हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कम जलापूर्ति | 19 Dec 2024
चर्चा में क्यों?
हिमाचल प्रदेश के ऊपरी पहाड़ी इलाकों में वर्षा की कमी के कारण यमुना का जलस्तर काफी कम हो गया है, जिससे हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जलापूर्ति में भारी कमी आ गई है।
मुख्य बिंदु
- हथिनीकुंड बैराज में जल स्तर:
- हथिनीकुंड बैराज में जल स्तर बढ़ गया, लेकिन वृद्धि के बावजूद, वर्तमान आपूर्ति मांग से काफी कम है, जिससे सिंचाई, पेयजल आपूर्ति और जल विद्युत उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
- पश्चिमी यमुना नहर (WJC) की कमी:
- WJC की जल मांग 9,000 क्यूसेक है, लेकिन केवल 1,756 क्यूसेक ही छोड़ा गया।
- यह नहर दिल्ली को पेयजल उपलब्ध कराती है तथा दक्षिणी हरियाणा में फसलों की सिंचाई करती है तथा दोनों ही क्षेत्र जल की कमी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
- पूर्वी यमुना नहर (EJC) की कमी:
- उत्तर प्रदेश को आपूर्ति करने वाली EJC को 1,500 क्यूसेक पानी की आवश्यकता है, लेकिन उसे केवल 182 क्यूसेक ही प्राप्त हुआ।
- नदी में प्रवाह कम होने के कारण EJC को जलापूर्ति रोक दी गई, जिससे जलस्तर घटकर 1,142 क्यूसेक रह गया।
- जलविद्युत परियोजनाओं पर प्रभाव:
- यमुना में जल की कमी के कारण नैनो वाली, भूडकलां, बेगमपुर और दादुपुर गाँवों में जलविद्युत परियोजनाएँ प्रभावित हुई हैं।
यमुना नदी
- परिचय:
- यमुना नदी उत्तरी भारत में गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है।
- यह यमुना-गंगा मैदान का एक अभिन्न हिस्सा है, जो दुनिया के सबसे विस्तृत जलोढ़ मैदानों में से एक है।
- स्रोत:
- इसका स्रोत निचली हिमालय पर्वतमाला में बंदरपूछ शिखरों के दक्षिण-पश्चिमी किनारे पर 6,387 मीटर की ऊँचाई पर यमुनोत्री ग्लेशियर में है।
- बेसिन:
- यह नदी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से होकर बहने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम (जहाँ कुंभ मेला आयोजित होता है) पर गंगा से मिलती है।
- महत्त्वपूर्ण बाँध:
- लखवार-व्यासी बाँध (उत्तराखंड), ताजेवाला बैराज बाँध (हरियाणा) आदि।
- महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ: चंबल, सिंध, बेतवा और केन।