अचानकमार टाइगर रिज़र्व में ब्लैक पैंथर | 01 Aug 2024
चर्चा में क्यों
हाल ही में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले के अचानकमार बाघ अभयारण्य (ATR) में एक दुर्लभ ब्लैक पैंथर देखा गया।
मुख्य बिंदु
वर्ष 2022 में बाघों की गणना के दौरान ATR में ब्लैक पैंथर की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी।
ATR में बाघों की गणना के लिये सर्वेक्षण के चौथे चरण में रिज़र्व वन में दस बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जिनमें से सात मादा और तीन नर थे।
ब्लैक पैंथर
- परिचय:
- तेंदुए (Panthera Pardus) का रंग हल्का होता है (हल्के पीले से अत्यंत सुनहरे या पीले रंग के) और इसके शरीर पर काले रंग के गुच्छे में फर/बाल पाए जाते हैं।
- मेलानिस्टिक तेंदुए का रंग या तो पूरी तरह से काला होता है या फिर यह अत्यंत गहरे रंग का होता है जो ब्लैक पैंथर के रूप में जाने जाता है। यह धब्बेदार भारतीय तेंदुओं की रंग आधारित किस्म है, जो दक्षिण भारत के घने वनों में पाया जाता है।
- तेंदुओं के काले रंग के आवरण का कारण अप्रभावी एलील ( Recessive Alleles) और जगुआर के एक प्रभावी एलील की उपस्थिति का होना है। प्रत्येक प्रजाति में एलील्स का एक निश्चित संयोजन जंतु के फर और त्वचा में बड़ी मात्रा में काले वर्णक मेलेनिन (मेलानिज़्म) के उत्पादन को उद्दीपित करता है।
- काले आवरण की उपस्थिति अन्य कारकों से प्रभावित हो सकती है, जैसे कि आपतित प्रकाश का कोण और जंतु के जीवन की अवस्था।
- पर्यावास:
- ये मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिमी चीन, बर्मा, नेपाल, दक्षिणी भारत, इंडोनेशिया और मलेशिया के दक्षिणी भाग में पाए जाते हैं।
- भारत में यह कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र आदि राज्यों में पाया जाता है।
- संबंधित खतरे:
- प्राकृतिक वास का नुकसान।
- वाहनों से टक्कर।
- रोग।
- मानव अतिक्रमण।
- अवैध शिकार।
- संरक्षण स्थिति :
- IUCN रेड लिस्ट: सुभेद्य (Vulnerable)
- CITES: परिशिष्ट I
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
अचानकमार टाइगर रिज़र्व
- यह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले में स्थित है। इसकी स्थापना 1975 में की गई और 2009 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
- यह बृहद अचानकमार-अमरकंटक बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है।
- इसमें कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व को जोड़ने वाला एक गलियारा मौजूद है और यह इन रिज़र्वों के बीच बाघों के आवागमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- नदी:
- इस रिज़र्व के ठीक बीच से मनियारी नदी बहती है, जो इस वन की जीवन रेखा है।
- जनजाति:
- यहाँ बैगा जनजाति की बहुलता है, जो वन में वास करने वाला जनजाति समुदाय है जिसे "विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG)" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- रिज़र्व के प्रमुख क्षेत्र के 626 हेक्टेयर में 25 गाँव हैं, जिनमें से लगभग 75% जनसंख्या बैगा जनजाति की है।
- वृक्ष:
- इसके अधिकांश क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वृक्ष विस्तृत हैं।
- वनस्पतिजात:
- साल, बीजा, साजा, हल्दू, सागौन, तिनसा, धावरा, लेंडिया, खमर, बाँस सहित औषधीय पौधों की 600 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- प्राणिजात:
- इसमें बाघ, तेंदुआ, बाइसन, उड़न गिलहरी, इंडियन जायंट स्क्विरेल, चिंकारा, वन्य कुत्ता, लकड़बग्घा, सांभर, चीतल और पक्षियों की 150 से अधिक प्रजातियाँ शामिल हैं।