वाराणसी में ब्लैक कार्बन के स्तर में कमी | 09 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के एक अध्ययन के अनुसार, वाराणसी और मध्य गंगा के मैदानी भागों में कार्बन स्तर में 0.47 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की औसत वार्षिक गिरावट देखी गई है।
मुख्य बिंदु
- अध्ययन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) के एयरोसोल रेडिएटिव फोर्सिंग ओवर इंडिया (Aerosol Radiative Forcing over India- ARFI) कार्यक्रम के तहत उत्पन्न ब्लैक कार्बन डेटा का उपयोग किया गया।
- मध्य भारत-गंगा के मैदान, वाराणसी में एक प्रतिनिधि स्थान पर वर्ष 2009 से वर्ष 2021 तक ब्लैक कार्बन द्रव्यमान सांद्रता के एक दशक लंबे माप का विश्लेषण किया गया।
- इस विश्लेषण का उद्देश्य इस क्षेत्र में ब्लैक कार्बन के भौतिक, प्रकाशीय और विकिरणीय प्रभाव को समझना था।
- अध्ययन में ब्लैक कार्बन के स्तर में 0.47 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की औसत वार्षिक कमी दर्ज की गई
- ब्लैक कार्बन के स्तर में भी लगातार मौसमी गिरावट देखी गई, जिसमें मानसून के बाद औसत कमी 1.86 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तथा मानसून से पूर्व औसत कमी 0.31 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही।
- अध्ययन में पाया गया कि वाराणसी और मध्य गंगा के मैदानों में ब्लैक कार्बन का स्रोत स्थानीय नहीं बल्कि दूरवर्ती स्रोत हैं।
- ये कण निचले और ऊपरी सिंधु-गंगा के मैदानों, पाकिस्तान, मध्य पूर्व और दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्रों से लंबी दूरी तक स्थानांतरित होते हैं।
ब्लैक कार्बन
- ब्लैक कार्बन (Black Carbon- BC) एक अल्पकालिक प्रदूषक है जो कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) के बाद ग्रह को गर्म करने में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता है।
- अन्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के विपरीत ब्लैक कार्बन तेज़ी से प्रक्षालित हो जाता है और उत्सर्जन बंद होने पर वायुमंडल से समाप्त किया जा सकता है।
- ऐतिहासिक कार्बन उत्सर्जन के विपरीत यह भी एक स्थानीय स्रोत है जिसका स्थानीय प्रभाव अधिक है।
- ब्लैक कार्बन एक प्रकार का एयरोसोल है।