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बिहार

बिहार बाढ़ को राष्ट्रीय प्राथमिकता माना गया

  • 25 Jul 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय बजट 2024 में कोसी नदी के जल का दोहन और उपयोग करने के लिये 11,500 करोड़ रुपए आवंटित किये गए- यह एक ऐसी नदी है जिसे अत्यधिक अप्रत्याशित माना जाता है तथा जो अपने मार्ग को बदलने के लिये प्रवण है।

  • कोसी नदी को "बिहार का शोक (Sorrow of Bihar)" कहा जाता है, क्योंकि नेपाल से बहकर आने के बाद यह राज्य के उत्तरी भाग के एक बड़े क्षेत्र में व्यापक विनाश करती है।
  • मुख्य बिंदु
  • सूत्रों के अनुसार, यह पहली बार है जब बिहार में बाढ़ की समस्या को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में मान्यता दी गई है।
  • विशेष श्रेणी का दर्जा न मिलने के बावजूद राज्य को महत्त्वपूर्ण लाभ प्राप्त हुए, जिनमें चार एक्सप्रेसवे, गंगा पर दो लेन का पुल, एक विद्युत संयंत्र, हवाई अड्डे और मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।
  • इसके अतिरिक्त, बजट में गया में औद्योगिक नोड, स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर और बहुपक्षीय संस्थाओं से धन प्राप्ति के लिये सहायता की घोषणा की गई।
    • गया में विष्णुपद और महाबोधि मंदिर कॉरिडोर के साथ-साथ राजगीर तथा नालंदा के विकास योजनाओं पर भी प्रकाश डाला गया।

कोसी नदी तंत्र

  • कोसी एक सीमा-पार नदी है जो तिब्बत, नेपाल और भारत से होकर प्रवाहित होती है। 
  • इसका स्रोत तिब्बत में है जिसमें विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थित भू-भाग शामिल है; इसके बाद यह गंगा के मैदानों में उतरने से पहले नेपाल के एक बड़े भाग से प्रवाहित होती है
  • इसकी तीन प्रमुख सहायक नदियाँ- सूर्य कोसी, अरुण और तैमूर हिमालय की तलहटी से कटी हुई 10 किमी. की घाटी के ठीक ऊपर एक बिंदु पर मिलती हैं
  • यह नदी भारत के उत्तरी बिहार में कटिहार ज़िले के कुर्सेला के पास गंगा में मिलने से पहले कई शाखाओं में बँट जाती है
  • भारत में ब्रह्मपुत्र के बाद कोसी में अधिकतम मात्रा में गाद और रेत पाई जाती है
  • इसे "बिहार का शोक" के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वार्षिक बाढ़ लगभग 21,000 वर्ग किमी. क्षेत्र को प्रभावित करती है। उपजाऊ कृषि भूमि के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।
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