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उत्तर प्रदेश

फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया

  • 26 Feb 2025
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

प्रयागराज में गंगा-यमुना में कई स्थानों पर फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर काफी बढ़ गया है, जिसके कारण गंगा-यमुना का पानी नहाने लायक नहीं रहा है। 

मुख्य बिंदु 

  •  CPCB की रिपोर्ट: 
    • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज संगम पर फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर जल में 2,500 यूनिट की सुरक्षित सीमा से कहीं अधिक है। 
    • यह पानी पीने और नहाने के लिये पूरी तरह से अनुपयुक्त है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है।
  • NGT की टिप्पणी:
    • इस मुद्दे पर NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) सुनवाई कर रहा है और संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी जा रही है।
    • महाकुंभ मेले के दौरान सीवेज प्रबंधन योजना को लेकर NGT पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश चुका है।

फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया के बारे में

  • परिचय
  • यह सूक्ष्मजीवों (Microorganism) का एक संग्रह है जो, मुख्यतः गर्म रक्त वाले जानवरों एवं मनुष्यों द्वारा उत्सर्जित मल या अपशिष्ट में पाया जाता है।
  • इन्हें आमतौर पर पानी में संभावित प्रदूषण के संकेतक के रूप में माना जाता है।
  • अन्य कॉलिफोर्म बैक्टीरिया में एस्चेरिचिया (Escherichia), क्लेबसिएला (Klebsiella) और ई. कोली (E. coli) आदि शामिल हैं।
  • जलस्रोत में इनकी उपस्थिति से जल में हानिकारक रोगाणु, जैसे- वायरस, परजीवी या अन्य संक्रामक बैक्टीरिया आदि का भी पता चलता है। 

स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • इस बैक्टीरिया से अनेक बीमारियाँ जैसे जठरांत्र संक्रमण, त्वचा और नेत्र संक्रमण, टाइफाइड, हेपेटाइटिस ए और श्वसन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड:

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