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राजस्थान

राजस्थान में एवियन बोटुलिज़्म

  • 18 Nov 2024
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सेंटर फॉर एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने राजस्थान में कम से कम 600 प्रवासी पक्षियों की मौत की सूचना दी। 

मुख्य बिंदु

  • एवियन बोटुलिज़्म:
    • यह एक न्यूरो-मस्क्युलर बीमारी है जो बोटुलिनम (प्राकृतिक विष) के कारण होती है जो क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम नामक बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न होती है।
      • यह बैक्टीरिया आमतौर पर मृदा, नदियों और समुद्री जल में पाया जाता है। यह मनुष्यों और जानवरों दोनों को प्रभावित करता है।
      • इसे अवायवीय (ऑक्सीजन की अनुपस्थिति) स्थितियों की भी आवश्यकता होती है और यह अम्लीय परिस्थितियों में नहीं उगता है।
    • यह पक्षियों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है , जिससे उनके पैरों और पंखों में लकवा मार जाता है।
      • जीवाणु बीजाणु आर्द्रभूमि तलछटों में व्यापक रूप से फैले होते हैं तथा आर्द्रभूमि आवासों में सामान्यतः पाए जाते हैं।
      • वे कीटों, मोलस्क, क्रस्टेशियन जैसे अकशेरुकी जीवों और यहां तक ​​कि पक्षियों सहित स्वस्थ कशेरुकियों में भी मौजूद होते हैं।
    • एवियन बोटुलिज़्म का प्रकोप तब होता है जब औसत तापमान 21 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है और सूखे के दौरान होता है।
    • मौतें 26 अक्तूबर, 2024 को शुरू हुईं और लगभग दो सप्ताह तक जारी रहीं।
  • योगदान देने वाले पर्यावरणीय कारक:
    • सांभर झील से 70 किलोमीटर दूर जयपुर ज़िले में पूरे अक्तूबर माह में औसत से अधिक तापमान दर्ज किया गया।
    • वर्षा न होने के कारण सांभर झील में ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया।
  • प्रवासी पक्षियों की भेद्यता
    • प्रवासी पक्षी लंबी यात्रा के कारण दुर्बल हो जाते हैं, जिससे वे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
    • सड़ते हुए पक्षियों के शव कीड़ों को आकर्षित करते हैं, जो जल को दूषित करते हैं तथा अन्य पक्षियों या जानवरों को संक्रमित करते हैं।
  • प्रबंधन और चुनौतियाँ
    • एवियन बोटुलिज़्म का उपचार नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके प्रसार को सीमित करने के लिये प्रभावित पक्षियों को तत्काल हटाने और निपटाने की सिफारिश की जाती है।
    • सांभर झील में वर्ष 2019 में भी इसी तरह की घटना हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 18,000 पक्षियों की मौत हो गई थी।
    • प्रकोपों ​​का पूर्वानुमान लगाना कठिन है, क्योंकि वे विशिष्ट पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं, जैसे कि उच्च लवणता से निम्न लवणता में परिवर्तन, जो प्रवासी पक्षियों के आगमन के साथ मेल खाता है।
  • वैश्विक परिप्रेक्ष्य
    • क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम के बीजाणु वर्षों तक जीवित रह सकते हैं, लेकिन केवल अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों में ही विषाक्त पदार्थ उत्पन्न करते हैं।
    • कम लवणता की अवधि के दौरान ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में भी इसी प्रकार का प्रकोप देखा गया है।
    • विश्व स्तर पर जंगली पक्षियों में लगभग 57 बीमारियों की सूचना मिली है, जो व्यापक पारिस्थितिक खतरों को उजागर करती हैं।

सांभर झील

  • स्थान:
    • पूर्व-मध्य राजस्थान में जयपुर से लगभग 80 किमी. दक्षिण पश्चिम में स्थित है।
  • विशेषताएँ:
    • यह भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय लवणीय जल की झील है। यह अरावली पर्वतमाला के अवतलन का प्रतिनिधित्व करती है।
    • झील की नमक आपूर्ति मुगल वंश (1526-1857) द्वारा की जाती थी और बाद में इसका स्वामित्व जयपुर और जोधपुर रियासतों के पास संयुक्त रूप से था।
  • रामसर साइट:
    • यह 1990 में घोषित रामसर कन्वेंशन के तहत 'अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व' की आर्द्रभूमि है।
  • नदियाँ: 
    • इसे छह नदियों सामोद, खारी, मंथा, खंडेला, मेड़था और रूपनगढ़ से जल मिलता है ।
  • वनस्पति: 
    • जलग्रहण क्षेत्र में मौजूद वनस्पति ज्यादातर शुष्कपादप प्रकार की है।
    • ज़ेरोफाइट एक ऐसा पौधा है जो शुष्क परिस्थितियों में वृद्धि के लिये अनुकूलित होता है।

भारतीय केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (CARI) 

  • यह उत्तर प्रदेश के बरेली के पास इज्ज़तनगर में स्थित एक शोध संस्थान है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1979 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के प्रशासनिक नियंत्रण में की गई थी।
  • यह भारतीय पोल्ट्री उद्योग की बेहतरी के लिये एवियन आनुवंशिकी, प्रजनन, पोषण और आहार प्रौद्योगिकी तथा एवियन फिजियोलॉजी और प्रजनन सहित पोल्ट्री विज्ञान का अध्ययन करता है।

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