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State PCS Current Affairs

हरियाणा

अरावली में खनन गतिविधियाँ प्रतिबंधित

  • 10 Apr 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने संरक्षित अरावली वन भूमि पर कथित खनन को लेकर हरियाणा सरकार और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

  • इसने राज्य को 7 अगस्त 2025 तक सभी खनन और पत्थर-कुचलने की गतिविधियों को रोकने का भी निर्देश दिया।

मुख्य बिंदु

  • मुद्दे के बारे में:
    • यह आरोप लगाया गया कि हरियाणा सरकार ने अधिसूचित संरक्षित वन भूमि के 506.33 एकड़ भाग का 25% हिस्सा पत्थर तोड़ने वाली इकाइयों को नीलाम कर दिया है।
    • यह मामला वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के उल्लंघन को उजागर करता है तथा नीलामी प्रक्रिया की वैधता पर प्रश्न उठाता है।
    • याचिकाकर्त्ताओं और पर्यावरणविदों ने बताया कि खनन और पत्थर तोड़ने से स्थानीय जल स्तर, वनस्पति और जीव-जंतुओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
      • उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जहाँ देश ग्रेट निकोबार में घने जंगलों को खो रहा है, वहीं अरावली पर्वत को पुनर्स्थापित करने के लिये प्रस्तावित 'निकोबार स्वैप' भूमि को अवैध खनन के जरिये नष्ट किया जा रहा है।
  • अरावली के बारे में:
    • अरावली पर्वतमाला गुजरात से राजस्थान होते हुए दिल्ली तक फैली हुई है, इसकी लंबाई 692 किमी तथा चौड़ाई 10 से 120 किमी के बीच है।
      • यह शृंखला एक प्राकृतिक हरित दीवार के रूप में कार्य करती है, जिसका 80% भाग राजस्थान में तथा 20% हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में स्थित है।
    • अरावली पर्वतमाला दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित है - सांभर सिरोही श्रेणी और राजस्थान में सांभर खेतड़ी श्रेणी , जहाँ इनका विस्तार लगभग 560 किलोमीटर है।
    • यह थार रेगिस्तान और गंगा के मैदान के बीच एक इकोटोन के रूप में कार्य करता है।
    • इस पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर (राजस्थान) है, जिसकी ऊँचाई 1,722 मीटर है।

ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना

  • वर्ष 2021 में प्रारंभ हुआ ग्रेट निकोबार आइलैंड (GNI) प्रोजेक्ट, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी छोर पर लागू किया जाने वाला एक मेगा प्रोजेक्ट है।
    • इसमें द्वीप पर एक ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट, एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, टाउनशिप विकास और 450 MVA गैस और सौर-आधारित विद्युत संयंत्र विकसित करना शामिल है।
  • इस प्रोजेक्ट को नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद लागू किया गया था, जिसमें द्वीप की लाभप्रद स्थिति का उपयोग करने की क्षमता की पहचान की गई थी, जो दक्षिण-पश्चिम में श्रीलंका के कोलंबो और दक्षिण-पूर्व में पोर्ट क्लैंग (मलेशिया) और सिंगापुर से लगभग समान दूरी पर स्थित है।

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