जैव विविधता और पर्यावरण
सांभर झील में पक्षियों की मौत
- 16 Nov 2019
- 4 min read
प्रीलिम्स के लिये-
सांभर झील की भौगोलिक अवस्थिति
मेन्स के लिये -
वन्यजीव संरक्षण की स्थिति का विश्लेषण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान की सांभर झील में लगभग 8 हज़ार पक्षियों की मौत हो गई। इन पक्षियों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु-
- मृत पक्षियों में अलग अलग प्रजाति के पक्षी शामिल हैं। इनमें साइबेरिया, नॉर्थ एशिया समेत कई देशों से आने वाले प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं।
- मृत पक्षियों में नॉदर्न शावलर, पिनटेल, कॉनम टील, रूडी शेल डक, कॉमन कूट गेडवाल, रफ, ब्लैक हेडड गल, ग्रीन बी ईटर, ब्लैक शेल्डर काइट, कैसपियन गल, ब्लैक विंग्ड स्टील्ट, सेंड पाइपर, मार्श सेंड पाइपर, कॉमस सेंड पाइपर, वुड सेंड पाइपर पाइड ऐबोसिट, केंटिस प्लोवर, लिटिल रिंग्स प्लोवर, लेसर सेंड प्लोवर प्रजाति के पक्षी शामिल हैं।
- राज्य एजेंसियों के अनुसार कुल 8065 पक्षियों की मौत हुई और 165 पक्षियों को बचा लिया गया।
- प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार, पक्षियों की मृत्यु बॉटुलिज़्म (Botulism) नामक बीमारी से हुई है, यह बीमारी जीवों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।
- रिपोर्ट के अनुसार, यह संक्रमण पक्षियों में संक्रमित कीड़ों को खाने के कारण फैला।
- प्रारंभ में इन मौतों का कारण बर्ड फ्लू को माना गया, लेकिन भोपाल में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिज़ीज (National Institute of High Security Animal Diseases -NIHSAD) ने परीक्षण के बाद बर्ड फ्लू के अनुमान को खारिज कर दिया है।
बॉटुलिज़्म (Botulism)
- बॉटुलिज़्म पोल्ट्री में मृत्यु के सबसे आम कारणों में से एक है। यह संक्रमण क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम (Clostridium Botulinum ) बैक्टीरिया द्वारा फैलता है।
- इस संक्रमण से प्रभावित पक्षी आमतौर पर खड़े होने, ज़मीन पर चलने में असमर्थ हो जाते हैं, यह बीमारी पक्षियों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।
- बॉटुलिज़्म का कोई विशिष्ट इलाज नहीं उपलब्ध है, इससे प्रभावित अधिकांश पक्षियों की मौत हो जाती है।
सांभर झील -
- सांभर झील राजस्थान राज्य में जयपुर के समीप स्थित है। यह देश की सबसे बडी खारे पानी की झील और नमक का बड़ा स्रोत है।
- ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार सांभर शहर की स्थापना 551 ईसवी में चौहान वंश के राजा वासुदेव द्वारा की गई।
- इस पर सिंधियों, मराठों और मुगलों ने शासन किया, वर्ष 1709 में राजपूतों ने इसे पुनः प्राप्त किया।
- सांभर झील एक विश्व विख्यात रामसर साइट है। यहाँ नवम्बर से फरवरी के महीनों में उत्तरी एशिया और साइबेरिया से हज़ारों की संख्या में फ्लेमिंगो और अन्य प्रवासी पक्षी आते हैं।
- यहाँ अन्य दर्शनीय स्थलों में शाकम्भरी माता मंदिर , सरमिष्ठा सरोवर, भैराना, दादू द्वारा मंदिर, और देवयानी कुंड हैं।