्रति लीटर और 15 जनवरी को घटकर 1 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई।
    • हालाँकि 24 जनवरी को BOD बढ़कर 4.08 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई और 29 जनवरी को यह 3.26 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज की गई।
  • डॉ. अजय कुमार सोनकर का शोध:
    • पद्मश्री डॉ. अजय कुमार सोनकर ने गंगा जल की पवित्रता को साबित करने के लिये वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ संदेह को खारिज किया।
    • उन्होंने महाकुंभ के विभिन्न प्रमुख स्नान घाटों से पानी के नमूने एकत्र किये और उनकी सूक्ष्म जाँच की।
    • उन्होंने पाया कि करोड़ों श्रद्धालुओं के स्नान के बावजूद गंगा जल में बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं हुई।
    • पानी के Ph स्तर में भी कोई गिरावट नहीं देखी गई।
  • प्राकृतिक वायरस की उपस्थिति:
    • गंगा जल में 1,100 प्रकार के प्राकृतिक वायरस, जिसे "बैक्टीरियोफेज" कहा जाता है, होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करते हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB):

जैविक ऑक्सीजन मांग (Biological Oxygen Demand-BOD):

  • ऑक्सीजन की वह मात्रा जो जल में कार्बनिक पदार्थों के जैव रासायनिक अपघटन के लिये आवश्यक होती है, वह BOD कहलाती है। 
  • जल प्रदूषण की मात्रा को BOD के माध्यम से मापा जाता है। परंतु BOD के माध्यम से केवल जैव अपघटक का पता चलता है साथ ही यह बहुत लंबी प्रक्रिया है। इसलिये BOD को प्रदूषण मापन में प्रयोग नहीं किया जाता है।
  • गौरतलब है कि उच्च स्तर के BOD का मतलब पानी में मौजूद कार्बनिक पदार्थों की बड़ी मात्रा को विघटित करने हेतु अत्यधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2