जयपुर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 7 अक्तूबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

State PCS Current Affairs


हरियाणा

हरियाणा में किसान फैक्टर

  • 19 Sep 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों

हाल ही में, हरियाणा के विधानसभा चुनावों में किसानों में अशांति एक प्रमुख मुद्दा बन गया है, जो राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था की उभरती गतिशीलता को उजागर करता है

प्रमुख बिंदु 

  • कृषि और रोज़गार: राज्य के सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन (GSVA) में कृषि की हिस्सेदारी के मामले में हरियाणा 8वें स्थान पर है, वर्ष 2022-23 के GSVA आँकड़ों के अनुसार यह लगभग 18% है।
    • हालाँकि, कुल कार्यबल में कृषि की हिस्सेदारी के मामले में, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2022-23 के अनुसार लगभग 32%, हरियाणा 15वें स्थान पर है।
    • समग्र उत्पादन और रोज़गार दोनों में कृषि का अपेक्षाकृत कम हिस्सा होने के बावजूद, प्रति कृषि श्रमिक कृषि में सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन (GSVA) के मामले में हरियाणा, पंजाब के बाद भारत में दूसरे स्थान पर है।
    • इससे पता चलता है कि भारत के अन्य राज्यों की तुलना में हरियाणा में कृषि एक महत्त्वपूर्ण उच्च मूल्य वाली गतिविधि है।
  •  हरियाणा के लिये कृषि परिवारों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा स्थिति आकलन सर्वेक्षण आयोजित किया गया था। यह डेटा मुख्य रूप से वर्ष 2018-19 के सर्वेक्षण से है, जिसमें वर्ष 2021-22 से कुछ अपडेट उपलब्ध हैं।
    • हरियाणा में कुल परिवारों में से लगभग 14.7% कृषि परिवार हैं।
    • हरियाणा में कृषि परिवारों की औसत मासिक आय लगभग 23,000 रुपए है।
      • कृषि परिवारों की कुल आय का लगभग 48% हिस्सा कृषि गतिविधियों से आता है।
        • हरियाणा में गेहूँ और चावल जैसी प्रमुख फसलों की उत्पादकता उच्च है, तथा उपज प्रायः राष्ट्रीय औसत से अधिक होती है।
        • कृषि कार्यबल का एक बहुत बड़ा हिस्सा मौसमी श्रम और आकस्मिक रोज़गार में लगा हुआ है

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण

  • परिचय:
    • यह भारत में रोज़गार और बेरोज़गारी की स्थिति का आकलन करने के लिये सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत NSO द्वारा किया गया एक सर्वेक्षण है।
    • NSO ने अप्रैल 2017 में PLFS का शुभारंभ किया।
  • PLFS का उद्देश्य:
    • 'वर्तमान साप्ताहिक स्थिति' (CWS) में केवल शहरी क्षेत्रों के लिये तीन महीने के लघु समय अंतराल में प्रमुख रोज़गार और बेरोज़गारी संकेतकों (अर्थात श्रमिक जनसंख्या अनुपात, श्रम बल भागीदारी दर, बेरोज़गारी दर) का अनुमान लगाना।
    • ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 'सामान्य स्थिति' और CWS दोनों में रोज़गार एव्न्न बेरोज़गारी संकेतकों का वार्षिक अनुमान लगाना।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2